रामनगर (कैलाश सुयाल): आपने किसी की हत्या में जेल की सजा काटने वाले अपराधियों के बारे में सुना होगा. उत्तराखंड में एक टाइगर भी 3 वन कर्मियों का शिकार करने के बाद से 5 साल से कैद में है. ये पूरा मामला उत्तराखंड के प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का है. क्या है टाइगर विक्रम की कैद की पूरी कहानी, पेश है हमारी खास रिपोर्ट.
टाइगर विक्रम को है बेल का इंतजार: विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के सबसे चर्चित पर्यटन जोन ढिकाला में तीन वन श्रमिकों को मार डालने वाले विक्रम को अपनी बेल का इंतजार है. विक्रम ने 2019 में तीन वनकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था, तब से ही वह अपनी रिहाई का इंतजार कर रहा है. विक्रम की उम्र की वजह से उसके कुछ दांत झड़ भी चुके हैं. दांत लगातार घिस रहे हैं, लेकिन शरीर देख आप दांतों तले उंगली दबा लेंगे.
टाइगर विक्रम काट रहा सजा: बता दें कि 2019 में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढिकाला क्षेत्र में तीन बीट वाचरों का शिकार करने वाला विक्रम तभी से एक तरह से सजा काट रहा है. 2019 से विक्रम अपनी बेल का इंतजार कर रहा है. दिलचस्प बात ये है कि अब उसकी रिहाई उसकी उम्र की वजह से संभव नहीं हो पाएगी. दरअसल विक्रम की उम्र 18 से 19 साल हो चुकी है. इसी के आसपास या इससे 2-4 साल कम ही इनका जीवन काल होता है.
तीन वनकर्मियों का किया था शिकार: साल 2019 के नवंबर में ढिकाला ग्रासलैंड में ढिकाला परिसर में वन कर्मी सफाई कार्य कर रहा था. इसी दौरान एक टाइगर ने उस पर हमला कर दिया. इससे पूर्व भी ये टाइगर 2 अन्य वन्यकर्मियों को निवाला बना चुका था. उस क्षेत्र में उस वक्त हाथी की ऊंचाई जितनी घास थी. तब वहां तीन-चार बाघ थे. ऐसे में मानव का शिकार करने वाले टाइगर को चिह्नित करना चुनौतीपूर्ण था.
ढेला रेंज के रेस्क्यू सेंटर में है विक्रम टाइगर: शिकारी टाइगर के विशालकाय होने से ही उसकी पहचान हो सकी. कड़ी मशक्कत के बाद कॉर्बेट प्रशासन ने उसे ट्रेंकुलाइज कर हल्द्वानी रानीबाग स्थित रेस्क्यू सेंटर भेज दिया. रानीबाग रेस्क्यू सेंटर से 2020 में उसे कॉर्बेट पार्क के ढेला रेंज में स्थित रेस्क्यू सेंटर में लाया गया. ढेला में इसका नाम विक्रम रखा गया. तब से ही ये टाइगर रेस्क्यू सेंटर में विक्रम के नाम से प्रसिद्ध है.
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर डॉक्टर साकेत बडोला ने कहा कि-
'हमारे रेस्क्यू सेंटर में वन्यजीवों की संख्या बढ़ती-घटती रहती है. उन्होंने कहा इस वक्त यहां पर 9 टाइगर के साथ ही 13 लेपर्ड हैं. ये सभी अलग-अलग गतिविधियों की वजह से यहां पर अलग अलग क्षेत्रों से लाये गए हैं. हम इनकी जिम्मेदारी के साथ देखभाल करते हैं. इनके भोजन से लेकर स्वास्थ्य तक का विशेष ख्याल रखा जाता है.'
-डॉ साकेत बडोला, डायरेक्टर, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व-
टाइगर विक्रम की होती है खास देखभाल: ढेला रेंज रेस्क्यू सेंटर में विक्रम टाइगर को 600 वर्ग मीटर के बाड़े में मेहमान के तौर पर रखा गया है. उसकी देखभाल बहुत बढ़िया ढंग से की जाती है. इस बाड़े में वाटर पूल है. विक्रम अपने बाड़े में अक्सर मस्ती करता दिखाई देता है. उसकी हर गतिविधि के साथ ही स्वास्थ्य पर भी पूरा ध्यान दिया जाता है. भोजन में मांस के साथ ही उसे अलग अलग मौसम में सप्लीमेंट के साथ ही विटामिन और मिनरल भी दिए जाते हैं. स्वास्थ्य परीक्षण के लिए संबंधित नमूने जांच के लिए बरेली के आईवीआरआई (भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान) समय समय पर भेजे जाते हैं.
वन्यजीव विशेषज्ञ संजय छिम्वाल कहते हैं कि-
'विक्रम टािगर अभी कई और साल जीवित रहेगा. मगर अधिक उम्र के कारण उसकी रिहाई संभव नहीं है. दरअसल उसकी उम्र अभी 18 से 19 वर्ष हो चुकी है. विक्रम अभी कई और साल जीवित रहेगा. मगर अब इस आयु में वो दूसरे वन्यजीवों का शिकार नहीं कर पाएगा. साथ ही खुले जंगल में छोड़ने पर दूसरे बाघ, विक्रम का शिकार कर लेंगे.'
-संजय छिम्वाल, वन्यजीव विशेषज्ञ-
टाइगर विक्रम की रिहाई है मुश्किल: वन्यजीव विशेषज्ञ संजय छिम्वाल बताते हैं कि देश के किसी भी चिड़ियाघर में बाघ की सर्वाधिक उम्र 18 ही उनकी जानकारी में है. जंगल में सामान्य रहन-सहन के मुकाबले चिड़ियाघर में इनका जीवन इसलिए ज्यादा हो जाता है, क्योंकि अच्छी देखभाल हो पाती है. वरना आमतौर पर इनकी उम्र 12 से 15 वर्ष होती है. बता दें कि बाड़े में 9 टाइगरों में विक्रम सबसे बूढ़ा टाइगर है. विशालकाय शरीर का विक्रम बहुत ही सुंदर दिखता है. हालांकि इसके दांत झड़ने के अलावा घिस भी चुके हैं. ऐसे में इसे विशेष रख-रखाव की जरूरत है.
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