नई दिल्ली/लखनऊ/हाथरसः हाथरस हादसे का मुख्य आरोपी देव प्रकाश मधुकर दिल्ली के एक अस्पताल से गिरफ्तार कर लिया गया है. यूपी पुलिस ने मधुकर पर एक लाख का इनाम घोषित किया हुआ था. जबकि सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के वकील एपी सिंह ने दावा किया है कि मधुकर हार्ट का मरीज हैं, तबीयत ठीक न होने के कारण उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हालत में सुधार होने पर उन्होंने खुद पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. इससे पूर्व पुलिस इस मामले में छह लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. मधुकर के अधिवक्ता का कहना है कि उसने सरेंडर किया है. समिति से जुड़े 17 अन्य सेवादारों को भी गिरफ्तार किया गया है. उनसे पूछताछ की जा रही है. वहीं, देर शाम मुख्य आरोपी देव प्रकाश मधुकर को CJM कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
देव प्रकाश मधुकर का जिला अस्पताल में हुआ मेडिकल
दोपहर बाद सत्संग कांड के मुख्य आरोपी देव प्रकाश मधुकर को जिला अस्पताल लाया गया. जहां इसका डॉक्टरी परीक्षण हुआ. एसपी निपुण अग्रवाल ने बताया कि मुख्य आरोपी और कार्यक्रम आयोजक देव प्रकाश मधुकर को हाथरस की एसओजी ने शुक्रवार की देर शाम नजफगढ़ दिल्ली से गिरफ्तार किया है. जबकि सिकंदराऊ पुलिस द्वारा शनिवार को राम प्रकाश शाक्य को केलोरा चौराहे से और संजू यादव को गोपालपुर कचौरा से गिरफ्तार किया गया है. इससे पहले 6 आरोपियों को पहले ही गिरफ़्तार किया जा चुका है. पूछताछ में यह भी पता चला है कि कुछ समय पूर्व कुछ राजनीति दलों द्वारा इन्हें संपर्क किया गया था. फंड इकट्ठा करने के संबंध में गहनता से जांच की जा रही है कि कहीं किसी तरह के कार्यक्रम में इनके संसाधन किसी राजनीतिक पार्टी के द्वारा पोषित तो नहीं किए जा रहे हैं. अब तक की पूछताछ से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कोई राजनीतिक दल अपने राजनीतिक और निजी स्वार्थ के लिए इनसे जुड़ रहा है.
जानबूझकर बाबा के काफिले को भीड़ के बीच से निकाला गया था
एसपी ने बताया कि मधुकर ने 2010 से वह मनरेगा में जूनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत है. कई वर्षों से बाबा की समिति से जुड़ा हुआ है और कार्यक्रम आयोजित करता था. संगठन के लिए फंड इकट्ठा करने का काम करता है. इस कार्यक्रम की अनुमति मधुकर ने ही ली थी. एसपी ने बताया कि उनके सेवादार तरह-तरह की वेशभूषा में कमांडो की ड्रेस में सारी व्यवस्थाएं देखते थे. कार्यक्रम स्थल पर वीडियो और फोटोग्राफी करने से रोका जाता था. सत्संग के दिन व्यवस्था ठीक नहीं थी. प्रशासन की ओर से जारी अनुमति पत्र में शर्तों का उल्लंघन करते हुए यातायात को प्रभावित किया था. आयोजकों द्वारा द्वारा भीड़ को संभालने का कोई प्रयास नहीं किया गया. हादसे के समय सेवादार मौके से फरार हो गए. सेवादारों द्वारा अवस्था फैलाई गई, जिस वजह से घटना घटी और जान गई. सेवादारों द्वारा प्रवचनकर्ता की गाड़ी को भीड़ के बीच से निकाल गया था. जबकि इनको इसकी जानकारी थी की भीड़ के बीच से निकलते समय चरण रज के लिए भगदड़ मच सकती है.
न्यायिक जांच आयोग ने घटना स्थल का किया मुआयना
सरकार ने हाथरस भगदड़ हादसे की जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग का भी गठन कर दिया है. इसमें रिटायर्ड जज ब्रजेश श्रीवास्तव अध्यक्ष और पूर्व आईपीएस भावेश कुमार व पूर्व आईएएस हेमंत राव सदस्य हैं. इस आयोग ने अपनी जांच शुरू भी कर दी है. न्यायिक जांच आयोग की टीम ने आज घटना स्थल मौका मुआयना किया और अधिकारियों से भी बातचीत की. टीम ने सिकंदराराऊ सीएससी स्थित ट्रॉम सेंटर का भी दौरा किया. जस्टिस रिटायर्ड जस्टिस बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने पूरा स्पॉट देखा है. लोग किधर से आए किधर से गए, क्या कैपेसिटी हो सकती थी और कहां पर चूक हुई. उन्होंने बताया कि जिससे भी जरूरत समझेंगे, बातचीत और पूछताछ करेंगे. अभी हमें नहीं मालूम कि हमारे पास क्या-क्या एविडेंस आ रही है. उन्होंने कहा कि दो महीने में जांच पूरी कर ली जाएगी.
दो जुलाई को भगदड़ से हुई थीं 121 मौतें, मधुकर था मुख्य आरोपी
2 जुलाई को हाथरस के सिकंदराराऊ में भोलेबाबा के सत्संग कार्यक्रम के बाद भगदड़ मच गई थी, जिसमें 121 लोगों की मौत हुई थी. इस मामले में सिकंदराराऊ थाने में 2 जुलाई को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 105 (हत्या के बराबर न होने वाली गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा) और 238 (साक्ष्य मिटाना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. इसमें देव प्रकाश मधुकर मुख्य आरोपी बनाया गया था. हादसे के बाद योगी सरकार ने फौरी तौर पर हादसे की जांच के लिए एसआईटी गठित की थी. इसमें कमिश्नर अलीगढ़ और एडीजी आगरा जोन सदस्य थे.
एडीजी आगरा जोन अनुपम कुलश्रेष्ठ ने बताया कि भोलेबाबा के सत्संग में अनुमान से भी अधिक भीड़ आई थी. ये भीड़ भोले बाबा को देखने के लिए अनियंत्रित तरीके से आगे बढ़ी और फिर भगदड़ मच गई. उन्होंने कहा कि यह भगदड़ लापरवाही और बदइंतजामी की वजह से मची थी. इतना ही नहीं जब इस सत्संग कार्यक्रम की प्रशासन से इजाजत ली गई थी उस पर आयोजन समिति ने अपने स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम करने का आश्वासन दिया था, उसके बावजूद बदइतंजामी नजर आई.
अयोध्या के संतों ने भोले बाबा को कहा ढोंगी, बोले-गलती करें स्वीकार
अयोध्या: हाथरस में हुए दर्दनाक घटना को अयोध्या के साधु संत भी दुखद बताया है. इस घटना के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि सूरजपाल या भोले बाबा के नाम से जो प्रसिद्ध व्यक्ति है, वह घटना देखकर भाग गए और भूमिगत हो गए. अब इतने दिनों बाद दुख जता रहे हैं. वकील के माध्यम से सारी व्यवस्थाएं बता रहे हैं, अगर कोई घटना घटती है तो जो भी कथा कहता है उसी की जिम्मेदारी होती है. जांच में भी अपराधी माने गए हैं, ऐसे लोगों को जेल होना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह इतनी बड़ी गलती है कि जिसे क्षमता नहीं किया जा सकता है.
मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास ने कहा कि आजकल लोग ढोंग और चमत्कार की ओर दौड़ रहे हैं. यह घटना बहुत ही दुखद है. इस प्रकार की घटना समाज में नहीं होनी चाहिए. लेकिन आजकल की जनता भी बहुत मूर्ख है, आज समाज में यह स्थिति है कि जो जितना बड़ा मूर्ख है उतना ही बड़ा कथावाचक बन गया है. इस प्रकार से नहीं होना चाहिए. आजकल अच्छे लोगों को कोई नहीं पूछता सिर्फ चमत्कार और धुंध की तरफ आकर्षित हो रहे हैं.