नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को कुशल भारतीय कार्यबल के लिए वीजा की संख्या 20 हजार से बढ़ाकर 90 हजार करने के जर्मनी के फैसले की घोषणा की. पीएम मोदी ने कहा कि इससे जर्मनी के विकास को नई गति मिलेगी. पीएम मोदी ने नई दिल्ली के दौरे पर आए जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के साथ आज 7वें अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) कार्यक्रम में शामिल हुए.
बता दें कि, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज भारत के तीन दिनों के दौरे पर हैं. भारत पहुंचने पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इस दौरान पीएम मोदी ने जर्मनी के कारोबारियों को भारत में निवेश करने का न्योता भी दिया. साथ ही भारत की ओर से चीन को कड़ा संदेश देते हुए जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने कहा कि एकतरफा निर्भरता से बचने की जरूरत है, खास तौर पर रणनीतिक महत्व के क्षेत्रों में.
दोनों नेताओं ने रक्षा, सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और नवाचार, ऊर्जा, हरित और सतत विकास के क्षेत्रों में भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी में हुई प्रगति की व्यापक समीक्षा की. भारत-जर्मनी संबंधों को विस्तारित और उन्नत करने के लिए, एआई, सेमीकंडक्टर, स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्रों में नई पहल की गई.
जर्मनी के व्यापार जगत के एशिया प्रशांत सम्मेलन में बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "हमने आने वाले 25 सालों में विकसित भारत का रोडमैप तैयार किया है. मुझे खुशी है कि इस महत्वपूर्ण समय में, जर्मन कैबिनेट ने 'भारत पर ध्यान' दस्तावेज जारी किया है....जर्मनी ने कुशल भारतीय कार्यबल के लिए वीजा की संख्या 20,000 से बढ़ाकर 90,000 करने का फैसला किया है. इससे जर्मनी के विकास को नई गति मिलेगी".
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, "दुनिया की दो अग्रणी अर्थव्यवस्थाएं मिलकर वैश्विक भलाई के लिए एक ताकत बन सकती हैं और भारत पर फोकस दस्तावेज इसके लिए एक खाका प्रदान करता है. इसमें जर्मनी का समग्र दृष्टिकोण और रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है. विशेष रूप से जर्मनी ने भारत के कुशल कार्यबल में जो भरोसा जताया है, वह उल्लेखनीय है."
पीएम मोदी ने आगे कहा कि, यह भारत की विकास गाथा में शामिल होने का सही समय है. उन्होंने कहा, "जब भारत की गतिशीलता और जर्मनी की सटीकता मिलती है, जब जर्मनी की इंजीनियरिंग और भारत का नवाचार मिलता है और जब जर्मनी की तकनीक और भारत की प्रतिभा मिलती है - तो यह इंडो-पैसिफिक सहित दुनिया के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करता है. "आप सभी व्यवसाय की दुनिया में हैं और आपके पास 'जब हम मिलते हैं, तो हमारा मतलब व्यवसाय होता है' का मंत्र है. लेकिन, भारत आना केवल व्यवसाय के लिए नहीं है. यदि आप भारत की संस्कृति, भोजन और खरीदारी के लिए समय नहीं देते हैं, तो आप कई चीजों से चूक जाएंगे. मैं आपको आश्वासन देता हूं, आप खुश रहेंगे और घर वापस आकर आपका परिवार खुश रहेगा."
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत लोकतंत्र, जनसांख्यिकी, मांग और डेटा के चार मजबूत स्तंभों पर खड़ा है. प्रतिभा, प्रौद्योगिकी, नवाचार और बुनियादी ढांचा भारत के विकास के उपकरण हैं. उन्होंने कहा, "इन सभी को आगे बढ़ाने के लिए भारत में एक मजबूत ताकत है - एआई - आकांक्षी भारत और कृत्रिम बुद्धिमत्ता - यह दोहरी शक्ति भारत में है... भारत भविष्य की दुनिया की जरूरतों पर काम कर रहा है."
यह ध्यान देने योग्य है कि जर्मनी ने हाल ही में भारत पर केंद्रित एक कुशल श्रम रणनीति की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य जर्मनी में कार्यबल की गंभीर कमी को दूर करने के लिए भारत से जर्मनी में कुशल कार्यबल की गतिशीलता में सुधार करना है.यह पहली देश-विशिष्ट रणनीति है जिसे जर्मनी ने इस संबंध में पेश किया है. सूत्रों के अनुसार, जर्मनी भारत से कुशल श्रमिकों को आकर्षित करने को लेकर इच्छुक है. देश में पहले से ही 50 हजार भारतीय छात्र हैं, जो इसके विश्वविद्यालयों में सबसे बड़ा गैर-जर्मन समूह है.
जर्मन चांसलर का भारतीय धरती से चीन को कड़ा संदेश
वहीं, भारत की ओर से चीन को कड़ा संदेश देते हुए जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने शुक्रवार को कहा कि एकतरफा निर्भरता से बचने की जरूरत है, खास तौर पर रणनीतिक महत्व के क्षेत्रों में. जर्मन व्यापार के 16वें एशिया प्रशांत सम्मेलन को संबोधित करते हुए ओलाफ स्कोल्ज ने कहा, "हमें एकतरफा निर्भरता से बचना चाहिए, खास तौर पर रणनीतिक महत्व, महत्वपूर्ण कच्चे माल, प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में. चीन, जो अब एक औद्योगिक दिग्गज है, को विकासशील देश के रूप में प्राप्त विशेष व्यवहार को छोड़ देना चाहिए."
उन्होंने कहा, "कोरियाई प्रायद्वीप, दक्षिण और पूर्वी चीन सागर सभी संभावित संघर्षों के केंद्र बने हुए हैं, भले ही हम सभी को उम्मीद है कि इन संघर्षों को रोका जा सकता है...आइए हम इन संघर्षों के राजनीतिक समाधान लाने के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं, करें."उन्होंने कहा, "21वीं सदी की दुनिया ऐसी है जहां प्रगति एक ऐसा प्रश्न है जिसके लिए हमें काम करना होगा. ले
दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "यह भारत की विकास कहानी में शामिल होने का सही समय है. जब भारत की गतिशीलता और जर्मनी की सटीकता मिलती है, जब जर्मनी की इंजीनियरिंग और भारत का नवाचार मिलता है और जब जर्मनी की तकनीक और भारत की प्रतिभा मिलती है - तो यह इंडो-पैसिफिक सहित दुनिया के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करता है".
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "आप सभी व्यापार जगत से जुड़े हैं और आपका मंत्र है कि 'जब हम मिलते हैं, तो हमारा मतलब व्यापार होता है'. लेकिन भारत आना केवल व्यापार के लिए नहीं है. यदि आप भारत की संस्कृति, खानपान और खरीदारी के लिए समय नहीं देंगे, तो आप कई चीजें मिस कर देंगे. मैं आपको आश्वासन देता हूं कि आप खुश रहेंगे और घर वापस आकर आपका परिवार भी खुश रहेगा."
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