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इंजीनियर रोहित सर की क्लास में संवर रहा बच्चों का भविष्य, स्लम एरिया के स्टूडेंट्स को दे रहे शिक्षा - Engineer Rohit Sir - ENGINEER ROHIT SIR

ENGINEER ROHIT SIR CLASSES: बिहार के पटना में इंजीनियर रोहित झुग्गी झोपड़ी वाले गरीब बच्चों के जीवन में शिक्षा का उजियारा फैला रहे हैं. अपनी पहल से सभी बच्चों की जिंदगी को न सिर्फ संवार रहे हैं बल्कि उन्हें सही दिशा भी दिखा रहे हैं. आज सभी की मदद से मेधावी बच्चों के लिए बड़ा सहारा बनकर उभरे हैं. पढें पूरी खबर-

ENGINEER ROHIT SIR
इंजीनियर रोहित सर (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 15, 2024, 6:53 AM IST

Updated : May 15, 2024, 7:04 AM IST

इंजीनियर रोहित सर की पहल (ETV Bharat)

पटना: पटना वाले खान सर को तो सभी लोग जानते हैं. पटना में दूसरे खान सर के रूप में इंजीनियर रोहित कुमार की पहचान प्रतिदिन बढ़ते जा रही है. पटना के इंजीनियर रोहित धीरे-धीरे शिक्षा के क्षेत्र में लोगों में मिसाल बनते जा रहे हैं. 2016 में 10 बच्चों से निशुल्क ट्यूशन देने की शुरुआत की थी और आज लगभग चार-पांच सौ बच्चों को निशुल्क शिक्षा देते हैं. यह पाठशाला नियमित रूप से चलता है. बच्चे निशुल्क ट्यूशन लेकर बेहद खुश हैं. डॉक्टर, इंजीनियर और शिक्षक बनने के सपने देखने लगे हैं. इंजीनियर रोहित गरीब बच्चों को मेधावी बनाने में जुटे हुए हैं. यह झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को आर्थिक मदद के साथ शिक्षित करते हैं.

सम्मानित होते इंजीनियर रोहित सर (ETV Bharat)

झुग्गी झोपड़ी वाले बच्चों के लिए पहल: इंजीनियर रोहित ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि देश में दो तरह की शिक्षा है. एक गरीब के लिए अलग और अमीर के लिए अलग. इसको देखते हुए हमने गरीब बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत 2016 में किया. इंजीनियर रोहित कुमार ने कहा कि जब मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था तो मुझे गरीब बच्चों में शिक्षा का अभाव नजर आया, मैं पंजाब में गरीब बच्चों को पढ़ना शुरू किया और उसके बाद पटना में आकर के इसकी शुरुआत की. पहले बच्चे कम आते थे लेकिन धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ाती गई.

इंजीनियर रोहित ने लिया इनिशियेटिव: उत्तरी मंदिर में 100 बच्चे प्रतिदिन आते हैं. क्लास नर्सरी से लेकर 10th तक के बच्चे यहां पर क्लास लेने के लिए आते हैं. यह वह बच्चे हैं जिनके पिता रिक्शा चलाते हैं, मजदूर ड्राइवर हैं और बच्चों को पढ़ाने में असमर्थ हैं. वह बच्चे यहां आकर के पढ़ाई करते हैं. प्रतिदिन शाम में 4:00 बजे से लेकर के 6:00 बजे तक इन बच्चों को हिंदी, मैथ, इंग्लिश, कंप्यूटर का ज्ञान दिया जाता है. उन्होंने बताया कि उत्तरी मंदिर हथुआ राज ज्ञानोदय संस्कृत महाविद्यालय, एन कॉलेज, जेडी विमेंस कॉलेज में प्रतिदिन शाम में क्लास चलाया जाता है. राजधानी के 15 टीचर यहां फैकल्टी के रूप में अपना योगदान दे रहे हैं.

इंजीनियर रोहित सर (ETV Bharat)

'ये भी इंजीनियरिंग ही है' : इंजीनियर रोहित ने कहा कि''मैं काम इंजीनियर का ही कर रहा हूं. इंजीनियर का काम ही होता है किसी भी चीज को क्रिएट करना, रिपेयर करना मेंटेन करना. मैं बस वह डिवाइस चेंज कर दिया हूं. मैंने इन सोसाइटी में ऐसे बच्चे हैं जिनमें कोई तरह का क्रिएशन नहीं हो पा रहा था, रिपेयर नहीं हो पा रहा था, मेंटेनेंस नहीं हो पा रहा थास उसको मैं बस ठीक करने का काम कर हूं.''

लोगों के सहयोग से मिल रही हेल्प : इंजीनियर रोहित ने कहा कि मेरी कोशिश है कि पूरे बिहार में इस तरह की व्यवस्था करें, जिससे कि बिहार में रहने वाले गरीब बच्चों में शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ सके. रोहित कुमार ने कहा कि इन बच्चों को कॉपी किताब से लेकर तमाम चीज मुहैया कराया जाता है. इसके पीछे का रीजन है कि हमारे राज्य में बहुत ऐसे लोग हैं जो इस भावना के हैं. हमारे काम को देखते हुए बहुत ऐसे लोग अलग-अलग क्षेत्र से कोई बिजनेस मैंने कोई इंजीनियर कोई डॉक्टर, टाइम टू टाइम यहां अपना खास दिन मनाने आते हैं. उसी के संदर्भ में वह इन बच्चों को कपड़ा से लेकर के स्टेशनरी आइटम सब कुछ देते हैं, जो कि मेरे लिए बड़ा हेल्पफुल हो जाता है.

'आंखों में सिविल सेवा के सपने' : शिवानी कुमारी कभी यहां पर पढ़ाई करती थीं. इसी वर्ष मैट्रिक का एग्जाम दी और 447 नंबर पा कर काफी खुश है. इन्होंने कहा कि मुझे आगे भी पढ़ना है इसलिए मैं अब यहां पर पढ़ा कर सेल्फ डिपेंडेंट बन रही हूं. क्योंकि मेरे पापा मजदूर हैं, जिससे घर परिवार चलता है. मेरे आगे की पढ़ाई के लिए पैसा चाहिए, जो मेरे पिताजी के अकेले कमाने से नहीं हो पाएगा. मुझे सिविल सर्विसेज में जाना है. सभी बच्चों का मम्मी पापा सपोर्ट करना चाहते हैं, लेकिन ज्यादातर फाइनेंसियल कंडीशन सबको नीचे गिरा देती है. वही मेरा भी रीजन है.

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Last Updated : May 15, 2024, 7:04 AM IST

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