नई दिल्ली: दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले सीएम के चेहरे के लिए भी कई नामों पर चर्चा शुरू हो गई है. दिल्ली की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी ने सबसे पहले सभी 70 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान करने के बाद अरविंद केजरीवाल खुद को भावी सीएम बता चुके हैं. तो वहीं दिल्ली शराब घोटाले में जिन शर्तों पर केजरीवाल को जमानत मिली है, उस कानूनी दांव-पेंच के चलते आतिशी का नाम भी आगे है. बीजेपी ने 29 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की, लेकिन सीएम पद के लिए सांसद बांसुरी स्वराज, मनोज तिवारी पूर्व सांसद के नाम की चर्चा है. वहीं, कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव और नई दिल्ली सीट से प्रत्याशी संदीप दीक्षित भी रेस में शामिल हैं.
आप, कांग्रेस और बीजेपी की रणनीति:दिल्ली चुनाव के लिए कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने अपनी-अपनी रणनीतियां तैयार कर ली है. बीजेपी ने 29सीट के लिए अभी तक प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया है. दिल्ली की सत्ता हासिल करने के लिए बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ पूरी ताकत झोंक दी है. उधर, आम आदमी पार्टी में केजरीवाल के बाद दूसरे नंबर के नेता मनीष सिसोदिया और उसके बाद मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ बीजेपी और कांग्रेस ने सोची समझी रणनीति के तहत घेरने का प्लान बनाया है. कांग्रेस ने नई दिल्ली सीट पर केजरीवाल के खिलाफ दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को उम्मीदवार बनाया. वहीं, भाजपा ने पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को टिकट दिया है, जो दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के पुत्र हैं. दोनों नेताओं ने चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिए हैं. तो वहीं, मनीष सिसोदिया को घेरने के लिए कांग्रेस ने पार्टी के वरिष्ठ नेता फरहाद सूरी को मैदान में उतार दिया है.
बिधूड़ी की एंट्री से आतिशी को मिल सकती है कड़ी चुनौती:आतिशी के मुख्यमंत्री होने के चलते कालकाजी सीट हाई प्रोफाइल सीट हो गई है. इसी के चलते कांग्रेस ने चांदनी चौक सीट से विधायक रहीं अलका लांबा को कालकाजी से प्रत्याशी बनाया है. वहीं, भाजपा ने तुगलकाबाद सीट से तीन बार विधायय और दो बार दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट से सांसद रहे रमेश विधूड़ी को आतिशी के सामने मैदान में उतारा है. कालकाजी दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट का हिस्सा है. इस वजह से सांसद के रूप में रमेश बिधूड़ी का भी क्षेत्र रहा है. इसलिए भाजपा ने बिधूड़ी पर कालकाजी सीट पर दांव खेला है. जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अलका लांबा कालकाजी के लिए बाहरी हैं. अलका लांबा को चुनाव लड़ाने में यहां के स्थानीय कांग्रेस नेताओं और पूर्व विधायक सुभाष चोपड़ा की भूमिका प्रमुख रहेगी. कांग्रेस में सीएम रेस में संदीप दीक्षित के अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव के बारे में भी पार्टी के अंदरखाने चर्चा है कि अगर सरकार बनाने की स्थिति में रही तो सीएम फेस के लिए उनके नाम पर मोहर लगा सकती है. कांग्रेस ने अभी तक 48 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है.
दिल्ली में 26 सालों से सत्ता से बाहर बीजेपी:बीजेपी ने 29 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है. बीजेपी जो दिल्ली की सत्ता से 26 सालों से बाहर चल रही है, ऐसे में बाकी और सीटों पर इस बार बड़े चेहरे पर दांव लगा सकती है. नई दिल्ली विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है. हालांकि प्रवेश वर्मा अभी नई दिल्ली क्षेत्र के महिलाओं को नोट बांटने के मामले में विवादों में भी आ चुके हैं. मगर बीजेपी ने इसे निजी मामला बताकर पूरे प्रकरण से अपने आपको अलग रखा है. वहीं, दिल्ली बीजेपी सांसद रही मीनाक्षी लेखी को भी पार्टी ग्रेटर कैलाश विधानसभा सीट से प्रत्याशी उतार सकती है. इसके अलावा वर्ष 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी का मुख्यमंत्री चेहरा रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन भी चुनाव लड़ने की रेस में है. उन्हें संभावित उम्मीदवार बताया जा रहा है. इसके अलावा दिल्ली के मौजूदा सांसद बांसुरी स्वराज वह मनोज तिवारी का नाम भी सीएम फेस के लिए चर्चा में है. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के नाम को लेकर अभी संशय है कि वह चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इसलिए सीएम फेस की रेस से वह शामिल नहीं हैं.
बीजेपी स्पष्ट करें सीएम फेस कौन होगा?: विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का कहना है कि दिल्ली के मौजूदा राजनीतिक समीकरणों और पिछले अनुभव की तरह से बीजेपी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए बिना ही चुनाव मैदान में उतरने जा रही है. पार्टी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी. ऐसे में बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही बड़ा चेहरा बनाकर पार्टी दिल्ली के चुनाव मैदान में सत्ता में कागज आम आदमी पार्टी को करने की कोशिश में है. सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने से पार्टी को फायदा होगा या नुकसान उठाना पड़ सकता है, इसका आंकलन करते हुए ही पिछले दिनों आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल बार-बार प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह पूछने से नहीं चूकते कि बीजेपी स्पष्ट करें कि उनका सीएम फेस कौन होगा?
सीएम फेस घोषित करने से चुनाव में नहीं मिला है लाभ:राजनीतिक विश्लेषक जगदीश ममगांई बताते हैं, दिल्ली में विधानसभा चुनाव में अभी तक मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करके चुनाव लड़ने का बीजेपी का रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है. वर्ष 1993 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली में मदनलाल खुराना बड़े नेता थे और उस वक्त पार्टी ने जीत हासिल करके दिल्ली में सरकार बनाई थी. लेकिन उसके बाद 1998 से अब तक दिल्ली में पार्टी मुख्यमंत्री पद के लिए नाम घोषित करने के बावजूद जीत हासिल नहीं कर सकी है. वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने मदनलाल खुराना को मुख्यमंत्री चेहरा बनाकर चुनाव लड़ा, बावजूद शीला दीक्षित लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में कामयाब हुई.