नई दिल्ली: विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारत के लिए आसियान उसकी एक्ट ईस्ट नीति और उसके बाद उस पर निर्मित इंडो-पैसिफिक विजन की आधारशिला है. लाओस में आयोजित आसियान-भारत विदेश मंत्रियों की बैठक के उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन में डॉ. जयशंकर ने कहा, 'भारत आसियान और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) मंचों को जो प्राथमिकता देता है, जो पिछले वर्ष जी-20 शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री मोदी की जकार्ता यात्रा से स्पष्ट है. उन्होंने 12 सूत्री योजना की घोषणा की थी जिस पर बड़े पैमाने पर अमल किया गया है.'
उन्होंने कहा, 'भारत के लिए, आसियान इसकी एक्ट ईस्ट नीति और उसके बाद इस पर निर्मित हिंद-प्रशांत विजन की आधारशिला है.' हमारे लिए आसियान के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग सर्वोच्च प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि इसी प्रकार लोगों के बीच आपसी संपर्क भी महत्वपूर्ण है, जिसे हम निरंतर बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह जानकर बहुत खुशी हो रही है कि हमारी साझेदारी प्रत्येक बीतते वर्ष के साथ और अधिक आयाम प्राप्त कर रही है. उन्होंने कहा, 'हालांकि हमारी उपलब्धियां पर्याप्त हैं, लेकिन हमारी महत्वाकांक्षाएं हमेशा ऊंची रहनी चाहिए.' पिछले वर्ष प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की थी कि हम दिल्ली में एक दूतावास खोलेंगे.
उन्होंने कहा कि हम बहुत जल्द ही ऐसा करने जा रहे हैं और वास्तव में वहां उच्च स्तरीय यात्राएं भी की जाएंगी. उन्होंने आसियान की अध्यक्षता के लिए लाओ पीडीआर को बधाई दी और सफल अध्यक्षता के लिए भारत का पूर्ण समर्थन जताया. विदेश मंत्रालय ने उनकी यात्रा से पहले नई दिल्ली में कहा था कि जयशंकर की लाओस यात्रा अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इस वर्ष भारत की एक्ट ईस्ट नीति का एक दशक पूरा हो रहा है जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में नौवें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में की थी. 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' विभिन्न स्तरों पर विशाल एशिया-प्रशांत क्षेत्र के साथ आर्थिक, सामरिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने की एक कूटनीतिक पहल है.