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देश में पहली बार लावारिसों को मिली पहचान, जबलपुर की मोक्ष संस्था आइडेंटिटी में बना अभिभावक - India Unclaimed People Got ID

देश में पहली बार लावारिस लोगों के पहचान पत्र बनाए गए हैं. एमपी के जबलपुर में हाई कोर्ट की दखल के बाद शहर में मोक्ष संस्था में रहने वाले 17 लावारिस लोगों के मतदाता पहचान पत्र बनाए गए हैं. जिसके बाद यह सरकार की योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं.

India Unclaimed People Got ID
देश में पहली बार लावारिसों को मिली पहचान (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 7, 2024, 8:44 PM IST

जबलपुर: भारत में पहली बार लावारिस लोगों के मतदाता पहचान पत्र बनाए गए हैं. मध्य प्रदेश में जबलपुर जिला प्रशासन ने एक शिविर लगाकर एक समाज सेवी संस्था मोक्ष के सहारे रह रहे 17 लोगों के मतदाता पहचान पत्र बनाए हैं. इनमें माता-पिता की जगह मोक्ष संस्था के संचालक आशीष ठाकुर का नाम लिखा गया है. जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि 'ऐसा संभवत पहली बार हुआ है, जब लावारिस लोगों को मतदाता पहचान पत्र दिए गए हैं.' आशीष ठाकुर का कहना है कि 'इस आधार पर इन्हें सरकार की दूसरी योजनाओं से जोड़ने में मदद मिलेगी.

जबलपुर की मोक्ष संस्था आइडेंटिटी में बना अभिभावक (ETV Bharat)

परिवार के छोड़े हुए लोग

आपने सड़क पर घूमते हुए कई विक्षिप्त देखे होंगे, इनमें से कुछ लोग तो बिल्कुल मानसिक स्थित खो चुके होते हैं, लेकिन इनमें से कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो बहुत से ऐसे होते हैं, जो किसी बीमारी से जूझ रहे होते हैं. कुछ लोग अपनी याददाश्त भूल जाते हैं, इसलिए भटक जाते हैं. कई बार परिवार के लोग ही ऐसे लोगों को बोझ मानकर घर से निकाल देते हैं.

मोक्ष का आश्रय स्थल

जबलपुर की मोक्ष नाम की एक संस्था ऐसे ही लगभग 19 लोगों को आश्रय देती है. इनमें से कई ऐसे हैं, जो मध्य प्रदेश के ही नहीं है. उन्हें मध्य प्रदेश की बोली नहीं आती. कुछ ऐसे हैं जिनकी याददाश्त खो गई है, कुछ मानसिक रूप से लाचार हैं. कुछ इतने बीमार हैं कि परिवार के लोगों ने उन्हें छोड़ दिया और अब उनकी स्थिति ऐसी है कि वह अपना नाम तक नहीं बता पाते. मोक्ष नाम की संस्था को जबलपुर के आशीष ठाकुर नाम के एक समाजसेवी युवा चलाते हैं. इन्होंने मेडिकल कॉलेज के एक रेन बसेरे में इन सभी लावारिस लोगों को ठिकाना दिया है. इन लोगों के खाने-पीने और इलाज की व्यवस्था भी आशीष ठाकुर करते हैं.

जबलपुर के लावारिसों को मिली पहचान (ETV Bharat)

लावारिसों को नहीं मिलती सरकारी सुविधा

आशीष ठाकुर का कहनाहै कि 'इन लावारिस लोगों को सरकार की किसी योजना का फायदा नहीं मिलता, क्योंकि सरकार की किसी भी योजना में सबसे पहले मतदाता पहचान पत्र यानि की आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज लगते हैं. इन दस्तावेजों को बनाने के लिए किसी भी आदमी के माता-पिता की जानकारी होना जरूरी है, लेकिन यह लोग अपने बारे में कुछ बता ही नहीं पाते. इसलिए इनके पहचान संबंधी कोई दस्तावेज नहीं बन पाते.' ऐसे में लावारिस लोगों की स्थिति और अधिक बिगड़ जाती है. ना तो उनके राशन कार्ड हैं और ना ही उन्हें आयुष्मान जैसी इलाज की योजना का फायदा मिल रहा है. इसलिए ये लोग और अधिक बीमार हो जाते हैं. आम समाज भी इन्हें मानसिक विक्षिप्त मानकर उनके हाल पर छोड़ देता है, लेकिन आशीष ने इन लोगों को आसरा दिया है.

जबलपुर संस्था में लावारिसों को आश्रय (ETV Bharat)

प्रशासन ने बनाए लावारिसों के मतदाता पहचान पत्र

बीते दिनों आशीष ठाकुर कि मोक्ष संस्था के बारे में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के एक जज साहब को जानकारी मिली. आशीष ने इन लाचार लोगों की समस्या जज साहब को बताई थी. जिसके बाद जज साहब ने विधिक सहायता के माध्यम से जिला प्रशासन को यह सलाह दिलवाई कि इन लाचार लावारिस लोगों के लिए मतदाता पहचान पत्र बनाए जाएं.'

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जबलपुर जिला प्रशासन के मतदाता पहचान पत्र बनाने वाले अधिकारी चित्रांशु त्रिपाठी ने बताया कि 'उन्होंने एक शिविर लगाकर इन लावारिस लोगों के मतदाता पहचान पत्र बनाए हैं. ऐसे 17 लोगों के मतदाता पहचान पत्र बनाए गए हैं. इनमें माता-पिता की जगह आशीष ठाकुर और उनकी संस्था का नाम लिखा गया है.' आशीष ठाकुर का कहना है कि 'इन मतदाता पहचान पत्रों के आधार पर इन लावारिस लोगों को सरकार की इलाज की सुविधा और राशन की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी, हो सकता है कि इन लोगों को अच्छा इलाज मिले तो यह लोग ठीक हो जाएं. उनकी याददाश्त वापस आ जाए और यह अपने घर वापस लौट सकें. इस तरीके से यदि लावारिस लोगों को हर शहर में लोग आसरा देने लगे और इन्हें सरकारी योजनाओं का फायदा दिलाने लगे तो सड़क पर घूमते हुए यह लोग कुछ बेहतर जिंदगी जी सकते हैं.

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