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मंदिर संपत्ति विवाद में हनुमान जी को बनाया सह-वादी, हाईकोर्ट ने लगाया एक लाख जुर्माना, जानें क्या कहा - Made Lord Hanuman a co plaintiff - MADE LORD HANUMAN A CO PLAINTIFF

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक निजी जमीन पर कब्जे के मामले में भगवान हनुमान को सह-वादी बनाकर दायर याचिका को खारिज कर दी है. साथ ही याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.

हाईकोर्ट ने मंदिर संपत्ति विवाद में हनुमान जी को सह-वादी बनाने वाले याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाया
हाईकोर्ट ने मंदिर संपत्ति विवाद में हनुमान जी को सह-वादी बनाने वाले याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाया (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 7, 2024, 6:19 PM IST

Updated : May 7, 2024, 6:37 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक निजी भूमि पर कब्जे के संबंध में भगवान हनुमान को सह-वादी बनाने पर याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. साथ ही जस्टिस सी हरिशंकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका को खारिज भी कर दिया. याचिकाकर्ता ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. यह मामला उत्तम नगर की जैन कालोनी के पार्ट वन की एक संपत्ति का है.

याचिका में कहा गया था कि संपत्ति पर एक सार्वजनिक हनुमान मंदिर है. इसलिए जमीन भगवान हनुमान की है और याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष भगवान हनुमान के निकट मित्र और उपासक के रूप में याचिका दायर किया. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने संपत्ति पर कब्जा करने के इरादे से साजिश रची और जमीन के मौजूदा कब्जाधारियों के साथ मिलीभगत की. ताकि मुकदमे के बाद प्रतिवादी पक्ष को दोबारा कब्जा करने से रोका जा सके.

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इस मामले में कोर्ट ने बताया कि ट्रायल कोर्ट के प्रतिवादियों ने जमीन खाली करने के लिए 11 लाख रुपये मांगे थे और याचिकाकर्ता ने छह लाख रुपये का भुगतान भी किया. इसके बावजूद प्रतिवादियों ने जमीन खाली नहीं की. इस मामले में प्रतिवादी ही मौजूदा कब्जाधारक हैं. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता ने ये कहते हुए आपत्ति दर्ज कराई कि वह भूमि भगवान हनुमान की है और वह भगवान हनुमान के उपासक और उनके निकट मित्र होने के नाते उनके हित की रक्षा करने का अधिकार है.

बता दें, याचिकाकर्ता इस मामले में ट्रायल कोर्ट का न तो वादी है और न ही प्रतिवादी, बल्कि वह तीसरा पक्ष है. कोर्ट ने कहा कि जनता को निजी मंदिर में तब तक पूजा करने का अधिकार नहीं है, जब तक मंदिर का मालिक ऐसा नहीं करता या समय बीतने के साथ निजी मंदिर सार्वजनिक मंदिर में बदल जाता है.

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Last Updated : May 7, 2024, 6:37 PM IST

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