नई दिल्ली: निचली अदालत से जमानत खारिज होने के बाद दिल्ली हिंसा मामले के आरोपी उमर खालिद ने दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की है. जमानत याचिका पर जस्टिस प्रतिभा सिंह की अध्यक्षता वाली बेंच 22 जुलाई को सुनवाई करेगी. इससे पहले कड़कड़डूमा कोर्ट ने 28 मई को खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दिया था.
कड़कड़डूमा कोर्ट में सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से वकील त्रिदिप पेस ने कहा था कि दिल्ली पुलिस चार्जशीट में खालिद के नाम का प्रयोग इस तरह से कर रही है जैसे कोई मंत्र हो. चार्जशीट में बार-बार नाम लेने और झूठ बोलने से कोई तथ्य सच साबित नहीं हो जाएगा. उन्होंने कहा था कि उमर खालिद के खिलाफ मीडिया ट्रायल भी चलाया गया. पेस ने कहा कि जमानत पर फैसला लेते समय कोर्ट को हर गवाह और दस्तावेज का परीक्षण करना होगा.
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पेस ने भीमा कोरेगांव मामले में वर्नोन गोंजाल्विस और शोमा सेन के मामले का जिक्र करते हुए उमर खालिद की जमानत की मांग की. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि उमर खालिद की ओर से जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ये नहीं कहा जा सकता है कि जांच में कई गड़बड़ियां है. ये आरोप मुक्त करने की याचिका नहीं है.
इस मामले में उमर खालिद की ओर से कहा गया था कि इस मामले के दूसरे आरोपियों के खिलाफ हमसे गंभीर आरोप हैं और वे जमानत पर हैं. उन्हें तो दिल्ली पुलिस ने आरोपी भी नहीं बनाया था. उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदीप पेस ने कहा था कि जिन तथ्यों के आधार पर तीन आरोपियों को जमानत दी गई वही तथ्य उमर खालिद के साथ भी है. उन्होंने समानता के सिद्धांत की बात करते हुए खालिद की जमानत देने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि उमर खालिद के खिलाफ कोई आतंकी कानून की धारा नहीं लगी है.
बता दें कि उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले लिया था और कहा था कि अब वे ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर करेंगे. खालिद को 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था. फिलहाल वो जेल में है. इससे पहले 18 अक्टूबर 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दिया था.
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