छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / bharat

अंडा बेचने वाले की बेटी का कमाल, कैंसर से पिता की मौत के बाद भी नहीं टूटा हौसला, नेशनल गेम्स में जीता ब्रॉंज मेडल - EGG SELLERS DAUGHTER FULFILLS DREAM

सरगुजा ट्राइबल इलाके की खुशबू का मुफलिसी में भी हौसला नहीं टूटा. हुनर को तराशा और मृत पिता के सपने को पूरा किया.

EGG SELLERS DAUGHTER FULFILLS DREAM
अंबिकापुर की खुशबू बनी मिसाल (ETV Bharat)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 24, 2025, 8:00 PM IST

Updated : Feb 24, 2025, 8:47 PM IST

सरगुजा: जिंदगी ने मुश्किल परीक्षा ली, लेकिन खिलाड़ी बहनों ने हिम्मत नहीं हारी. यह सफर आसान नहीं था. आर्थिक तंगी, पिता की मौत का दर्द और कई चुनौतियां. लेकिन परिवार का साथ सबसे बड़ी ताकत बना और खुशबू ने कामयाबी हासिल की.

फौलादी हौसले के सामने मुश्किलें बनी बौनी: खुशबू गुप्ता की उम्र 21 साल है. वह बीकॉम फाइनल ईयर में पढ़ रही हैं. छत्तीसगढ़ की उस टीम की अहम खिलाड़ी हैं, जिसने देहरादून में हुए 38वें नेशनल गेम्स में ब्रांज मेडल जीता है. खुशबू की यह कामयाबी कई मायनों में अहम है.

अंडा बेचने वाले की बेटी की जीत की कहानी (ETV BHARAT)

अंबिकापुर की खुशबू बनी मिसाल: कहते हैं कितनी भी बड़ी विपत्ति आ जाये, लेकिन अगर आप का निश्चय दृढ़ है और इरादा पक्का तो फिर सपनों की उड़ान भरने से आपको कोई नहीं रोक सकता है. अंबिकापुर की खुशबू और उसकी बहनों की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. इन बेटियों के हौसले को सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे.

मैं 8 सालों से नेट बॉल की प्रैक्टिस कर रही हूं. बीते दिनों में हमने उत्तराखंड के देहरादून में 38वें नेशनल गेम्स में पार्टिसिपेट किया था. मैंने छत्तीसगढ़ को रिप्रेजेंट किया. नेशनल गेम्स में हमने बेहतरीन प्रदर्शन किया. पहला मैच हमारा हरियाणा दूसरा मैंच पांडिचेरी और तीसरा मैच दिल्ली के साथ था. छत्तीसगढ़ की टीम ने तीनों मैच जीते. अपने पूल में हम विनर रहे - खुशबू गुप्ता, नेटबॉल प्लेयर

बेटियों ने गाड़े सफलता के झंडे: इन बेटियों ने सफलता के कई झंडे गाड़े, लेकिन सफर बेहद कठिन था. आर्थिक अभाव था. पिता अंडे बेचकर परिवार का खर्च चला रहे थे. फिर पिता को कैंसर हो गया और वह काल के गाल में समा गये. बावजूद इसके बेटियों ने हिम्मत नहीं हारी और अपने सपनों को पूरा करने के लिए आगे बढ़ती गईं.

अंडे की दुकान से चलता था घर: अम्बिकापुर के नरेश गुप्ता अंडे का ठेला लगाकर पत्नी और तीन बेटियों का पालन पोषण करते थे. वह कैंसर की बीमारी से ग्रस्त थे. 14 नवम्बर 2024 को उनकी मौत हो गई. पिता की मौत के बाद बेटियों पर पहाड़ टूट पड़ा. अपनी पढ़ाई, खेल का खर्चा और परिवार का पेट पालना एक बड़ी चुनौती थी. लेकिन नरेश गुप्ता की तीनों बेटियों ने हिम्मत नहीं हारी. सबने मिलकर एक दूसरे का साथ दिया और पिता के साथ देखे सपने को पूरा करने बेटियां निकल पड़ीं.

नेट बॉल में मैं 3 नेशनल खेल चुकी हूं. पहला नेशनल तमिलनाडु, सेकेंड नेशनल नागपुर और थर्ड नेशनल सोनीपत हरियाणा में हुआ था. थर्ड नेशनल में मैंने ब्रॉन्ज मेडल जीता था. पापा का हाल ही में देहांत हुआ है. मुझे घर का भी काम देखना होता है और ग्राउंड पर भी प्रैक्टिस करनी होती है. घर की स्थिति डांवाडोल है. मेरे पिताजी अंडे की दुकान चलाते थे उसी से पूरा घर चलता था - खुशबू गुप्ता, नेटबॉल प्लेयर

नेट बॉल प्लेयर हैं खुशबू: सबसे बड़ी बहन खुशबू गुप्ता नेट बॉल की नेशनल प्लेयर है. उसने नेशनल कैम्प के लिये ट्रॉयल दिया और ट्रॉयल में पास होकर छत्तीसगढ़ की टीम का हिस्सा बनी. इतना ही नहीं देहरादून में आयोजित 38 वीं राष्ट्रीय नेशनल प्रतियोगिता में उसने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया.

38 वीं राष्ट्रीय नेशनल प्रतियोगिता: खुशबू ने इससे पहले भी कई मेडल हासिल किये हैं. खुशबू अब तक 4 नेशनल खेल चुकी हैं और लास्ट प्रतियोगिता में भी उसने ब्रॉंज मेडल हासिल किया था. अब एक बार फिर खुशबू ने विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है.

''पिता के सपनों को पूरा करेंगी बेटियां'': खुशबू के परिवार में उनकी मां और दो बहनें और हैं. दूसरी बहन किरण गुप्ता की उम्र 19 साल है. बीए फर्स्ट ईयर में पढ़ रही हैं. किरण अब अपनी मां के साथ पिता के व्यापार को संभाल रही हैं. दोनों मां बेटी अंडे की दुकान चलाते हैं और बहनों के खेल और पढ़ाई में आर्थिक मदद करती हैं.

अंडे और चने की दुकान थी हमारी. मेरे पति उसी दुकान से पूरे घर को चलाते थे. कैंसर से मेरे पति की मौत हो गई. बड़ी बेटी खेल टीचर है. बच्चों को ट्रेनिंग देती है. मैं चाहती हूं मेरी बेटियां खेले और आगे बढ़े. मैं और बीच वाली बेटी अब दुकान चलाते हैं- सुनीता, खुशबू की मां

बच्चों को देती है स्पोर्टस की ट्रेनिंग: खुशबू भी प्राइवेट स्कूल में स्पोर्ट्स टीचर की नौकरी कर परिवार के खर्च में सहभागी बन रहीं हैं. पिता थे तो बड़ा सहारा था, लेकिन अब ये बेटियां अथक मेहनत कर रही हैं और परिवार की जिम्मेदारी उठाते हुए अपनी पढ़ाई और खेल दोनों जारी रखे हुये हैं.

जूनियर बास्केटबॉल प्रतियोगिता में गोल्ड: तीसरी बहन अंकिता 15 साल की हैं. वह नौवीं में पढ़ती है. अंकिता ने 13 साल की उम्र में नेशनल सब जूनियर बास्केटबॉल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल किया था. तमिलनाडु में आयोजित राष्ट्रीय सब जूनियर बास्केटबॉल चैम्पियनशिप में छत्तीसगढ़ से बालिकाओं की टीम ने बेहतर प्रदर्शन किया था. अंकिता के प्रदर्शन के कारण उसे राजनांदगांव के साईं में एडमिशन मिला, जहां वो उच्च स्तरीय खेल प्रशिक्षण के साथ साथ निशुल्क आवासीय शिक्षा ले रही है.

मैं कई टूर्नामेंट में पार्टिसिपेट कर चुकी हूं. मैं दो साल से राजनांदगांव में ट्रेनिंग ले रही हूं. नेशनल लेवल पर मैंने 3 गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं - अंकिता गुप्ता, बास्केटबॉल प्लेयर

तीनों बहनें खेलती हैं. अंकिता और खुशबू दोनों लगातार आगे बढ़ती रहीं तीसरी बहन ने परिवार की गाड़ी चलाने के लिए खेल छोड़ दिया. इन मुश्किल हालातों में जिस तरह से दोनों बहनें खेल के प्रति समर्पित हैं वो काबिले तारीफ है- राजेश प्रताप सिंह, कोच

हौसले से पाया हालात पर काबू: खुशबू और उसके परिवार के इस सफर में गरीबी हमेशा बाधा रही, लेकिन बेटियों के हौसले इतने बुलंद थे कि बाधा छोटी हो गई. कठिन परिश्रम किया. कोच राजेश प्रताप सिंह ने भी इस परिवार की काफी मदद की, लेकिन बेटियों के पिता नरेश की जान नहीं बच सकी. पति को खोने के गम में अकेली महिला दुख से रोने लगती है, लेकिन उसे खुशी है कि बेटियां पिता के सपने पूरा कर रही हैं और उनका नाम रोशन कर रही हैं.

जानिए क्या है खेलो इंडिया का टैलेंट हंट कार्यक्रम, ऐसे करें रजिस्ट्रेशन
आदिवासी बाहुल्य सरगुजा में खेल प्रतिभा, साक्षी भगत खेलेगी बास्केटबॉल जूनियर नेशनल
सरगुजा के खिलाड़ियों ने इंटर यूनिवर्सिटी मिनी गोल्फ में जीते कांस्य और रजत पदक
Last Updated : Feb 24, 2025, 8:47 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details