नई दिल्लीःदिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच की प्रतिस्पर्धा अब केवल नीति व विकास के मुद्दों तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह एक बड़े नेतृत्व युद्ध में बदल हो चुकी है. दिल्ली में भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है, जबकि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपना चेहरा बनाया है. दोनों दलों के नेताओं के चेहरे पर चुनाव लड़ने से उन्हें किस तरह के फायदे और नुकसान हो सकते हैं. आइए जानते हैं.
भाजपा के पास पीएम मोदी का चेहराःप्रधानमंत्री मोदी का चेहरा राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ा ब्रांड है. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में जबरदस्त जीत हासिल की. मोदी की छवि देशभर में मजबूत है और दिल्ली में भी उनके समर्थक बड़ी संख्या में हैं. पीएम मोदी के नेतृत्व में दिल्ली के लोगों को केन्द्र सरकार की योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत योजना जैसे अन्य का लाभ देने का दावा कर रही है. मोदी की लोकप्रियता और उनके द्वारा शुरू की गई योजनाओं को प्रचारित करना भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकता है. मोदी का चेहरा भाजपा को एक राष्ट्रीय पहचान दिलाता है. इस प्रचार के दौरान भाजपा दिल्ली में अपने राष्ट्रीय नेटवर्क का उपयोग करके मतदाताओं तक पहुंच सकती है.
सीएम चेहरा न होने से भाजपा को नुकसानःभाजपा में सीएम का चेहरा न होने से आम आदमी पार्टी लगातार हमला बोल रही है. अगर भाजपा केवल मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ती है तो यह संभावित नुकसान हो सकता है. दिल्ली में स्थानीय मुद्दों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, और बिजली-पानी पर केजरीवाल की सरकार के किए गए काम प्रमुख चर्चा के विषय हैं. मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने से भाजपा इन मुद्दों पर अपनी स्थिति को सही ढंग से नहीं प्रस्तुत कर सकती. मोदी के चेहरे को प्रस्तुत करने से भाजपा मुख्यमंत्री पद का कोई स्थानीय उम्मीदवार पेश नहीं कर पाई है. यह आम आदमी पार्टी के लिए हमलावर होकर भाजपा की रणनीति पर सवाल उठाने का एक बड़ा मौका बन रहा है.
केजरीवाल के चेहरे से AAP को फायदाःकेजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में पहले ही अपनी छवि बना चुके हैं. उन्होंने दिल्ली के लोगों के बीच शिक्षा, स्वास्थ्य और मुफ्त बिजली-पानी जैसे मुद्दों पर प्रभावी काम किया है. इसी तरह केजरीवाल का चेहरा दिल्ली के स्थानीय मुद्दों से जुड़ा है, जो उन्हें दिल्ली के मतदाताओं से आसानी से समर्थन दिला सकता है. केजरीवाल की सादगी और जनता से जुड़े रहने की छवि उन्हें दिल्ली में बहुत लोकप्रिय बनाती है. उनकी ईमानदारी और सुधारात्मक नीतियों ने उन्हें एक भरोसेमंद नेता के रूप में स्थापित किया है, जिससे आम आदमी पार्टी को समर्थन मिलता है. केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने भाजपा और मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है, खासकर मुख्यमंत्री आवास पर भाजपा द्वारा लगाए गए आरोपों के खिलाफ. इससे आम आदमी पार्टी ने खुद को दिल्ली के लोगों के हितों के लिए संघर्ष करने वाला दल के रूप में पेश किया है.
पीएम के चेहरे से आम आदमी पार्टी को नुकसानःप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसी बड़ी राष्ट्रीय छवि के मुकाबले अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता सीमित है. मोदी की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान आम आदमी पार्टी के लिए एक चुनौती है. भाजपा के पास मोदी शक्तिशाली प्रचारक है, जबकि आम आदमी पार्टी के लिए केजरीवाल के खिलाफ भाजपा का हमला मजबूत हो सकता है. भाजपा केजरीवाल को भ्रष्टाचार, वादाखिलाफी, पूर्वांचलियों के अपमान, दिल्ली की बदहाल स्थिति, पेयजल समस्या, प्रदूषण आदि के मुद्दे पर लगातार घेरती आ रही है.