गिरिडीह:झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष जयराम कुमार महतो से ईटीवी भारत के संवाददाता अमरनाथ सिन्हा ने बातचीत की. जयराम से विदेशी फंड को लेकर लग रहे आरोप, मंईयां सम्मान योजना में युवतियों को मिल रही राशि पर उनकी आपत्ति क्यों है, सीजीएल में गड़बड़ी का आरोप किस आधार पर लगाया जा रहा है जैसे तमाम सवाल पर बातचीत की गई. जिसपर जयराम ने बेबाकी से जवाब दिया.
1. सवाल:- जेएलकेएम ने चुनाव में विदेशी फंड का उपयोग किया, चुनाव आयोग जांच कर रही है
जवाब:- सही है, लेकिन वह विदेशी फंड नहीं है, सहयोग है. हमारे भारत में रहने वाले लोग पूरी दुनिया में कहीं भी रहते होंगे. उन्होंने ही 100-50 रुपये कलेक्शन करके भेजे हैं. इस विषय को मैंने कभी छिपाया नहीं है. हमारे बहुत सारे मित्र, गांव के लोग कुवैत, मलेशिया, ट्यूनेशिया, सऊदी अरब समेत 18 देश में रहते हैं. किसी ने 500, किसी ने 10 हजार, किसी ने 15 हजार तो कहीं से सामूहिक संग्रह करके सहयोग राशि भेजी है यह सच है, इससे हम कहीं भागेंगे क्यों. लेकिन कुछ जलनखोर लोग हैं, वे लोग गलत तरीके से चुनाव आयोग को शिकायत किए हैं. मैं चाहता हूं कि चुनाव आयोग की टीम आए और जांच करें. मैं सारे खाते को सार्वजनिक कर दूंगा, जिन जिन लोगों ने हमें चंदा दिया है, सहयोग दिया हैं सभी से कॉल, वीडियो कॉलिंग से बात करवा देंगे.
2. सवाल:- मंईयां सम्मान योजना का लाभ 18 साल की युवतियों को क्यों नहीं मिलना चाहिए, आप इस पर सवाल क्यों उठाते हैं
जवाब:-देखिए युवतियों को इस तरह की राशि मिलेगी तो उनकी प्रतिभा का हनन होगा. जिन्हें मेरे इस बयान से तकलीफ हैं उन्हें मैं इसकी असलियत बता रहा हूं. मैं किसान घर का बेटा हूं, अभी हमलोगों के यहां खेत का प्रकार बहियार, कनारी, हीर और बाइद है. बाइद समतल मैदान होता है जिसमें पानी कम लगता है. नदी के किनारे खेत को हीर कहते हैं. बहियार उसे बोलते हैं जिसमें खेती अवश्य होगी और कनारी - बाइद एवं बहियार के बीच के खेत को बोलते हैं. आज बाइद में खेती न के बराबर हो रही है. कई कनारी खेत में खेती नहीं होने लगी है. यह सब मुफ्त में चावल मिलने की वजह से हो रहा है. लोगों ने खेती करना छोड़ दिया है. इसका दुष्परिणाम भविष्य में दिखेगा. जिस मंईयां सम्मान की बात की जा रही है, वह अच्छी बात है लेकिन इसका लाभ बुजुर्गों को मिले. हमलोग मेहनतकश लोग हैं हमारे यहां दो वर्ष तक का चावल जमा होता था. आज चावल की कमी होने लगी. भविष्य की चिंता है मुझे. इसलिए आज जो चीज मुफ्त में 18 से 25 साल की बहनों को दिया जा रहा है वह उनके लिए नकारात्मक है.
3. सवाल:- तो क्या होना चाहिए
जवाब:- होना यह चाहिए की स्कॉलरशिप के माध्यम से बच्चियों को पढ़ाई के प्रति जागरूक करना चाहिए. शिक्षा से बड़ा सशक्तिकरण का माध्यम कुछ नहीं है. बच्चियों, महिलाओं को तरह-तरह की कलाओं में निपुण करना चाहिए. उन्हें प्रशिक्षण देना चाहिए, बैंक से सरलता से उन्हें लोन दिलाना चाहिए ताकि रोजगार का सृजन हो और ये सब खुद ही अपनी जीविका का उपार्जन कर सके. उन्हें हुनरमंद बनाना होगा, आलसी नहीं. तभी यह सशक्त होंगी.
4. सवाल:- सीजीएल पर आप बार-बार कहते हैं गड़बड़ी हुई है