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33 साल बाद डॉक्टर दंपति ने अयोध्या आकर की शादी, राम मंदिर निर्माण के बाद वरमाला पहनने का लिया था संकल्प

अयोध्या में राम मंदिर 2024 (Ram Mandir 2024) का निर्माण होने के बाद डॉ. महेंद्र भारती ने कारसेवकपुरम में शादी (Dr. Mahendra Bharti married in Ayodhya) की. वह 1990 में कारसेवकों पर अंधाधुंध गोली चलाए जाने से व्यथित हो गए थे. इसके बाद उन्होंने प्रण लिया था कि मंदिर निर्माण होने पर ही वह वरमाला गले में डालेंगे.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 30, 2024, 10:01 PM IST

अयोध्या में डॉक्टर दंपति ने की शादी

अयोध्या:लगभग 500 वर्षों से प्रभु श्री राम के मंदिर के निर्माण का सपना संजोये तमाम ऐसे राम भक्त हैं, जिन्होंने राम मंदिर निर्माण को लेकर प्रतिज्ञा ले रखी थी. मंदिर निर्माण होने पर कोई अपना घर बनवाएगा, कोई अपना मौन व्रत तोड़ेगा और कोई अयोध्या में सेवा समाप्त कर वापस अपने घर जाएगा. लेकिन, एक ऐसा दंपति भी शामिल है, जिसने अभी तक विवाह नहीं किया था. प्रभु श्री राम का मंदिर निर्माण होने के बाद उन्होंने अपना प्रण पूरा होते देख अयोध्या में आज विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय कार्यालय कारसेवकपुरम परिसर में स्थित यज्ञ वेदी में सात फेरे लिए. उनके इस विवाह में विश्व हिंदू परिषद के तमाम सदस्य शामिल रहे. खास बात यह है कि वरमाला के लिए उसी माला का प्रयोग किया गया, जिसे एक दिन पूर्व प्रभु श्री राम के श्रृंगार के लिए प्रयोग किया गया था.

अयोध्या में डॉक्टर दंपति ने लिए सात फेरे

जयपुर निवासी डॉ. महेंद्र भारती ने अजमेर की डॉ. शालिनी के साथ 33 वर्ष की प्रतिज्ञा पूरी होने पर शादी की. दरअसल, बात 1990 की है. डॉ महेंद्र कुमार विवाह योग्य थे. लेकिन, राम मंदिर की ओर बढ़ रहे कारसेवकों पर अंधाधुंध गोली चलाए जाने की घटना से वह इतने व्यथित हो गए कि उन्होंने विवाह का विचार ही त्याग दिया और संकल्प लिया कि जब तक भव्य राम मंदिर का निर्माण नहीं होता है, तब तक वह गले में कोई माला नहीं पहनेंगे और विवाह भी नहीं करेंगे. अब जबकि भव्य मंदिर निर्माण के बाद गर्भगृह में रामलला की स्थापना हो गई है तो आज डॉ महेंद्र भी अपने संकल्प के अनुरूप अयोध्या आकर परिणय सूत्र में बंधे. उन्होंने सोमवार को रामलला के दर्शन किए और मंगलवार को कारसेवकपुरम में डॉ. शालिनी गौतम के साथ सात फेरे लिए.

शादी के बाद भगवान का लिया आशीर्वाद

उन्होंने बताया कि 20 वर्ष तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे. इसके बाद से वह संघ के प्रकल्प सेवा भारती के लिए अपनी सेवा अर्पित कर रहे हैं. उन्होंने इस अवसर को न केवल व्यक्तिगत जीवन के लिए महत्वपूर्ण बताया, बल्कि सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना का दौर ठहराया. शालिनी गौतम एक महाविद्यालय में पढ़ाती हैं. उन्होंने कहा कि इससे बड़ा अवसर और कुछ नहीं हो सकता.

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