नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को ब्रिक्स प्लस शिखर सम्मेलन में बोलते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए भारत की वकालत दोहराई. उन्होंने बहुपक्षीय विकास बैंकों में भी सुधार की मांग की, जिनकी कार्य-प्रणाली संयुक्त राष्ट्र की तरह ही पुरानी है.
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी और अस्थायी सदस्यता श्रेणियों में सुधार के साथ बहुपक्षीय विकास बैंकों में भी सुधार किया जा सकता है. भारत ने अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान एक प्रयास शुरू किया था और हमें खुशी है कि ब्राजील ने इसे आगे बढ़ाया है."
अधिक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था की वकालत करते हुए जयशंकर ने पांच बिंदुओं को रेखांकित किया और कहा कि ब्रिक्स के लिए बदलाव ला सकता है. उन्होंने कहा कि हम इस विरोधाभास का सामना कर रहे हैं कि परिवर्तन की ताकतें आगे बढ़ने के बावजूद, कुछ दीर्घकालिक मुद्दे और भी जटिल हो गए हैं. एक ओर, उत्पादन और उपभोग में निरंतर विविधता है. उपनिवेशवाद से स्वतंत्रता प्राप्त करने वाले देशों ने अपने विकास और सामाजिक-आर्थिक प्रगति को गति दी है. नई क्षमताएं उभरी हैं, जिससे अधिक प्रतिभाओं का दोहन करना आसान हुआ है. यह आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पुनःसंतुलन अब उस बिंदु पर पहुंच गया है जहां हम वास्तविक बहुध्रुवीयता पर विचार कर सकते हैं. ब्रिक्स अपने आप में इस बात का उदारहण है कि पुरानी व्यवस्था कितनी गहराई से बदल रही है.
उन्होंने कहा कि अतीत की कई असमानताएं अभी भी जारी हैं. हम विकास के संसाधनों और आधुनिक प्रौद्योगिकी और दक्षताओं तक पहुंच में देखते हैं. हमें यह भी स्वीकार करना चाहिए कि वैश्वीकरण के लाभ बहुत असमान रहे हैं.