नई दिल्ली:दिल्ली में जापानी इंसेफ्लाइटिस का पहला मामला सामने आया है. AIIMS की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, जापानी बुखार से पीड़ित मरीज की इलाज के बाद छुट्टी कर दी गई है. सीने में दर्द के बाद 3 नवंबर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था. नगर स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को 13 साल बाद जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) का पहला मामला दर्ज किया है.
उधर, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत कदम उठाते हुए सभी जिला स्वास्थ्य अधिकारियों और महामारी विशेषज्ञों को लार्वा नियंत्रण के उपायों को तेज करने और जापानी इंसेफेलाइटिस के प्रसार को रोकने के लिए जागरुकता अभियान शुरू करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही मच्छरों से निपटने की दिशा में भी कदम उठाए जाने का निर्देश दिया है.
बता दें कि जापानी बुखार से पीड़ित व्यक्ति दिल्ली के वेस्ट जोन के बिदापुर में रहता है. दिल्ली नगर निगम ने उसके घर के आसपास रहने वाले लोगों की भी जांच की है. नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक, जांच के बाद पता चला है कि कि मरीज मूलरूप से नेपाल का रहने वाला है. हाल ही में वो नेपाल से लौटा था. पीड़ित यूपी से होते हुए दिल्ली लौटा था. लौटते ही वह बीमार हो गया. मरीज की इलाज के बाद छुट्टी कर दी गई है.
यूपी और बिहार में हैं इंसेफ्लाइटिस के केस
जानकारी के मुताबिक, जापानी इंसेफ्लाइटिस आमतौर बिहार और यूपी में पाया जाता है. बीते साल भी एलएनजेपी अस्पताल में तीन बच्चे एडमिट हुए थे. इस बार इस वायरस का संक्रमण दिल्ली तक पहुंच चुका है. चिकित्सकों का कहना है कि वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग बेहतर है. ये संक्रमण फैलाने वाला क्यूलेक्स मच्छर रात में काटता है.
सफदरजंग अस्पताल के कम्युनिटी मेडिसिन के एचओडी जुगल किशोर ने बताया कि जापानी इंसेफ्लाइटिस का वायरस यूपी और बिहार में देखा जाता है. दिल्ली में इस संक्रमण के सामने आने के दो कारण हो सकते हैं. एक तो मरीज की ट्रैवल हिस्ट्री इन दोनों राज्यों या संक्रमण वाली जगह से हो सकती है. दूसरा कारण ये हो सकता है कि मरीज के अलावा भी कोई अन्य भी संक्रमित है. उसके जरिए मच्छर से संक्रमण फैला है.
जापानी इंसेफ्लाइटिसके लक्षण व खतरा
जापानी इंसेफेलाइटिस मच्छरों द्वारा फैलने वाला एक खतरनाक वायरल संक्रमण है, जो मस्तिष्क को प्रभावित करता है. संक्रमित मच्छरों के काटने से यह बीमारी फैलती है. इसके अधिकांश मामलों में हल्के लक्षण होते हैं. जैसे बुखार, सिरदर्द और उल्टी लेकिन गंभीर मामलों में मस्तिष्क में सूजन, दौरे और कोमा जैसी समस्याएं हो सकती हैं. खासकर बच्चों में इस बीमारी के कारण दौरे और अन्य मस्तिष्क संबंधी लक्षण ज्यादा देखे जाते हैं. इस बीमारी का खतरा उन क्षेत्रों में अधिक होता है, जहां स्वच्छता की कमी होती है और मच्छरों का प्रजनन तेजी से होता है. यह बीमारी खासतौर पर गर्मियों और बरसात के मौसम में फैलने की अधिक संभावना रहती है. अध्ययन बताते हैं कि जिन स्थानों पर यह वायरस पहले से ही मौजूद है, वहां यात्रा करने से संक्रमण का जोखिम बढ़ सकता है.
मस्तिष्क संबंधी ये हैं खतरे
जापानी इंसेफेलाइटिस मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डाल सकता है, जिसके कारण जीवन भर की जटिलताएं जैसे सुनाई नहीं देना, शरीर के एक हिस्से की कमजोरी और भावनाओं का अनियंत्रित होना हो सकती हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि मच्छरों से बचाव और स्वच्छता बनाए रखने से इस खतरनाक बीमारी से बचा जा सकता है.
क्या जापानी इंसेफ्लाइटिस से बचाव के लिए कोई वैक्सीन है?
भारत सरकार ने अप्रैल 2013 से जापानी इंसेफ्लाइटिस के लिए वैक्सीनेशन कार्यक्रम शुरू किया है. यह दो खुराक वाली वैक्सीन है, जिसमें पहली खुराक 9 महीने की उम्र में दी जाती है, जो खसरे के साथ होती है. जबकि दूसरी खुराक 16-24 महीने की उम्र में दी जाती है. यह टीका बच्चों को जापानी इंसेफ्लाइटिस और इसके गंभीर परिणामों से बचाने में मदद करता है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार जापानी इंसेफेलाइटिस के खिलाफ सबसे प्रभावी उपाय इसका टीकाकरण और मच्छरों से बचाव हैं. अगर समय रहते इस पर ध्यान दिया जाए तो इस घातक बीमारी से बचा जा सकता है.
ये भी पढ़ें-दिल्ली चुनाव से पहले फिर उठा अनधिकृत कॉलोनियों का मुद्दा, जानिए क्या है एक्सपर्ट की राय
ये भी पढ़ें- आयुष्मान भारत योजना पर राजी हुई दिल्ली सरकार, स्वास्थ्य विभाग को दिया ये निर्देश, जानिए किसे मिलेगा कितना फायदा?