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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 19, 2024, 7:02 PM IST

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झारखंड के ग्रामीणों की आमदनी हो जाएगी चार गुनी, बस करना होगा ये काम - Income by forest products

Income by forest products in Jharkhand. झारखंड राज्य की पहचान यहां की वन संपदा है. वन संपदा जहां लोगों को स्वच्छ वातावरण प्रदान करती है, वही जंगल पर आश्रित रहने वाले ग्रामीणों को बेहतर आमदनी के साधन भी उपलब्ध कराती है. हालांकि जंगल में पाए जाने वाले वन संपदा का उपयोग कच्चे माल की तरह किए जाने के कारण यहां के लोग इसका भरपूर लाभ नहीं उठा पाते हैं. जबकि इसी वन संपदा को बाहर ले जाकर व्यापारी मालामाल हो जाते हैं.

INCOME BY FOREST PRODUCTS
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

लातेहार: झारखंड का लातेहार एक ऐसा जिला है जिसका बड़ा भूभाग जंगलों से आच्छादित है. इसी कारण यहां बड़े पैमाने पर वन उत्पादन का व्यापार होता है. जंगल में पाए जाने वाले तमाम प्रकार की मौसमी वन उत्पाद के साथ-साथ भारी मात्रा में जड़ी बूटियां भी ग्रामीणों के द्वारा इकट्ठा कर बेची जाती है. चाहे लह साल बीज (सखुआ) हों, या फिर महुआ, लाह हो या फिर डोरी. इसके अलावा मुंजनी, हरे, बहेरा, पियार दाना समेत अन्य वन उत्पादों से ग्रामीणों को हर वर्ष अच्छी आमदनी हो जाती है.

झारखंड के ग्रामीणों की आमदनी हो जाएगी चार गुनी (ईटीवी भारत)

यहां एक बड़ी बात यह है कि जानकारी के अभाव में अधिकांश ग्रामीण वन उत्पाद को कच्चे माल के रूप में ही व्यापारियों को बेच देते हैं. कच्चे माल के रूप में वन उत्पाद को बेचने से ग्रामीणों को मामूली लाभ ही मिल पाता है. ग्रामीण यह सोचते हैं कि बिना पूंजी लगाए जो भी फायदा मिल जाए उतना ही काफी है. स्थानीय ग्रामीण रामदेव उरांव ने बताया कि जंगल का उत्पाद बेचने से गरीबों को जो भी फायदा मिलता है, उसी में संतोष कर लेते हैं.

महुआ चुनते ग्रामीण (ईटीवी भारत)
वैल्यू एडिशन हो तो चार गुनी से अधिक बढ़ेगी आमदनी

लातेहार जिले के जंगली क्षेत्र में जितने बड़े पैमाने पर वन उत्पादों का उत्पादन होता है, उन उत्पादों का यदि सही तरीके से उपयोग हो तो यहां के ग्रामीण मालामाल हो जाएंगे. बताया जाता है कि अगर वन उत्पादों में वैल्यू एडिशन कर ग्रामीण उसकी बिक्री करेंगे तो ग्रामीणों को चार गुना से भी अधिक लाभ मिल पाएगा. उदाहरण के तौर पर लातेहार जिले में पाए जाने वाले सखुआ के बीज का उपयोग मुख्य रूप से खाद्य तेल या फिर दवा के तेल बनाने के रूप में किया जाता है. अगर सिर्फ सखुआ के बीज को यहां रिफाइंड करने की सुविधा उपलब्ध हो जाए तो उसकी कीमत 4 गुनी अधिक हो जाएगी.

झारखंड के जंगल (ईटीवी भारत)

इसी प्रकार पियार दाना को रिफाइंड कर किसान बाजार में बेचे तो उन्हें 4 से 5 गुना अधिक मुनाफा होगा. इस संबंध में लातेहार वन प्रमंडल पदाधिकारी रौशन कुमार ने बताया कि यदि स्थानीय ग्रामीण वन उत्पादों में वैल्यू एडिशन करने लगेंगे तो उनकी आमदनी अपेक्षाकृत काफी अधिक बढ़ जाएगी. उन्होंने बताया कि रॉ मटेरियल के रूप में वन उत्पाद को बेचने से किसानों को अपेक्षाकृत अधिक मुनाफा नहीं हो पता है. वन उत्पादों का वैल्यू एडिशन के लिए विभाग के द्वारा प्रयास भी किए जा रहे हैं.

लघु उद्योग के लिए विभाग देती है मदद

इधर, उद्योग विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यदि ग्रामीण चाहे तो उन्हें लघु उद्योग लगाने के लिए हर प्रकार की मदद विभाग के द्वारा उपलब्ध कराई जाती है. जो भी ग्रामीण मध्य या लघु उद्योग लगाना चाहते हो वह विभाग से संपर्क जरूर करें.

छोटे-छोटे प्रयास से हो सकता है वैल्यू एडिशन

वन उत्पादों के कच्चे माल को बाजार में सीधे उपयोग के लायक बनाने के लिए छोटे-छोटे प्रयासों की ही जरूरत है. छोटे-छोटे मशीन लगाकर वन उत्पादों को बाजार में उपयोग के लायक बनाया जा सकता है.

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