नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एनआईए से पूछा है कि टेरर फंडिंग मामले के आरोपी और सांसद इंजीनियर रशीद को संसद सत्र में हिस्सा लेने के लिए कस्टडी पेरोल क्यों नहीं दी जा सकती है. जस्टिस विकास महाजन की बेंच ने एनआईए को कल यानि 7 फरवरी को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया.
हाईकोर्ट की रजिस्ट्री की ओर से वकील कन्हैया सिंघल ने बताया कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पूछा है कि क्या स्पेशल एनआईए कोर्ट को एमपी-एमएलए कोर्ट का अधिकार दिया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका 11 या 12 फरवरी को लिस्ट किया जा सकता है. उसके बाद कोर्ट ने कहा कि जब याचिकाकर्ता सांसद है तो उसे कस्टडी पेरोल में संसद सत्र में हिस्सा लेने की इजाजत क्यों नहीं दी जा सकती है. तब एनआईए की ओर से कहा गया कि इस पर उन्हें निर्देश लेना होगा. तब कोर्ट ने एनआईए को 7 फरवरी को निर्देश लेकर कोर्ट को बताने का आदेश दिया.
तिहाड़ जेल में बंद बारामूला सांसद ने मांगी अंतरिम जमानत :पहले की सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया था कि सितंबर 2024 में दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पास अर्जी दाखिल कर स्पेशल एनआईए कोर्ट को स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट का भी दर्जा देने की मांग की जा चुकी है. एननआईए ने रशीद की अंतरिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि इससे पहले चुनाव प्रचार और शपथ लेने के लिए अंतरिम जमानत मिली थी और उनके पिता की खराब सेहत के आधार पर भी अंतरिम जमानत मिल चुकी है. अगर कोर्ट चाहे तो अब रशीद की नियामित ज़मानत पर सुनवाई कर सकती है. इस पर रशीद के वकील ने कहा कि हम अभी सिर्फ अंतरिम जमानत की मांग कर रहे हैं.
रशीद की नियमित ज़मानत याचिका पांच महीने से लंबित :बता दें कि 30 जनवरी को सुनवाई के दौरान इंजीनियर रशीद की ओर से पेश वकील ने कहा कि जब तक नियमित जमानत याचिका पर फैसला नहीं हो जाता तब तक उसे संसद सत्र में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए. उनकी नियामित ज़मानत याचिका पांच महीने से लंबित है. इंजीनियर रशीद को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत भी मिली थी. रशीद चुने हुए सांसद हैं और उनके भागने का कोई खतरा नहीं है.