नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि 'जमानत नियम है, और जेल अपवाद' का सिद्धांत सख्त मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज मामलों में लागू होगा. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि 'जमानत नियम है और जेल अपवाद है' का सिद्धांत संविधान के अनुच्छेद 21 का केवल एक संक्षिप्त रूप है.
पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 21 के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता है. पीएमएलए की धारा 45 दोहरी शर्तें लगाकर इस सिद्धांत को फिर से नहीं लिखती है कि वंचित करना नियम है और स्वतंत्रता अपवाद है.
जस्टिस विश्वनाथन ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हालांकि पीएमएलए की धारा 45 में सिर्फ यह निर्धारित किया गया है कि जमानत देना दोहरी शर्तों के अधीन होगा. लेकिन इससे इस मूल सिद्धांत में कोई बदलाव नहीं आएगा कि जमानत ही नियम है. पीठ ने कहा कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता उसका अधिकार है और उसे वंचित करना अपवाद है.