आईसीएमआर और पैनेसिया बायोटेक ने भारत में डेंगू वैक्सीन के तीसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण किया शुरू - Trials of Dengue Vaccine in India
डेंगू भारत में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय है और यह रोग के सर्वाधिक मामलों वाले शीर्ष 30 देशों में शामिल है. लेकिन अब यहां के लोगों को बड़ी राहत मिलने वाली है, क्योंकि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और पैनेसिया बायोटेक ने देश में डेंगू के टीके के लिए पहले चरण 3 के क्नीनिकल ट्रायल की शुरुआत कर दी है.
भारत में डेंगू वैक्सीन का ट्रायल शुरू (फोटो - ETV Bharat File)
नई दिल्ली: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और पैनेसिया बायोटेक ने भारत में डेंगू के टीके के लिए पहले चरण 3 के क्लीनिकल ट्रायल की शुरुआत की घोषणा की है. इस ट्रायल में पहले प्रतिभागी को बुधवार को पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (PGIMS), रोहतक में टीका लगाया गया.
इस ऐतिहासिक परीक्षण में पैनेसिया बायोटेक द्वारा विकसित भारत के स्वदेशी टेट्रावैलेंट डेंगू वैक्सीन, डेंगीऑल की प्रभावकारिता का मूल्यांकन किया जाएगा. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि "भारत के पहले स्वदेशी डेंगू वैक्सीन के लिए इस चरण 3 नैदानिक परीक्षण की शुरुआत डेंगू के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है."
नड्डा ने कहा कि "यह हमारे नागरिकों को इस व्यापक बीमारी से बचाने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है और वैक्सीन अनुसंधान और विकास में भारत की क्षमताओं को रेखांकित करता है. आईसीएमआर और पैनेसिया बायोटेक के बीच इस सहयोग के माध्यम से, हम न केवल अपने लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम उठा रहे हैं, बल्कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के अपने दृष्टिकोण को भी मजबूत कर रहे हैं."
आज तक, भारत में डेंगू के खिलाफ कोई एंटीवायरल उपचार या लाइसेंस प्राप्त टीका नहीं है. सभी चार सीरोटाइप के लिए अच्छी प्रभावकारिता हासिल करने की आवश्यकता के कारण एक प्रभावी वैक्सीन का विकास जटिल है. एक अधिकारी ने कहा कि भारत में, डेंगू वायरस के सभी चार सीरोटाइप कई क्षेत्रों में प्रसारित या सह-प्रसारित होते हैं.
टेट्रावैलेंट डेंगू वैक्सीन स्ट्रेन (TV003/TV005), जिसे मूल रूप से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH), यूएसए द्वारा विकसित किया गया था, उसने दुनिया भर में प्रीक्लिनिकल और क्लिनिकल परीक्षणों में आशाजनक परिणाम दिखाए हैं. पैनेसिया बायोटेक, जो इस स्ट्रेन को प्राप्त करने वाली तीन भारतीय कंपनियों में से एक है, विकास के सबसे उन्नत चरण में है.
अधिकारी ने कहा कि कंपनी ने इन स्ट्रेन पर व्यापक रूप से काम किया है, ताकि एक पूर्ण विकसित वैक्सीन तैयार की जा सके और इस काम के लिए एक प्रक्रिया पेटेंट भी उसके पास है. भारतीय वैक्सीन फॉर्मूलेशन के चरण 1 और 2 के क्लिनिकल परीक्षण 2018-19 में पूरे हो गए, जिससे आशाजनक परिणाम सामने आए.
अधिकारी ने आगे कहा कि "ICMR के सहयोग से, पैनेसिया बायोटेक भारत के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 19 साइटों पर चरण 3 का क्लिनिकल परीक्षण करेगा, जिसमें 10,335 से अधिक स्वस्थ वयस्क प्रतिभागी शामिल होंगे. परीक्षण, मुख्य रूप से पैनेसिया बायोटेक के आंशिक समर्थन के साथ ICMR द्वारा वित्त पोषित है, जिसमें प्रतिभागियों के साथ दो साल तक अनुवर्ती कार्रवाई की जाएगी."
अधिकारी ने कहा कि "यह पहल भारत की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक के लिए स्वदेशी वैक्सीन विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और आत्मनिर्भर भारत के प्रति राष्ट्र की प्रतिबद्धता को दर्शाता है." डेंगू भारत में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय है, जो इस बीमारी के सबसे अधिक मामलों वाले शीर्ष 30 देशों में शुमार है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पिछले दो दशकों में डेंगू के वैश्विक मामलों में लगातार वृद्धि हुई है, 2023 के अंत तक 129 से अधिक देशों में डेंगू वायरल बीमारी की रिपोर्ट की गई है. भारत में लगभग 75-80 प्रतिशत संक्रमण लक्षणविहीन होते हैं, फिर भी व्यक्ति में एडीज़ मच्छरों के काटने के माध्यम से इसका संक्रमण फैला सकते हैं.