नई दिल्ली: कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ चुनाव के बाद गठबंधन को लेकर प्रतिक्रिया दी है. नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित ने शनिवार को कहा कि उन्हें आम आदमी पार्टी के साथ चुनाव परिणामों के बाद उनकी पार्टी के किसी गठबंधन के बारे में कोई जानकारी नहीं है, क्योंकि यह हाईकमान पर निर्भर करता है.
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए दीक्षित ने कहा, "गठबंधन के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है. यह हाईकमान के फैसले पर निर्भर है. वोटों की गिनती होने दीजिए." बता दें कि मतदान के बाद बुधवार को जारी किए गए अधिकांश एग्जिट पोल में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को आम आदमी पार्टी (AAP) पर बढ़त दिखाई गई. वहीं, आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कहा कि एग्जिट पोल ने पार्टी के प्रदर्शन को कम करके आंका है. उन्होंने सत्ता में वापसी का भरोसा जताया.
पीएम मोदी ने साधा निशाना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने अपने अभियान में यमुना नदी के कथित जहरीली होने और मुख्यमंत्री के रूप में अरविंद केजरीवाल के आवास के रेनोवेशन को लेकर आप पर निशाना साधा . प्रधानमंत्री ने केजरीवाल पर निशाना साधने के लिए 'आपदा' और 'शीश महल' जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया.
इस बीच AAP ने अपने 11 साल के कार्यकाल के दौरान शिक्षा क्षेत्र में अपनी परफोर्मेंस को उजागर किया. केजरीवाल ने दावा किया कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो वह फ्री शिक्षा बंद कर देगी. वहीं, कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी रैलियां कीं और दिल्ली आबकारी नीति स्कैम मामले में कथित भूमिका के लिए केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया पर निशाना साधा.
5 फरवरी को हुआ था मतदान
70 सदस्यीय विधानसभा सीट के लिए 5 फरवरी को मतदान हुआ था. इस दौरान कुल 60.54 प्रतिशत वोटिंग हुई. अगर बात करें प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों की नई दिल्ली से आप नेता और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित और भाजपा के प्रवेश वर्मा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी का मुकाबला भाजपा के रमेश बिधूड़ी और कांग्रेस की अलका लांबा से है. अभियान के दौरान तीनों दलों के नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली.
दो चुनावों में AAP का दबदबा
गौरतलब है कि दिल्ली में लगातार 15 साल तक सत्ता में रही कांग्रेस को पिछले दो विधानसभा चुनावों में झटका लगा था और वह एक भी सीट जीतने में सफल नहीं रही. दिल्ली में पिछले दो विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी का दबदबा रहा, लेकिन भाजपा इस रुझान को तोड़कर दो दशक से अधिक समय के अंतराल के बाद राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता हासिल करना चाहती है.
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