नई दिल्ली :पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली हाई पावर्ड कमेटी ने 14 मार्च को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है. गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी गई इस रिपोर्ट में पैनल ने पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति के सभी सदस्यों की राय है कि एक साथ चुनाव कराया जाना चाहिए. बता दें, 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव को एक साथ कराए जाने का प्रस्ताव है. आपकी जानकारी के लिए बता दें, फिलहाल भारत में संसद और राज्य विधानसभा के चुनाव अलग-अलग ऑर्गनाइज किए जाते हैं.
21-खंड, 18,000 से अधिक पन्नों की इस रिपोर्ट में 'बेंचमार्किंग सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं' नामक एक अध्याय में दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन, बेल्जियम, जर्मनी, इंडोनेशिया और फिलीपींस में एक साथ होने वाली चुनाव प्रक्रिया की रूपरेखा दी गई है. पीटीआई भाषा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च-स्तरीय समिति ने पहले कदम के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की तथा इसके बाद 100 दिनों के भीतर एक साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की.
समिति की रिपोर्ट के अनुसार एक साथ चुनाव सब्जेक्ट पर गौर करने के दौरान अन्य देशों की प्रक्रियाओं का भी तुलनात्मक विश्लेषण किया गया. इसका उद्देश्य चुनावों में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं का अध्ययन करना और उन्हें अपनाना था. रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण अफ्रीका में मतदाता नेशनल असेंबली (संसद) और प्रांतीय विधानमंडलों के लिए एक साथ मतदान करते हैं. हालांकि, वहां नगर निकाय चुनाव पांच साल के अंतराल पर प्रांतीय चुनाव से अलग होते हैं.
इसमें कहा गया है कि दक्षिण अफ्रीका में 29 मई को आम चुनाव होंगे जिसमें संसद के साथ ही प्रत्येक प्रांत के विधानमंडल के लिए मतदान किया जाएगा. समिति की रिपोर्ट के अनुसार स्वीडन में आनुपातिक चुनावी प्रणाली व्यवस्था है, जिसके तहत राजनीतिक दलों को उन्हें मिले मतों के आधार पर निर्वाचित सदन में सीट सौंपी जाती है. इसमें कहा गया है कि उनके यहां ऐसी प्रणाली है जहां संसद (रिक्सडैग), काउंटी परिषदों और नगर परिषदों के लिए चुनाव एक साथ होते हैं. ये चुनाव हर चार साल में सितंबर के दूसरे रविवार को होते हैं जबकि नगरपालिका चुनाव हर पांच साल में एक बार सितंबर में दूसरे रविवार को होते हैं.
इस समिति के सदस्य सुभाष सी कश्यप ने जर्मनी में संसद द्वारा चांसलर की नियुक्ति की प्रक्रिया के अलावा अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के मॉडल का समर्थन किया. रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने उस प्रक्रिया के बारे में भी बताया जो जापान में अपनाई जाती है. जापान में, प्रधानमंत्री को पहले संसद द्वारा नियुक्त किया जाता है और उसके बाद सम्राट उन्हें मंजूरी देते हैं. उन्होंने जर्मन या जापानी मॉडल के समान एक मॉडल अपनाने की वकालत की. इंडोनेशिया में 2019 से एक साथ चुनाव कराए जा रहे हैं, जिसके तहत राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय विधायी निकायों के सदस्य एक ही दिन चुने जाते हैं.
रिपोर्ट में नामित पहला देश दक्षिण अफ्रीका है
रिपोर्ट बताती है कि विधानसभा के सदन या निचले सदन और प्रांतीय परिषदों का चुनाव एकल-सदस्यीय चुनावी प्रभागों में फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट वोटिंग द्वारा किया जाता है. राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं के लिए चुनावी प्रणाली 'पार्टी-सूची आनुपातिक प्रतिनिधित्व' पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि पार्टियों को चुनावी समर्थन के अनुपात में प्रतिनिधित्व किया जाता है. हर पांच साल में प्रांतीय और नगरपालिका परिषदों के लिए चुनाव होते हैं.
सीधे शब्दों में कहें तो, दक्षिण अफ्रीका में नेशनल असेंबली (भारत की लोकसभा के बराबर) और प्रांतीय विधानसभाओं (भारत की राज्य विधानसभाओं के बराबर) के सदस्यों का चुनाव करने के लिए हर पांच साल में आम चुनाव होते हैं. नगरपालिका चुनाव अलग-अलग होते हैं, आम तौर पर हर पांच साल में भी, हालांकि वे राष्ट्रीय चुनावों के साथ बिल्कुल मेल नहीं खाते हैं. दक्षिण अफ़्रीका राष्ट्रीय और प्रांतीय चुनावों के लिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली का पालन करता है. इसका मतलब यह है कि पार्टियों को प्राप्त वोटों के अनुपात के आधार पर नेशनल असेंबली और प्रांतीय विधानसभाओं में सीटें दी जाती हैं.
नेशनल असेंबली के चुनावों में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र का प्रत्येक दक्षिण अफ्रीकी नागरिक मतदान कर सकता है, जिसमें (2014 के चुनाव के बाद से) दक्षिण अफ्रीका के बाहर रहने वाले लोग भी शामिल हैं. प्रांतीय विधायिका या नगरपालिका परिषद के चुनावों में, केवल प्रांत या नगर पालिका के भीतर रहने वाले लोग ही मतदान कर सकते हैं. स्वतंत्र चुनाव आयोग (आईईसी) दक्षिण अफ्रीका में चुनावों के प्रबंधन और निगरानी के लिए जिम्मेदार निकाय है. यह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए संविधान द्वारा स्थापित एक स्वतंत्र संस्था है.
दक्षिण अफ़्रीका में प्रत्येक मतदाता को मतदान के लिए पंजीकरण के समय मतदाता के निवास के आधार पर एक मतदान जिला सौंपा जाता है. प्रत्येक मतदान जिला विशिष्ट रूप से एक ही मतदान केंद्र से जुड़ा हुआ है। जो मतदाता चुनाव के दिन अपने पंजीकृत जिले से बाहर हैं वे दूसरे मतदान केंद्र पर मतदान कर सकते हैं, लेकिन अतिरिक्त कागजी कार्रवाई की आवश्यकता होती है. चुनाव प्रक्रिया के बाहर मतदान जिलों का कोई महत्व नहीं है, और कुशलतापूर्वक चुनाव की योजना बनाने और प्रशासन करने के उद्देश्य से जिले की सीमाएं खींची जाती हैं.