देहरादून:हरिद्वार-देहरादून मार्ग पर स्थापित मणि माई मंदिर की महिमा का गुणगान यहां से गुजरने वाले सभी लोग करते हैं. इस मंदिर की प्रसिद्धि इतनी है कि रोजाना इस मंदिर पर भंडारा करवाने वाले लोगों की लाइन लगी रहती है. प्रसाद को ग्रहण करने वाले लोग भी दूर दूर से आते हैं. हाईवे के किनारे स्थित इस स्थान पर रोजाना 3 से 4 परिवार सैकड़ों लोगों को भंडारे के माध्यम से भोजन करवाते हैं. शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस मंदिर में प्रसाद ग्रहण करने के लिए पहुंचे.
रोजाना कई परिवार करवाते हैं भंडारा:मणि माई मंदिर मार्ग से जो लोग देहरादून आते हैं, उनके जेहन में ये बात जरूर आती होगी कि आखिरकार इस छोटे से मंदिर में हमेशा भंडारा भला क्यों चलता होगा. आज से कुछ साल पहले तक कुछ लोग ही यहां पर भंडारा करवाते थे. जंगल के बीचों-बीच स्थित इस मंदिर पर रुकने में कई लोग कतराते थे. ऐसे में भंडारा करवाने वाले व्यक्ति को यह पता होता था कि खाने वाले व्यक्तियों की संख्या ज्यादा नहीं होगी. लेकिन समय के साथ अब इस मंदिर में रोजाना 3 से 4 भंडारे होते हैं. न केवल देहरादून आने वाले लोकल लोग, बल्कि मसूरी और देहरादून के रास्ते उत्तरकाशी या अन्य जगहों पर जाने वाले पर्यटक भी यहां पर रुककर न केवल दर्शन करते हैं, बल्कि प्रसाद ग्रहण करके ही आगे बढ़ते हैं. इस मंदिर की मान्यता के बारे में ज्यादा कोई लिखित प्रमाण तो नहीं है, लेकिन इस मंदिर को लेकर लोगों के बीच अलग-अलग तरह की कहानियां प्रसिद्ध हैं.
मंदिर से जुड़ी हैं कई कहानियां:मां काली यहां पर छोटे से रूप में विराजमान हैं. लगभग 100 साल पुराने इस मंदिर के प्रति लोगों की इतनी अधिक आस्था है कि क्या आम और क्या खास हर कोई सुबह और शाम यहां से निकलते हुए माथा जरूर टेकता है. बस का ड्राइवर हो ट्रैक्टर हो टेंपो हो या टैक्सी अपनी गाड़ी की गति धीमी करके मंदिर में शीश नवा के ही लोग आगे का सफर तय करते हैं. मान्यता के अनुसार इस मंदिर से जुड़ी कई कहानियां हैं.
मंदिर से जुड़ी पहली कहानी:एक कहानी के अनुसार एक बार किसी ट्रक मालिक का एकमात्र ट्रक इसी जंगल से चोरी हो गया था. इस छोटे से मंदिर में अरदास लगाने और माथा टेकने के साथ ही ट्रक मालिक ने मंदिर में ट्रक मिल जाने पर भंडारा करवाने का वचन दिया था. कई दिनों तक जो ट्रक नहीं मिल रहा था, कहते हैं कि उसी शाम को मलिक को उसका ट्रक बरामद हो गया. इसके बाद उसने यहां पर एक छोटा सा भंडारा करवाया. तभी से इस मंदिर की मान्यता और बढ़ गई. यह बात कई साल पुरानी बताई जाती है.