देहरादून (नवीन उनियाल): सरहदें इंसानों को तो बांध सकती हैं, लेकिन बेजुबान ना तो किसी सरहद को समझते हैं और ना ही किसी पाबंदी को. ये बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि राजाजी टाइगर रिजर्व के एक टाइगर ने अब तक 4 राज्यों की लंबी यात्रा कर ली है. उत्तराखंड के इतिहास में ये ऐसा एक अकेला बाघ है जिसने गंगा और यमुना दो-दो नदियों को पार करते हुए चार राज्यों की सीमाओं को लांघ दिया है. हालांकि करीब 10 महीने से इस टाइगर की किसी को कोई खबर नहीं है लेकिन एक नई सूचना के चलते वन विभाग ने इसकी तलाश तेज कर दी है.
क्या जम्मू-कश्मीर पहुंचा उत्तराखंड का बाघ: राजाजी टाइगर रिजर्व के जंगलों से बाहर निकलकर सैकड़ों किलोमीटर का सफर कर चुके एक टाइगर की इन दिनों खोजबीन तेज हो गई है. खुले जंगल में बेखौफ विचरण कर रहे इस टाइगर की गतिविधियां देखकर हर कोई हैरान है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसने एक के बाद एक कई राज्यों की सीमाएं पार करते हुए अपनी लंबी यात्रा को जारी रखा है. फिलहाल इसकी चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि वन विभाग को इसके जम्मू कश्मीर के राजौरी में होने की खबर मिली है. हालांकि उत्तराखंड से जम्मू कश्मीर तक बाघ के पहुंचने की बात पर फिलहाल कोई यकीन नहीं कर पा रहा है.
उत्तराखंड के इतिहास में ये पहला मामला जब टाइगर ने गंगा और यमुना नदी को किया पार: उत्तराखंड में पिछले 24 साल के दौरान यह पहला टाइगर है जिसने गंगा और यमुना नदी को पार करते हुए नए क्षेत्र में वास स्थल के लिए विचरण किया है. इस बाघ ने राजाजी टाइगर रिजर्व में गौहरी रेंज से गंगा नदी को पार करते हुए राजाजी के ही मोतीचूर रेंज में दस्तक दी थी. जबकि हिमाचल में पोंटा से यमुना नदी पार करते हुए हरियाणा तक का सफर तय किया था.
चार राज्यों की सीमाएं पार करने वाला टाइगर: राजाजी टाइगर रिजर्व के पूर्वी हिस्से में 50 से ज्यादा बाघ हैं. इनमें से ही एक युवा बाघ ने पहले गंगा नदी पार कर राजाजी के पश्चिमी हिस्से में अपनी पहुंच बनाई. इसके बाद ये बाघ राजाजी की ही सीमा को लांघकर उत्तर प्रदेश से होते हुए हिमाचल पहुंच गया. दरअसल अक्टूबर 2022 को यह बाघ टाइगर रिजर्व में अचानक दिखना बंद हो गया था. जिसके बाद फरवरी 2023 में इसे सिबलवाड़ा वाइल्डलाइफ सेंचुरी, हिमाचल में देखा गया. इसके बाद मई 2023 में इस बाघ को हरियाणा के कलेसर वाइल्डलाइफ सेंचुरी में रिकॉर्ड किया गया. हालांकि तीन महीने बाद अगस्त में ये बाघ वापस हिमाचल के जंगलों में देखा गया.
अब जम्मू कश्मीर से आई खबर ने वन महकमे में मचाई हलचल: हाल ही में वन विभाग को खबर लगी है कि जम्मू कश्मीर के राजौरी में किसी टाइगर की तस्वीर सामने आई है. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि कहीं हिमाचल और हरियाणा तक पहुंचने वाला राजाजी टाइगर रिजर्व का बाघ जम्मू कश्मीर तो नहीं पहुंच गया. हर कोई इस बात को लेकर हैरान है कि 700 से 800 किलोमीटर से भी ज्यादा का सफर कोई टाइगर कैसे कर सकता है. राजाजी टाइगर रिजर्व बाघों के वास स्थल के रूप में सबसे करीबी क्षेत्र है. लिहाजा जम्मू कश्मीर में भी यदि कोई टाइगर दिखाई दिया है तो उसके राजाजी टाइगर रिजर्व का ही होने की सबसे ज्यादा संभावना है. हालांकि अभी वन विभाग की मानें तो यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि वहां पर कोई टाइगर दिखाई दिया है. फिलहाल उत्तराखंड वन विभाग हिमाचल, हरियाणा और जम्मू कश्मीर के वन विभाग से भी इस बारे में सूचनाएं जुटा रहा है.
हम इस बारे में बहुत गंभीर हैं. हम देखते हैं कि अगर बाघ ने वहां माइग्रेट किया होगा तो हम पूरा स्टडी कर रहे हैं. हमें कोई लीड मिलेगी तो हम फोटोग्राफ्स से मिलान करके इसके बारे में बताएंगे.
-आरके मिश्रा, PCCF वाइल्डलाइफ, उत्तराखंड वन विभाग-
पिछले 10 महीने से गुमशुदगी बनी विभाग के लिए चिंता: उत्तराखंड के राजाजी टाइगर रिजर्व से बाहर निकलने वाले टाइगर की फरवरी महीने से ही कोई जानकारी नहीं है. आखरी बार इसे हिमाचल में ही देखा गया था और फरवरी के बाद इसका कोई पता नहीं चल पाया है. जाहिर है कि इतने लंबे वक्त से टाइगर के ना दिखाने के कारण वन विभाग भी चिंता में आ गया है.
जम्मू-कश्मीर वन्य जीव विभाग ने क्या कहा: ईटीवी भारत ने जम्मू कश्मीर के वन्य जीव विभाग के अफसरों से इस बारे में बात की. उन्होंने फोटोग्राफर के इस दावे को "कल्पना की उपज" बताकर खारिज कर दिया है. उनका दावा है कि- पिछले छह महीनों में इस क्षेत्र में बाघ की मौजूदगी का कोई सबूत नहीं मिला है. हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया कि एक बाघ एक दिन में 37 मील (लगभग 60 किमी) तक की दूरी तय कर सकता है. उन्होंने तस्वीर की प्रमाणिकता पर सवाल उठाया.
उन्होंने कहा कि-
अगर उत्तराखंड का कोई बाघ हिमाचल प्रदेश से होकर पुंछ के बिमर गली में पहुंचा, तो इसका मतलब होगा कि वह कठुआ, उधमपुर, डोडा, जम्मू शहर, रियासी, राजौरी और फिर पुंछ को पार कर गया होगा. कुछ साल पहले एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें दावा किया गया था कि माता वैष्णो देवी मंदिर में एक बाघ देखा गया था. उसमें दावा किया गया था कि बाघ आशीर्वाद लेने के लिए शेरा वाली के मंदिर गया था. हालांकि, बाद में पुष्टि की गई कि वीडियो उत्तराखंड से आया था. फिलहाल इस क्षेत्र में बाघ की मौजूदगी का कोई सबूत नहीं है.
-जम्मू-कश्मीर वन्य जीव विभाग के अफसर-
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