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भारत-नॉर्वे ने नई दिल्ली में विदेश कार्यालय परामर्श (FOC) किया आयोजित, द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा - India Norway

India-Norway Foreign Office Consultations (FOC): भारत-नॉर्वे विदेश कार्यालय परामर्श (FOC) का 11वां दौर नई दिल्ली में आयोजित किया गया. दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय सहयोग के विस्तार और विविधता लाने के तरीकों पर चर्चा की. गौरतलब है कि दोनों देशों ने व्यापार, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण मुद्दों सहित विभिन्न मोर्चों पर सहयोग किया है. भारत नवीकरणीय ऊर्जा और समुद्री प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में नॉर्वे की विशेषज्ञता की सराहना करता है, जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद रही है.

11th India-Norway Foreign Office Consultations (FOC)
11वां भारत-नॉर्वे विदेश कार्यालय परामर्श (एफओसी) (ANI & IANS)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 14, 2024, 7:29 PM IST

नई दिल्ली: भारत और नॉर्वे ने 14 मई को नई दिल्ली में विदेश कार्यालय परामर्श का 11वां दौर आयोजित किया. भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) श्री पवन कपूर ने किया. नॉर्वेजियन प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व नॉर्वे के विदेश मंत्रालय के महासचिव टोर्गेइर लार्सन ने किया. आखिरी एफओसी नवंबर 2022 में ओस्लो में हुई थी.

भारत और नॉर्वे के बीच संबंध उत्कृष्ट राजनीतिक आदान-प्रदान और व्यापक द्विपक्षीय संस्थागत तंत्र द्वारा चिह्नित हैं. समुद्री और समुद्री क्षेत्रों सहित सतत विकास के लिए ब्लू इकोनॉमी में सहयोग, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की आधारशिला है. विभिन्न क्षेत्रों में मजबूत सहयोग को स्वीकार करते हुए, भारत और नॉर्वे ने मंगलवार को ब्लू इकोनॉमी, नवीकरणीय ऊर्जा, जलवायु और पर्यावरण, सीसीयूएस, ग्रीन हाइड्रोजन, सौर और पवन परियोजनाओं, ग्रीन शिपिंग, जल-प्रबंधन, अंतरिक्ष सहयोग, आर्कटिक में सहयोग, शिक्षा और संस्कृति, मत्स्य पालन के क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार और विविधता लाने के तरीकों पर चर्चा की.

दोनों पक्षों ने इस साल मार्च में भारत-ईएफटीए टीईपीए पर हस्ताक्षर करने की भी सराहना की और जल्द से जल्द समझौते के कार्यान्वयन में तेजी लाने की उम्मीद की. इससे द्विपक्षीय व्यापार और निवेश में और वृद्धि होगी. उन्होंने अगले भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन के बारे में भी प्रारंभिक चर्चा की, जो इस साल के अंत में ओस्लो में आयोजित होने की उम्मीद है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुधारों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया, विशेष रूप से भविष्य के शिखर सम्मेलन के संदर्भ में. आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का अच्छा आदान-प्रदान हुआ.

भारत और नॉर्वे के बीच राजनयिक और व्यापारिक संबंध हैं जो पिछले कुछ वर्षों में मजबूत हुए हैं. दोनों देशों के बीच व्यापार में मुख्य रूप से ऊर्जा, समुद्री, प्रौद्योगिकी और समुद्री भोजन जैसे क्षेत्र शामिल हैं. नॉर्वे भारत में एक महत्वपूर्ण निवेशक है, विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा और शिपिंग जैसे क्षेत्रों में. इसके अतिरिक्त, अनुसंधान और विकास में सहयोग, साथ ही सांस्कृतिक आदान-प्रदान, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ाते हैं.

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