लेह, लद्दाख: लेह के एनडीएस मेमोरियल पार्क से लद्दाख के लोग अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की तरफ कूच कर चुके हैं. सोनम वांगचुक और लेह एपेक्स बॉडी के पदाधिकारियों के नेतृत्व वाले इस पद यात्रा में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी शामिल है.1 सितंबर को लेह से शुरू किया गया शांतिपूर्ण मार्च, क्षेत्र की बढ़ती चिंताओं पर केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए एक बड़े राष्ट्रीय अभियान का हिस्सा बन गया है.
लेह से दिल्ली का सफर, क्या है मांग
पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य चार सूत्री एजेंडे का समर्थन करना है, जिसमें लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची में शामिल करना, एक अतिरिक्त लोकसभा सीट और लद्दाख में बेरोजगारी को दूर करना शामिल है. इस पदयात्रा में शामिल लोग हर दिन 25 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं. दिल्ली की तरफ कूच कर चुकी पदयात्रा का आज 30वां दिन है. अब तक, वे 730 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर चुके हैं. इसके अलावा, चंडीगढ़ में 29 सितंबर को केडीए के कुल 12 सदस्य शामिल हुए.
दिल्ली की पदयात्रा (ETV Bharat) डेलदान नामग्याल ने क्या कहा
नुबरा के पूर्व विधायक डेलदान नामग्याल ने कहा है कि, "पदयात्रा चार सूत्री एजेंडे पर है जिसमें लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची में लद्दाख को शामिल करना, दो लोकसभा सीटें (लेह और कारगिल के लिए एक-एक), लद्दाख के लिए अलग पीएससी शामिल है. आर्टिकल 370 के खत्म होने से पहले, चार विधायक और दो एमएलसी हुआ करते थे जो विधानसभा में लद्दाख का प्रतिनिधित्व करते थे और उनके पास कानून बनाने की शक्ति थी.
साथ ही, एलएएचडीसी अधिनियम 1997 के तहत, केवल सीईओ/उपायुक्त ही एलएएचडीसी के दायरे में आते थे. केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद, हमारे पास अध्यक्ष/डीसी, आयुक्त सचिव, सलाहकार, फिर उपराज्यपाल से ऊपर कई निदेशक हैं और एलएएचडीसी अधिनियम और कमजोर हो गया है."
दिल्ली की पदयात्रा (ETV Bharat) उन्होंने आगे कहा कि, "अब लद्दाख या तो राज्य का दर्जा मांग रहा है या स्वायत्त विकास परिषदों के साथ छठी अनुसूची, सबसे पहले हमें एक आदिवासी क्षेत्र के रूप में घोषित किया जाना चाहिए, हालांकि हम पहले से ही आदिवासी हैं क्योंकि हमारी 97 प्रतिशत आबादी आदिवासी है."
डेलदान नामग्याल ने कहा कि, "मेरी राय में हम छठी अनुसूची की मांग कर रहे हैं, जिसमें एडीसी को स्थानीय रूप से प्रासंगिक विभिन्न विषयों पर संवैधानिक और कानून बनाने की शक्ति दी जाए. दूसरा विकल्प यह है कि, अगर भारत सरकार लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की घोषणा करती है, तो जाहिर है कि हमारे पास विधानसभा होगी और विधायक होंगे, जिसका मतलब है कि विधानसभा में भूमि, नौकरी, पर्यावरण की सुरक्षा सहित नियोजन प्रक्रियाओं में हमारी बात होगी, जबकि वर्तमान में एलएएचडीसी अधिनियम 1997 कानून नहीं बना सकता है."
दिल्ली की पदयात्रा (ETV Bharat) जिग्मेट पलजोर ने कहा...
वहीं, एपेक्स बॉडी कोऑर्डिनेटर, पदयात्रा कोऑर्डिनेटर जिग्मेट पलजोर कहते हैं, "आज 30वां दिन है और दूर-दूर से लोग इसमें शामिल हुए हैं. हमने लगभग 730 किलोमीटर की दूरी तय की है, जिसमें हमने कई दर्रे पार किए हैं. लोगों को सांस लेने में तकलीफ, छाले, पीठ दर्द, निर्जलीकरण जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन हमने कभी हार नहीं मानी और समर्पण के साथ पदयात्रा की. लोग लद्दाख के लिए अपने घर पर होने की खुशी का त्याग करके हमारे साथ शामिल हुए हैं. उन्होंने कहा कि, छोटी-मोटी समस्याएं थीं, लेकिन हमने अपनी यात्रा जारी रखी और आज दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं.
दिल्ली की पदयात्रा (ETV Bharat) अपना संदेश देते हुए उन्होंने आगे कहा कि, "पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य चार सूत्री एजेंडे का समर्थन करना है. हम सरकार से बातचीत कर रहे हैं, जो जल्द से जल्द शुरू होनी चाहिए और हमारी मांगों का समाधान निकालना चाहिए. दूसरी बात, सोनम वांगचुक जो एक पर्यावरणविद् हैं और पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं, वे चार सूत्री एजेंडे का समर्थन करने के साथ-साथ दुनिया को यह संदेश दे रहे हैं कि पर्यावरण और आदिवासी समुदाय की रक्षा की जानी चाहिए और लोगों से अनुरोध कर रहे हैं कि वे अपना जीवन सरल और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से जिएं."
दिल्ली की पदयात्रा (ETV Bharat) जिग्मेट पलजोर ने सरकार से अपनी अपेक्षाएं व्यक्त करते हुए कहा कि, "लोग बिना किसी को कोई असुविधा पहुंचाए, बहुत मुश्किलों से यहां शांतिपूर्वक आए हैं. सरकार से हमारी अपेक्षा है कि जल्द से जल्द बातचीत फिर से शुरू हो और इस ओर सरकार का ध्यान जाना चाहिए. एपेक्स बॉडी लेह के सदस्य मेहदी शाह ने कहा कि, "चार सूत्री एजेंडे पर एक सितंबर को लेह से एक महीने की यात्रा शुरू हुई थी.
चुनौतियों के बीच आगे बढ़ते रहें...
उन्होंने आगे कहा कि, यात्रा के दौरान कई चुनौतियां थीं, लेकिन उन्होंने खुद को तैयार कर लिया है. शुरुआती 10 दिन वे लद्दाख में ही रहे, जहां उन्होंने 15 हजार से 16 हजार ऊंचाई वाले 3-4 दर्रे पार किए, फिर 11वें दिन वे हिमाचल में दाखिल हुए. उन्होंने आगे कहा कि, "हमारे यात्रियों में ज्यादातर 79, 55, 57 साल की उम्र के लोग हैं. ऊंचाई पर होने वाली बीमारियों, सिरदर्द की समस्या आम थी, लेकिन उन्होंने खुद को संभाल लिया. उन्होंने आगे कहा कि, आज पदयात्रा दिल्ली पहुंचने वाली है.
उन्होंने कहा कि, "न्यूनतम तापमान 6 और अधिकतम तापमान 37 से 40 डिग्री सेल्सियस रहा. भीषण गर्मी की वजह से लोगों को डिहाइड्रेशन, सिरदर्द की समस्या हो रही है, उसके बाद भी हम आगे बढ़ रहे हैं." हमें हिमाचल के लोगों से खास तौर पर दारचा, बिलासपुर से लेकर चंडीगढ़ तक का भरपूर समर्थन और प्यार मिला है. कई जगहों पर लोगों ने सभी यात्रियों के लिए खाने का इंतजाम किया है. हिमाचल सरकार ने हमें एंबुलेंस और पुलिस सुरक्षा भी मुहैया कराई है, जबकि दूसरी तरफ लद्दाख के यूटी प्रशासन ने न तो एंबुलेंस मुहैया कराई है और न ही कोई सुरक्षा. दिल्ली पहुंचने के बाद हम राजघाट जाएंगे और 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर जंतर-मंतर पर यात्रा का समापन करेंगे.
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