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किसान आंदोलन और सियासत, क्या हरियाणा में आने वाले चुनावों पर पड़ेगा असर?

Farmers Protest 2024 Update: किसान दिल्ली चलो मार्च को लेकर 13 फरवरी से किसान शंभू बॉर्डर पर डेरा जमाए बैठे हैं. बॉर्डर पर किसान और पुलिस के बीच गहमागहमी का माहौल है. प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस की ओर से लगातार आंसू गैस छोड़े जा रहे हैं. इसी बीच किसान आंदोलन को लेकर सियासत भी तेज हो गई है. विपक्ष इस मुद्दे को लेकर आगामी लोकसभा चुनाव और हरियाणा विधानसभा चुनाव में सरकार को घेरने की तैयारी में है.

kisan andolan and politics
किसान आंदोलन और सियासत

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 15, 2024, 7:41 AM IST

चंडीगढ़: एक तरफ शंभू बॉर्डर पर किसान दिल्ली चलो मार्च के तहत जुटे हुए हैं. वहीं, उनको रोकने के लिए हरियाणा और केंद्र की तरफ से सुरक्षा कर्मियों की बड़ी संख्या में तैनाती की गई है. दोनों ओर से कई बार टकराव भी हुआ है. सुरक्षाबलों ने कई बार आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया गया है. तनाव दोनों ओर से बना हुआ है. इस सबके बीच इस मुद्दे पर सियासत भी हरियाणा में खूब हो रही है. विपक्ष सत्ता पक्ष पर लगातार इस मुद्दे पर हमलावर है, जिसे देखते हुए लग रहा है कि आने वाली लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को हर हाल में घेरना चाह रहा है.

किसानों के मुद्दे पर विपक्ष के निशाने पर सरकार: किसानों का मुद्दा ऐसा है जिसको लेकर देश में हमेशा सियासत होती रही है. पंजाब और हरियाणा के किसान एक बार फिर से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. विपक्ष का भी उन्हें इस मुद्दे पर खूब साथ मिल रहा है. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस मुद्दे पर अपनी सोशल मीडिया अकाउंट एक पर लिखा है कि किसान वही मांगें रख रहे हैं जिन्हें पूरा करने का वादा यह सरकार पहले ही कर चुकी है. कांग्रेस की मांग है कि सरकार बिना देरी के किसानों से शांतिप्रिय तरीके से बातचीत कर मामले का समाधान निकाले.

आम आदमी पार्टी का बीजेपी पर आरोप: वहीं, हरियाणा आम आदमी पार्टी भी इस मुद्दे पर प्रदेश सरकार को घेरती हुई नजर आ रही है. आम आदमी पार्टी की हरियाणा की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा का कहना है कि किसानों ने नहीं बीजेपी सरकार ने जानबूझकर प्रदेश भर के रास्ते रोके हैं. केंद्र सरकार को किसानों की मांग को स्वीकार करना चाहिए. प्रदेश सरकार निहत्थे किसानों पर हमला करना बंद करे. सरकार इंटरनेट बंद करके व्यापारियों और आम जनता को नुकसान पहुंचा रही है.

पंजाब सरकार भी किसानों के साथ खड़ी?: इधर पंजाब सरकार भी किसानों के साथ खड़ी दिखाई देती है. पंजाब के सीएम भगवंत मान और कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल भी किसानों के साथ खड़े हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. उन्होंने केंद्र से अनुरोध किया है कि केंद्र सरकार किसानों की सभी मांगे पूरी करे. वहीं, पंजाब के कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल का कहना है "प्रदेश सरकार किसानों के साथ खड़ी है. केंद्र सरकार अन्नदाताओं को बदनाम कर रही है. किसानों की मांगें जायज है." इधर इस मामले को लेकर पटियाला कs जिलाधिकारी ने तो अंबाला के जिला अधिकारी को नोटिस भी जारी किया कि वे पंजाब में ड्रोन से आंसू गैस के गले न बरसाए.

क्या कहते हैं किसानों के प्रदर्शन पर गृह मंत्री अनिल विज?: इधर इसी मामले को लेकर हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज पंजाब सरकार की कार्य प्रणाली पर ही सवालिया निशान लगा रहे हैं. उन्होंने पटियाला के जिला अधिकारी के नोटिस पर कहा है "उन्हें बहुत बड़ी हैरानी है कि पंजाब सरकार ने नोटिस जारी किया कि हमारी सीमा में ड्रोन मत भेजो. हैरानी इस बात की है कि क्या यह हिंदुस्तान-पाकिस्तान हो गया. अगर, हमारी पुलिस को मारकर कोई पंजाब में भाग जाएगा तो क्या हम उसके पीछे जाकर उसे पकड़ नहीं सकते."

शंभू बॉर्डर पर जुटे किसानों पर गृह मंत्री अनिल विज का कहना है "किसान कहते हैं कि हमें दिल्ली जाना है. इन्हें आखिर दिल्ली किस लिए जाना है. दिल्ली में किसानों को जिनसे बातचीत करनी है, जब वह सारे मंत्री और अधिकारी चंडीगढ़ आ गए तो आपने बात नहीं की. इसलिए इनका मकसद कुछ और है."

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस बयान पर जिसमें उन्होंने कहा है कि उनके गठबंधन की सरकार बनेगी तो किसानों को एमएसपी की गारंटी दी जाएगी. इस बारे में हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने तीखा प्रहार करते हुए कहा कि एमएसपी की रिपोर्ट 2004 में आई थी, तब कांग्रेस की सरकार थी और 10 साल तक रही. उस वक्त उनकी पार्टी ने क्यों नहीं किया.

क्या किसानों के प्रदर्शन का हरियाणा में चुनावों पर पड़ेगा असर?: किसानों के चल रहे प्रदर्शन का क्या हरियाणा में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में असर पड़ेगा. इस सवाल के जवाब पर राजनीतिक मामलों के जानकार राजेश मोदगिल कहते हैं "अभी यह कहना जल्दबाजी होगी, क्योंकि अभी केंद्र सरकार और किसानों की बातचीत भी चल रही है. अभी हरियाणा के सभी किसान संगठन भी पूरी तरह से इस लड़ाई में नहीं उतरे हैं. अगर आने वाले दिनों में हरियाणा के किसान भी इस आंदोलन में शामिल होते हैं, और यह आंदोलन लंबा खींचता है तो निश्चित तौर पर ही इसका चुनावों पर भी असर देखने को मिल सकता है और बीजेपी को कहीं न कहीं इसका नुकसान हो सकता है."

इधर राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं "अभी जिस स्थिति में किसान आंदोलन है, उसे देखते हुए लग रहा है कि बीजेपी ने जिस तरह से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद माहौल बदला था उसमें कहीं ना कहीं यह आंदोलन उनकी उस मुहिम को प्रभावित करेगा. हालांकि इस बीच अगर किसानों और सरकार में बातचीत आगे बढ़ती है और कोई रास्ता निकलता है, जिसकी संभावना कम ही दिखती है तो स्थितियां कुछ हद तक बदल भी सकती हैं. लेकिन, वर्तमान में जो हालात हैं, उसको देखते हुए लग रहा है कि बीजेपी को आने वाले चुनाव में इसका नुकसान कुछ हद तक उठाना पड़ सकता है."

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