देहरादून (उत्तराखंड): पहाड़ी जिले नैनीताल के हल्द्वानी शहर में हुई हिंसा की चर्चा देशभर में की जा रही है. अब तक हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई है. इस मामले में पुलिस भी एक्शन में है. अबतक 5 हजार लोगों पर मुकदमा दर्ज किया जा चुका है. 19 नामजद में से 5 को अरेस्ट किया गया है. इसके साथ ही उपद्रवियों पर NSA लगाने की तैयारी है. इस मामले में धामी सरकार शुरू से हीसख्त नजर आ रही है. हल्द्वानी में हिंसा बढ़ने की सूचना के बाद शूट एट साइट का आदेश दिया गया. आखिर क्या होता है शूट एट साइट का आदेश, कौन इसके आदेश देता है? किस कानून के तहत कार्रवाई होती है? आपको बताते हैं.
शूट एट साइट का अर्थ: शूट एट साइट का सीधा मतलब देखते ही गोली मारने के आदेश से है. हालात काबू से बाहर होने के दौरान ही शूट एट साइट का ऑर्डर दिया जाता है. दंगा, आगजनी में अक्सर ऐसे हालात बन जाते हैं, जब ऐसे ऑर्डर दिए जाते हैं. इस आदेश में सुरक्षाबलों, पुलिसकर्मियों को हालात के मद्देनजर बिना किसी चेतावनी या बिना किसी गिरफ्तारी करने की कोशिश करे गोली मारने के आदेश दिए जाते हैं. शूट एट साइट का मतलब किसी को जान से मारने से नहीं होता है. ये आदेश केवल हालातों को काबू करने के परिपेक्ष में दिया जाता है.इसमें हालातों को सुनिश्चिचत किया जाता है. ये रेयर ऑर्डर शांति और सुरक्षा के खतरे को देखते हुए किया जाता है.
सीआरपीसी में है प्रावधान: शूट एट साइट का ऑर्डर राज्य सरकार द्वारा अमल में लाया जाता है. सीआरपीसी की धारा 1973 की धारा 41 से 60, धारा 149-152 के तहत गिरफ्तारी, अपराधों की रोकथाम या फिर गैरकानूनी सभाओं को भंग करने से संबंधित शक्तियों के लिए शूट एंड साइट का ऑर्डर दिया जाता है.