भोजपुर : बिहार के किसानों को खेती करने के लिए वीजा और पासपोर्ट की जरूरत पड़ सकती है. क्योंकि बिहार के भोजपुर जिला के 45 हजार प्लॉट श्रीलंका और हिंद महासागरमें होने की बात पर चर्चा हो रही है. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि डिजिटल सर्वे में भोजपुर जिला के खेतों का लोकेशन श्रीलंका और हिन्द महासागर में दिख रहा है. डिजिटल सर्वे में हुए गड़बड़ी की चर्चा इन दिनों सोशल मीडिया से ले कर आम लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है. कृषि पदाधिकारी शत्रुहन साहू ने बताया कि सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण ऐसा हो रहा है इंजीनियर डिपार्टमेंट की टीम लगी है जल्द ही ठीक कर लिया जायेगा.
किसानों को खेती के लिए लेना पड़ेगा वीजा?: वैसे तो भारत के दक्षिण पश्चिम में भले ही हिंद महासागर, भोजपुर से 1200 किलोमीटर दूर है, लेकिन डिजिटल सर्वे में जिले के अधिकांश जमीन के टुकड़े समुद्र में दिख रहे हैं. इससे बड़ी संख्या में किसान हैरान और परेशान हैं. डिजिटल सर्वे में जिले के 14 प्रखंडों के 45 हजार प्लाट की लोकेशन हिंद महासागर है. इस चूक का पता तब चला, जब कृषि विभाग के कर्मचारी प्रखंडों में प्लाट का डिजिटल सर्वे करने में लगाए गए. ऐसा अक्षांश व देशांतर में तकनीकी गड़बड़ी के कारण हुआ है.
इस गड़बड़ी से किसान हक्के-बक्के: किसानों की जमीन के बारे में वैज्ञानिक डाटा उपलब्ध करने और जरूरतमंद किसानों को योजनाओं का उचित लाभ देने के उद्देश्य से डिजिटल क्रॉप सर्वे 20 दिसंबर से चल रहा है. जिला भूमि संरक्षण विभाग प्लॉट के डिजिटल सर्वे को विभागीय साइट पर अपलोड कर रहा है. अगिआंव, गड़हनी, तरारी आदि प्रखंड के प्लाटों को उसके सेटेलाइट डाटा के आधार पर अपलोड किया जा रहा है. विभाग उन प्लाट को अपलोड नहीं कर पा रहा था, जिनके आक्षांश और देशांतर में तकनीकी गड़बड़ी थी.
हिंद महासागर में नजर आ रहे प्लॉट : कागज में जिस स्थान पर जिस मौजा और खेसरा का उल्लेख है, वह उस जगह पर नहीं दिखा रहा है. वह सीधे हिंद महासागर में दिख रहा है. कृषि विभाग के अनुसार ऐसी गलती राजस्व विभाग के द्वारा हुई है. राजस्व विभाग ने जमीन को नए सर्वे में अपलोड किया है. उसमें देशांतर की जगह अक्षांश और अक्षांश की जगह देशांतर को अपलोड कर दिया गया है. इस कारण हजारों प्लाट का भूगोल बदल गया है.