नई दिल्ली: दिल्ली आबकारी घोटाले में 17 महीने पहले गिरफ्तार दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. आम आदमी पार्टी में दूसरे नंबर के नेता मनीष सिसोदिया को जमानत, मौजूदा समय में उसके लिए संजीवनी बूटी के समान है. AAP के सामने अभी बड़ी चुनौती संगठन को एकजुट रखना और हरियाणा व दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना है.
मनीष सिसोदिया को जमानत मिलने के बाद प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा है कि सिसोदिया की जिंदगी के 17 महीने जो बर्बाद हुए हैं इसकी भरपाई कौन करेगा? कहा कि शुरू से यह कहा जा रहा है कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया है. उनके यहां से एक पैसे की कोई बरामदगी नहीं हुई है. उन्हें प्रतिशोध की भावना के तहत गिरफ्तार किया गया था. इसको लेकर AAP की राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, " मनीष जी की बेल से बहुत ख़ुशी है. उम्मीद है अब वह लीड लेकर सरकार को सही दिशा में लेकर चलेंगे."
जानिए क्यों गिरफ्तार हुए थे मनीष सिसोदिया
दिल्ली का उपमुख्यमंत्री रहने के साथ-साथ सिसोदिया दिल्ली के आबकारी मंत्री भी थे. उनके नेतृत्व में ही दिल्ली की पुरानी आबकारी नीति को बदलकर नई आबकारी नीति बनाई गई, जिसको सितंबर 2021 में लागू किया गया. इस दौरान दिल्ली में शराब के बहुत सारी शराब की नई दुकानें खोली गईं और उन पर एक बोतल के साथ एक बोतल फ्री का ऑफर देकर भारी संख्या में शराब की बिक्री की गई.
आबकारी नीति लागू होने के 6 महीने बाद ही इसमें भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे. बीजेपी ने इस घोटाले की जांच के लिए कई बार आंदोलन भी किया. अंततः दिल्ली के उपराज्यपाल ने आबकारी घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश दिए. इसके बाद सीबीआई ने सिसोदिया समेत तत्कालीन आबकारी आयुक्त, उपायुक्त और शराब कारोबारियों सहित 10 से ज्यादा लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया और जांच शुरू की. 6 महीने में ही जांच की आंच मनीष सिसोदिया तक पहुंच गई. 26 फरवरी 2023 को सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था.