ग्वालियर:लंबे समय से जिस मैच का इंतजार था वह समय आ चुका है. 14 साल का वनवास खत्म कर ग्वालियर में क्रिकेट की एक बार फिर धूम मचने वाली है. ग्वालियर के नए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में भारत और बांग्लादेश के बीच रविवार को टी-20 क्रिकेट मैच होने जा रहा है. BCCI, MPCA और प्रशासन ने सारी व्यवस्थाएं जमा ली हैं लेकिन अब इस मैच को लेकर उठ रहे विरोध के स्वर तेज हो रहे हैं. हिंदू संगठन मैच की घोषणा होने के साथ ही इसका विरोध कर रहे हैं.
बांग्लादेश में हिंदूओं पर अत्याचार का विरोध
हिंदू महासभा द्वारा भारत और बांग्लादेश के बीच हो रहे मैच को लेकर अब विरोध आंदोलन का रूप ले चुका है. यही वजह है कि भारत और बांग्लादेश के बीच होने जा रहे मैच को लेकर 2 अक्टूबर के दिन हिंदू महासभा ने काला दिवस मनाया और अब रविवार को जब मैच होने जा रहा है तो समस्त ग्वालियरवासियों से ग्वालियर बंद का आह्वान किया है.
हिंदुओं की हत्याओं पर ताली बजाने वाले बर्दाश्त नहीं
हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयवीर भारद्वाज का कहना है कि, ''जिस प्रकार बांग्लादेश के अंदर हिंदुओं का कत्लेआम हुआ. हिंदुओं के मंदिरों को तोड़ा गया हिंदुओं की बहन बेटियों की इज्जतें लूटी गईं, उनके मकानों को खाली कराया गया और आज भी वह कर्म जारी है. उसके बाद भी भारत सरकार अपनी विदेश नीति पर बदलाव नहीं करके उस मैच को ग्वालियर के अंदर और अन्य प्रदेशों में करा रही है. इसलिए हिंदू महासभा को खुले मैदान में आना पड़ा और हम इसका विरोध करेंगे. क्योंकि हिंदुओं की हत्याओं पर ताली बजाने वाले लोगों को हम इस मैच के अंदर कतई बर्दाश्त नहीं कर सकते.''
विरोध में पहले खून से पत्र लिखा, फिर कला दिवस मनाया
जयवीर भारद्वाज का कहना है कि, ''हमने मैच का लगातार विरोध किया, लेकिन उसके बाद भी मैच कराया जा रहा है. हमने खुद प्रधानमंत्री को अपने खून से लिखकर चिट्ठी भेजी, प्रदर्शन कर काला दिवस मनाया. लेकिन हमारा यह आंदोलन रुकने वाला नहीं है. यह मैच अगर बांग्लादेश के अलावा किसी भी दूसरे देश के साथ होता तो हिंदू महासभा इसका समर्थन करती उसका स्वागत करती.''