नायब सैनी सरकार पर संकट के बीच कांग्रेस का बड़ा बयान, हम सरकार नहीं बनाना चाहते बल्कि... - Haryana Political Crisis
Haryana Political Crisis: हरियाणा में सियासी उठापठक जारी है. विपक्ष बीजेपी की नायब सैनी सरकार को अल्पमत में बताकर फ्लोर टेस्ट की मांग कर रहा है. इसी सिलसिले आज कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलने पहुंचा लेकिन उससे पहले ही राज्यपाल तेलंगाना के लिए रवाना हो गये. इस बीच नायब सैनी सरकार गिराने को लेकर कांग्रेस नेता आफताब अहमद ने बड़ा बयान दिया है.
चंडीगढ़ में कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. (Photo- ETV Bharat)
चंडीगढ़:तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद से बीजेपी की नायब सैनी सरकार अल्पमत में बताई जा रही है. इसके बाद से ही विपक्ष सरकार से इस्तीफे की मांग कर रहा है. इसी सिलसिले में आज कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मिलने का समय मांगा था. लेकिन उनकी पहुंचने से पहले ही राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय चंडीगढ़ से बाहर निकल गये. बताया जा रहा है कि राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय तेलंगाना निकल गये. इस बीत कांग्रेस विधायक दल के उपनेता आफताब अहमद ने बीजेपी सरकार को गिराने को लेकर बड़ा बयान दिया.
कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को नहीं मिले राज्यपाल
10 मई को दोपहर बाद कांग्रेस का दो सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलने के लिए राजभवन पहुंचा. इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस विधायक दल के उपनेता आफताब अहमद और बीबी बत्ता शामिल थे. लेकिन जब दोनों नेता राजभवन पहुंचे तो उन्हें राज्यपाल के नहीं होने का पता चला और उन्हें बैरन वापस लौटना पड़ा. जानकारी मिली है कि राज्यपाल चंडीगढ़ से तेलंगाना के लिए रवाना हो गये हैं.
हम सरकार नहीं बनाना चाहते- आफताब अहमद
कांग्रेस विधायक दल के उपनेता आफताब अहमद ने कहा कि लोकतंत्र की बहाली के लिए जरूरी है कि सरकार बहुमत साबित करे. इसलिए हम मांग कर रहे हैं कि राष्ट्रपति शासन लगाया जाए या वोट ऑफ कॉन्फिडेंस के लिए सत्र बुलाया जाए. हरियाणा में जिस तरह से जोड़-तोड़ हो रही है, वैसे ना हो इसलिए राज्यपाल इसका संज्ञान लें. कांग्रेस तीन महीने के लिए सरकार नहीं बनाना चाहती बल्कि हमारी मांग है कि नए सिरे से जनादेश के बाद नई सरकार बने.
राज्यपाल से मिलने पहुंचे कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल में शामिल बीबी बत्रा ने कहा कि राजभवन की ओर से हमें मिलने का समय दिया गया था. हमने पार्टी की ओर से अपना ज्ञापन ऑफिस सेक्रेटरी को सौंप दिया गया है. गवर्नर से हमें समय मिला था लेकिन वो राजभवन से निकल चुके हैं. हमने सेक्रेटरी सीमा अग्रवाल को ज्ञापन सौंप दिया है कि ये सरकार अल्पमत में है.
नायब सैनी जब सीएम सीएम बने, तब विधानसभा में 89 सदस्य थे। इस समय सरकार अल्पमत में है। जेजेपी और इनेलो ने भी पत्र राज्यपाल को दिया है. हमारे 30 सदस्य हैं. तीन निर्दलीय ने सैनी सरकार से समर्थन वापस लिया। कांग्रेस का बाहर से समर्थन किया. विपक्ष के कुल इस वक्त 45 सदस्य हैं.जबकि सत्ता पक्ष के पास 43 विधायक हैं. हम राज्यपाल को ज्ञापन देने गए थे, वे तेलंगाना किसी काम से गए हैं. हमने सेक्रेटरी को ज्ञापन दिया. हमने राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की. क्योंकि यह सरकार अल्पमत में है. इस सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं. हम राष्ट्रपति शासन की मांग इसलिए कर रहे हैं ताकि हॉर्स ट्रेडिंग ना हो. बीबी बत्रा, कांग्रेस विधायक
कांग्रेस का ज्ञापन (कांग्रेस की प्रेस रिलीज)
भूपेंद्र हुड्डा और दुष्यंत चौटाला में बयानबाजी
तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेते ही जेजेपी नेता और पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने अपने फैसले से इस सियासी आग को और हवा दे दी. दुष्यंत ने ऐलान कर दिया कि अगर कांग्रेस नायब सैनी सरकार को गिराती है तो वो अपने 10 विधायकों के साथ कांग्रेस का बाहर से समर्थन करेंगे. इसके बाद पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने भी तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए दुष्यंत चौटाला को अपने विधायक लेकर चंडीगढ़ पहुंचने की चुनौती दे डाली.
जेजेपी और इनेलो भी कर चुके फ्लोर टेस्ट की मांग
जननायक जनता पार्टी और इंडियन नेशनल लोकदल भी राज्यपाल को खत लिखकर फ्लोर टेस्ट की मांग कर चुके हैं. दोनों दलों ने कहा है कि नायब सैनी अल्पमत में है इसलिए उन्हें बहुमत साबित करने के लिए कहा जाये. इसके बाद सरकार पर संकट और बढ़ गया. वहीं कांग्रेस पहले ही मांग कर चुकी है. इसलिए सरकार की मुसीबत ज्यादा बढ़ गई है.
जयराम रमेश ने की राष्ट्रपति शासन की मांग
कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को राजभवन की ओर से मिलने का समय दिया गया था. लेकिन उनके पहुंचने के बाद जानकारी दी गई कि राज्यपाल ऑफिस में मौजूद नहीं हैं. बीजेपी सरकार के अल्पमत में होने के मुद्दे पर पूरी कांग्रेस सक्रिय हो गई है. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि दिल्ली और हरियाणा दोनों जगहों पर बीजेपी के गिनती के दिन रह गये हैं. हरियाणा की बीजेपी सरकार बहुमत खो चुकी है इसलिए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए.