नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कहा कि एजेंसी को मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में कम दोषसिद्धि दर (Conviction Rate) की पृष्ठभूमि में अभियोजन और साक्ष्य की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को लोकसभा को बताया कि ईडी ने 2014 से 2024 के बीच धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कुल 5,297 मामले दर्ज किए, जबकि 40 मामलों में आरोपियों को दोषी ठहराया गया.
जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने संसद में केंद्र के बयान का हवाला देते हुए कहा कि ईडी को दोषसिद्धि दर बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक जांच करनी चाहिए. पीठ ने छत्तीसगढ़ के एक व्यवसायी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसे कोयला की ढुलाई पर अवैध वसूली से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया गया है. पीठ में जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुइयां भी शामिल हैं.