जबलपुर: भारत में पहली बार लावारिस लोगों के मतदाता पहचान पत्र बनाए गए हैं. मध्य प्रदेश में जबलपुर जिला प्रशासन ने एक शिविर लगाकर एक समाज सेवी संस्था मोक्ष के सहारे रह रहे 17 लोगों के मतदाता पहचान पत्र बनाए हैं. इनमें माता-पिता की जगह मोक्ष संस्था के संचालक आशीष ठाकुर का नाम लिखा गया है. जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि 'ऐसा संभवत पहली बार हुआ है, जब लावारिस लोगों को मतदाता पहचान पत्र दिए गए हैं.' आशीष ठाकुर का कहना है कि 'इस आधार पर इन्हें सरकार की दूसरी योजनाओं से जोड़ने में मदद मिलेगी.
परिवार के छोड़े हुए लोग
आपने सड़क पर घूमते हुए कई विक्षिप्त देखे होंगे, इनमें से कुछ लोग तो बिल्कुल मानसिक स्थित खो चुके होते हैं, लेकिन इनमें से कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो बहुत से ऐसे होते हैं, जो किसी बीमारी से जूझ रहे होते हैं. कुछ लोग अपनी याददाश्त भूल जाते हैं, इसलिए भटक जाते हैं. कई बार परिवार के लोग ही ऐसे लोगों को बोझ मानकर घर से निकाल देते हैं.
मोक्ष का आश्रय स्थल
जबलपुर की मोक्ष नाम की एक संस्था ऐसे ही लगभग 19 लोगों को आश्रय देती है. इनमें से कई ऐसे हैं, जो मध्य प्रदेश के ही नहीं है. उन्हें मध्य प्रदेश की बोली नहीं आती. कुछ ऐसे हैं जिनकी याददाश्त खो गई है, कुछ मानसिक रूप से लाचार हैं. कुछ इतने बीमार हैं कि परिवार के लोगों ने उन्हें छोड़ दिया और अब उनकी स्थिति ऐसी है कि वह अपना नाम तक नहीं बता पाते. मोक्ष नाम की संस्था को जबलपुर के आशीष ठाकुर नाम के एक समाजसेवी युवा चलाते हैं. इन्होंने मेडिकल कॉलेज के एक रेन बसेरे में इन सभी लावारिस लोगों को ठिकाना दिया है. इन लोगों के खाने-पीने और इलाज की व्यवस्था भी आशीष ठाकुर करते हैं.
लावारिसों को नहीं मिलती सरकारी सुविधा
आशीष ठाकुर का कहनाहै कि 'इन लावारिस लोगों को सरकार की किसी योजना का फायदा नहीं मिलता, क्योंकि सरकार की किसी भी योजना में सबसे पहले मतदाता पहचान पत्र यानि की आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज लगते हैं. इन दस्तावेजों को बनाने के लिए किसी भी आदमी के माता-पिता की जानकारी होना जरूरी है, लेकिन यह लोग अपने बारे में कुछ बता ही नहीं पाते. इसलिए इनके पहचान संबंधी कोई दस्तावेज नहीं बन पाते.' ऐसे में लावारिस लोगों की स्थिति और अधिक बिगड़ जाती है. ना तो उनके राशन कार्ड हैं और ना ही उन्हें आयुष्मान जैसी इलाज की योजना का फायदा मिल रहा है. इसलिए ये लोग और अधिक बीमार हो जाते हैं. आम समाज भी इन्हें मानसिक विक्षिप्त मानकर उनके हाल पर छोड़ देता है, लेकिन आशीष ने इन लोगों को आसरा दिया है.