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ईनाडु गोल्डन जुबली: सोशल रेस्पांसिबिलिटी का प्रतीक और प्राकृतिक आपदाओं के समय में एक रक्षक - Eenadu Golden Jubilee

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 10, 2024, 6:00 AM IST

Updated : Aug 10, 2024, 2:53 PM IST

तेलुगु अखबार ईनाडु 10 अगस्त 2024 को अपने 50 साल पूरे करने जा रहा. अखबार ने न सिर्फ लोगों के दरवाजे तक सूचना पहुंचाने में, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान जरूरतमंदों और पीड़ित लोगों की मदद करने में भी उत्कृष्टता हासिल की है. समूह के अध्यक्ष रामोजी राव के नेतृत्व में ईनाडु ने बेहतर समाज के निर्माण के लिए आंदोलनों को प्रेरित करके अपनी सामाजिक जिम्मेदारी भी निभाई है.

ईनाडु गोल्डन जुूबली
ईनाडु गोल्डन जुूबली (ETV Bharat)

हैदराबाद:एक न्यूज पेपर को केवल न्यूज प्रोवाइडर की भूमिका तक सीमित न रहकर रहना चाहिए, बल्कि उसे किसी आंदोलन के खालीपन को भरना चाहिए, आपदाओं में मदद करनी चाहिए और अगर आवश्यक हो तो नेतृत्व भी करना चाहिए. यह ईनाडु का नारा और नीति है, जो 2024 में अपने 50 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है. ईनाडु के शब्द जनांदोलनों को प्राण देते हैं. जब कोई दिशा नहीं होती है, तो वे रास्ता दिखाते हैं. अगर नागरिक पीड़ित हैं, तो यह मानवता दिखाते हैं. अगर लोग भूखे मर रहे हैं, तो यह चावल देता है. ऐसे दायित्व बाकी सब पर भारी पड़ते हैं. केवल अक्षरों से ही नहीं, बल्कि करोड़ों रुपये के राहत कोष के साथ, ईनाडु जरूरतमंद लोगों के लिए मसीहा बन गया!

ईनाडु की नजर में अखबारों का कर्तव्य सिर्फ कंटेम्परेरी न्यूज का पब्लिकेशन ही नहीं, बल्कि सामाजिक दायित्व भी है. पांच दशकों से ईनाडु सिर्फ अक्षरों में ही नहीं, बल्कि व्यवहार में भी इसी ईमानदारी का परिचय दे रहा है. 1976 की बात है जब ईनाडु को सिर्फ दो साल हुए थे. तेलुगु की धरती पर लगातार तीन तूफान आए, जिससे लोगों का काफी नुकसान हुआ.

प्राकृतिक आपदाओं में ईनाडु ने की लोगों की मदद (ETV Bharat)

तूफान के कारण लाखों एकड़ फसलें बर्बाद हो गईं और इसने लोगों को आंसू बहाने पर मजबूर कर दिया. इस बीच ईनाडु उन लोगों की चीखें सुनकर भावुक हो गया, जिन्होंने अपना सब कुछ खो दिया. इसके कुछ ही दिनों में दस हजार रुपये की राशि से तूफान पीड़ितों के लिए राहत कोष शुरू किया गया. साथ ही लोगों को यह भी समझाया गया कि उन्हें यथासंभव मदद करनी चाहिए. ईनाडु के आह्वान पर तेलुगु रीडर्स ने अपना बड़ा दिल दिखाया और एक महीने के भीतर करीब 64,756 रुपये का दान इकट्ठा हुआ. ईनाडु ने वह रकम सरकार को दे दी.

बाढ़ पीड़ितों की मदद (ETV Bharat)

1977 में दिविसीमा बाढ़ के पीड़ितों की मदद की
ईनाडु ने 1977 में दिविसीमा बाढ़ के पीड़ितों की मदद की थी. उस आपदा में हजारों लोग अपने घर खो बैठे थे. उनके पास न तो खाने-पीने का सामान था और न ही पहनने के लिए कपड़े. ऐसे में उनकी मदद के लिए ईनाडु द्वारा 25,000 रुपये का राहत कोष शुरू किया गया. रीडर्स की उदारता से ईनाडु ने कुल 3,73,927 रुपये जमा किए. इस मदद से पलाकायथिप्पा के जीर्ण-शीर्ण गांव को पुनर्जीवित किया गया. राज्य सरकार ने रामकृष्ण मिशन के सहयोग से 112 घर बनाए और इस मछली पकड़ने वाले गांव को परमहंसपुरम नाम दिया गया.

गांव के पुनर्निर्माण के बाद जो पैसा बचा उससे कोडुर के पास कृष्णापुरम में 22 और घर बनाए गए. उस दिन की आपदा में भूख से मर रहे पीड़ितों को भोजन और पेय पदार्थ मुहैया कराए गए. इस दौरान 50 हजार लोगों को भोजन के पैकेट बांटे गएय विशाखापतट्टनम के डॉल्फिन होटल के परिसर में खाना पकाया गया और ईनाडु ग्रुप के कर्मचारियों ने इसे पीड़ितों तक पहुंचाया. ईनाडु को उसके मानवीय कार्य के लिए सराहा गया.

पीड़ितों के लिए बनावाए घर (ETV Bharat)

1996 में तूफान पीड़ितों की मदद
इसी तरह 1996 में भी एक तूफान ने अक्टूबर में प्रकाशम, नेल्लोर, कडप्पा जिलों में और नवंबर में गोदावरी जिलों में कहर बरपाया. इस बार ईनाडु ने 25 लाख रुपयों के लिए एक राहत कोष शुरू किया और इस बार दयालु लोगों के समर्थन से कुल 60 लाख रुपये एकत्र किए गए. ईनाडु ने निर्णय लिया कि इन निधियों का उपयोग अधिकांश बाढ़ पीड़ितों के लिए किया जाना चाहिए. इसने सूर्या भवनों का निर्माण करने का निर्णय लिया, जिनका उपयोग आंधी के दौरान राहत आश्रयों के रूप में और सामान्य दिनों में स्कूलों के रूप में किया जा सकता है. 'ईनाडु' की टीमों ने ऐसी इमारतों के लिए जरूरतमंद गांवों की खोज की. महज दो महीने के भीतर, 60 गांवों में इन इमारतों का निर्माण भी पूरा हो गया. ईनाडु के आह्वान पर दानदाताओं ने सीमेंट, लोहा, धातु और रेत तक दान में दिया.

तांतड़ी-वडापालेम गांव में 80 घर बनाए
अक्टूबर 2009 में कुरनूल और महबूबनगर की तत्काल सहायता के तौर पर करीब 1.20 लाख खाने के पैकेट बांटे गए और पीड़ितों की भूख मिटाई गई. दानदाताओं से मिले दान से 6.05 करोड़ रुपये की राहत निधि इकट्ठी की गई. उस पैसे से महबूबनगर जिले के 1,110 हथकरघा परिवारों को करघे दिए गए. कुर्नूल जिले में 'उषोदय स्कूल भवन' बनाकर सरकार को सौंप दिए गए. इसी तरह 6.16 करोड़ रुपये की कुल सहायता निधि से विशाखापट्टनम जिले के तांतड़ी-वडापालेम गांव में 80 घर बनाए गए, श्रीकाकुलम जिले के पुराने मेघवरम में 36 घर बनाए गए और उम्मिलाडा में 28 घर बनाए गए.

पीड़ितों के लिए बनावाए घर (ETV Bharat)

कोरोना के दौरान सीएम रिलीफ फंड में 20 करोड़ रुपये
2020 में भारी बारिश के कारण जब तेलंगाना में भयंकर नुकसान हुआ था, तब ईनाडु ग्रुप ने मुख्यमंत्री राहत कोष में 5 करोड़ रुपये दान किए थे! 2020 में कोरोना आपदा के दौरान सीएम रिलीफ फंड के माध्यम से तेलुगु राज्यों को अलग-अलग 10-10 करोड़ रुपये दान किए गए. इतना ही नहीं रामोजी फाउंडेशन के माध्यम से कृष्णा जिले के पेडापरुपुडी और रंगा रेड्डी जिले के नागनपल्ली को गोद लिया गया है.

5 करोड़ रुपये की लागत से वृद्धाश्रम बनवाए
रामोजी ग्रुप के चेयरमैन रामोजी राव ने 5 करोड़ रुपये की लागत से वृद्धाश्रम बनवाए हैं और किसानों को आश्रय प्रदान किया है. इसके लिए उन्होंने 10 लाख रुपये दान देने की घोषणा की. साथ रीडर्स और दानदाताओं के सहयोग से 45,83,148 रुपये एकत्र किए गए. उस पैसे से रामकृष्ण मिशन के माध्यम से जगतसिंहपुर जिले के कोनागुल्ली गांव में 60 घर बनाए गए. 2001 में भूकंप से प्रभावित गुजरात के लिए ईनाडू ने 25 लाख रुपये का राहत कोष शुरू किया. मानवतावादियों के दान से 2.12 करोड़ रुपये एकत्र किए गए. इसके अलावा स्वामी नारायण ट्रस्ट के माध्यम से 104 घर बनाए गए हैं और बेघरों को आश्रय दिया गया है.

2004 में सुनामी आपदा से जूझ रहे तमिलनाडु में ईनाडू ने अपने लोगों की मदद की और 25 लाख रुपये से राहत कोष की शुरुआत की गई. दानदाताओं की मदद से यह कोष ढाई करोड़ रुपये का हो गया. रामकृष्ण मठ के सहयोग से कुड्डालोर जिले के वडुक्कु मुदुसल ओदाई गांव में 104 घर बनाए गए और नागपट्टिनम जिले के नांबियार नगर में 60 परिवारों को आवास मुहैया कराया गया.

केरल के बाढ़ पीड़ितों की मदद
2018 में केरल के बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए 3 करोड़ रुपये से राहत कोष की शुरुआत की गई थी. दानदाताओं की मदद से 7 करोड़ 77 लाख रुपये जमा हुए. उस पैसे से ईनाडु ने पक्के घर बनाए और बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए खड़ा हुआ. क्षेत्रीय अखबार के तौर पर जन्म लेने वाले ईनाडु ने सेवा के नारे के साथ पूरे देश में मानवता की खुशबू फैलाई.

1995 में ईनाडु के अंतर्गत श्रमदानोद्यम का आयोजन इस सोच के साथ किया गया था कि लोगों को अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं करना चाहिए, किसी के आने और कुछ करने का इंतजार किए बिना. ईनाडु के आह्वान ने तेलुगु लोगों को प्रभावित किया. इसके परिणामस्वरूप, गांवों में सड़कें बन गईं. पुलों में जान आ गई! नहरों को एक नई कला मिल गई. ईनाडु द्वारा किए गए जलयज्ञ ने जहां कई तालाबों को जीवन दिया है. वनयज्ञ अभी भी कई लोगों की मदद कर रहा है. 2016 में ईनाडु ने भूजल को रिचार्ज करने के लिए वर्षा जल को बचाने का आह्वान किया. ईनाडु-ईटीवी ने सुजलाम-सुफलाम कार्यक्रम के साथ लोगों को सामाजिक सेवा में शामिल किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी लाखों कुएं खोदने और जल संरक्षण यज्ञ करने के लिए मन की बात रेडियो संबोधन में ईनाडु की प्रशंसा की.

एक खबर समस्याओं का समाधान कर सकती है और जीवन को आकार दे सकती है. 'ईनाडु' की कहानियों की वजह से कई लोगों के जीवन में नई रोशनी आई है. बेरोजगारों ने फीस की समस्या को सुलझाया है और असाध्य रोगियों ने पुनर्जन्म लिया है, लेकिन इस तरह के महंगे ऑपरेशन के खर्च के बिना.

वहीं, ईनाडु पहल की वजह से कई ऐसी चीजें संभव हो गई हैं, जिन्हें असंभव माना जाता था. इसके शब्दों ने हजारों परिवारों को रोशनी दी है. कई प्रेरक कहानियों ने आने वाली पीढ़ियों को नई राह दिखाई है, उनमें नई कल्पना को जगाया है. रामोजी राव का निर्देश है कि उन खबरों को प्राथमिकता दी जाए जो पीड़ित लोगों की मदद करती हैं. ईनाडु की कहानियों ने सिविल सेवा और समूह परीक्षाओं के विजेताओं को प्रेरित किया. ईनाडु के शब्द प्रकाश की किरणों की तरह काम करते हैं जो हमेशा के लिए फैलते रहते हैं.

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ईनाडु गोल्डन जुबली: तेलुगु न्यूज मीडिया में एक ट्रेंडसेटर और सूचना क्रांति का मशालवाहक

Last Updated : Aug 10, 2024, 2:53 PM IST

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