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'कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई का मौका मिला', यासीन मलिक मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी - YASIN MALIK

यासीन मलिक मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद अपहरण मामले में तिहाड़ जेल में कारावास की सजा काट रहा है.

यासीन मलिक
यासीन मलिक (फाइल फोटो)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 21, 2024, 9:25 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को संकेत दिया कि वह अपहरण मामले में जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक के लिए दिल्ली की तिहाड़ जेल के अंदर एक कोर्ट रूम स्थापित कर सकता है. अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि हमारे देश में अजमल कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया गया था.

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने टिप्पणी जम्मू स्थित विशेष टाडा अदालत के सितंबर 2022 के आदेश के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की याचिका पर सुनवाई के दौरान की.

आजीवन कारावास काट रहा यासीन मलिक
यासीन मलिक वर्तमान में तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. उन्हें तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के 1989 के अपहरण मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह करने के लिए व्यक्तिगत रूप से ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया गया था.

रुबैया को 8 दिसंबर 1989 को श्रीनगर के लाल देद अस्पताल के पास से अगवा कर लिया गया था और पांच दिन बाद तत्कालीन भाजपा समर्थित वी पी सिंह सरकार द्वारा बदले में पांच आतंकवादियों को रिहा करने के बाद उन्हें रिहा किया गया था.

न्यूज एजेंसी पीटीआई ने पीठ के हवाले से कहा, "क्रॉस-एग्जामिनेशन ऑनलाइन कैसे किया जाएगा? जम्मू में शायद ही कोई कनेक्टिविटी है... हमारे देश में, अजमल कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया गया और हाई कोर्ट में उसे कानूनी सहायता दी गई."

'मलिक चालें चल रहे हैं'
पीटीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने सुरक्षा चिंताओं को उजागर किया और कहा कि मलिक को ट्रायल के लिए जम्मू नहीं ले जाया जा सकता. उन्होंने मलिक पर व्यक्तिगत रूप से पेश होने और वकील न रखने के लिए कहने के लिए चालें चलने का आरोप लगाया.इस दौरान उन्होंने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के साथ मलिक की एक कथित तस्वीर भी दिखाई.

इस पर अदालत ने कहा कि वह जज को कार्यवाही के लिए राष्ट्रीय राजधानी आने के अलावा जेल के अंदर सुनवाई का आदेश दे सकती है. हालांकि, पीठ ने कहा कि आदेश पारित करने से पहले मामले में सभी आरोपियों की सुनवाई होनी चाहिए.

मेहता ने कहा कि मलिक को सुप्रीम कोर्ट में पेश किए जाने पर पहले भी सुरक्षा संबंधी चिंताएं पैदा हुई थीं. पीठ ने कहा कि मलिक को सर्वोच्च न्यायालय की कार्यवाही में वर्चुअल रूप से पेश होने की अनुमति दी जा सकती है. फिलहाल मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को तय की गई है.

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