देहरादून: पूरे देश में National Eligibility cum Entrance Test (Undergraduate)-NEET पेपर लीक मामला पिछले कई दिनों से छाया हुआ है. हालात ये हैं कि इस प्रकरण के तार गुजरात, दिल्ली से लेकर बिहार और दूसरे कई राज्यों तक फैले हुए दिखाई दिए हैं. राष्ट्रीय राजनीति में भी पेपर लीक मामला इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चाओं में हैं. ऐसे में उत्तराखंड में 30 जून को होने जा रही परीक्षा पर भी इसका असर दिख रहा है. दरअसल, पेपर लीक विवाद के कारण उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भी भारी दबाव में है. शायद यही कारण है कि इस बार 30 जून को होने वाली परीक्षा में अतिरिक्त सावधानी बरती जा रही है.
AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से रुकेगी नकल:उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) 30 जून को होने वाली परीक्षा के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का इस्तेमाल करने जा रहा है. इसके लिए राज्य के संवेदनशील और अति संवेदनशील केंद्रों पर AI कैमरे लगाए जाएंगे. इन कैमरों के जरिए परीक्षा केंद्र में मौजूद परीक्षा कक्षा की सभी गतिविधियों को रिकॉर्ड किया जा सकेगा. खास बात यह है कि इस अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से परीक्षा कक्ष में होने वाली संदिग्ध गतिविधियों को कैमरा खुद ब खुद ऑब्जर्व करेगा. यही नहीं परीक्षा कक्षा में मौजूद हर अभ्यर्थी पर भी कैमरा खुद नजर रखेगा.
संदिग्धों पर ऐसे रहेगी नजर: किसी भी तरह की गड़बड़ी की आशंका पर अधिकारियों को भी सूचित करेगा. इस तकनीक के माध्यम से परीक्षा कक्ष में किसी भी उपकरण का प्रयोग या नकल की कोशिश पूरी तरह रुक जाएगी. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए आयोग के पास मौजूद डाटा के आधार पर अभ्यर्थी के फेशियल रिकॉग्निशन पर भी काम हो सकेगा, जिससे परीक्षा केंद्रों पर फर्जी अभ्यर्थियों के पहुंचने के सम्भावना भी खत्म होगी. खास बात यह है कि इन्हें उन परीक्षा केंद्रों पर लगाया जाएगा, जो परीक्षाओं में गड़बड़ी को लेकर संदिग्ध कैटेगरी में होंगे.
ऐसे काम करेगी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस:आयोग के अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को परीक्षा में लागू करने के लिए फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के रूप में काम किया गया है. 30 जून को होने वाली परीक्षा में ये पूरी व्यवस्था एक कंपनी के माध्यम से की जाएगी, जिसे आयोग ने हायर किया गया है. इस कंपनी के टेक्निकल एक्सपर्ट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कैमरा के इस्तेमाल की पूरी जानकारी आयोग को देंगे.
अभी पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसका इस्तेमाल हो रहा है इसलिए पहले फेज में केवल कैमरे के माध्यम से परीक्षा कक्षा में होने वाली संदिग्ध गतिविधियों को ही रिकॉर्ड किया जाएगा. जबकि परीक्षा में 100% बायोमेट्रिक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे किसी छात्र के बदले दूसरे छात्र के परीक्षा में हिस्सा लेने की कोई संभावना नहीं है.