गया: बिहार के गया में खपली और मोती दाना गेहूं की खेती हो रही है. यह गेहूं की वैरायटी 2000 साल पुरानी है. खास बात यह है कि ये बिना खाद के तैयार हो जाती है. खपली गेहूं के आटे का मार्केट वैल्यू भी ज्यादा है. वहीं, मोती दाना गेहूं का आटा भी सामान्य आटे से ज्यादा महंगा बिकता है.
सामान्य आटे से ज्यादा है कीमत: खपली गेहूं का आटा 150 और मोती दाना का आटा 100 से 120 रुपए किलो तक बिकता है. बड़ी बात यह है इस गेहूं के आटे से बुढ़ापे के असर को एक हद तक कम किया जा सकता है. वहीं ये कई बीमारियों में फायदेमंद साबित होता है. गया जिले के जयगीर अंतर्गत अंजनिया टांड़ गांव में खपली और मोती दाना गेहूं की खेती हो रही है. किसान गोविंद प्रजापत गेहूं की खपली और मोती दाना किस्म की खेती कर रहे हैं. इन्होंने ढाई कट्ठे में खपली गेहूं की खेती शुरू की है.
खपली और मोती दाना गेंहू की बढ़ी डिमांड:गोविंद प्रजापत ने 10 कट्ठे में मोती दाना गेहूं भी लगाया है. इन पुरानी वैरायटी के गेहूं का ग्रोथ काफी है. वहीं दूसरी ओर इस गेहूं के कई फायदे सेहत से जुड़े हैं. यही वजह है कि मार्केट में खपली और मोती दाना गेहूं की डिमांड है. गेहूं के इन किस्म की पैदावार होते ही इसकी बिक्री हो जाती है.
किसानों को हो रहा मुनाफा:बाजार में सामान्य आटा औसतन 30 रुपये किलो बिकता है लेकिन खपली गेहूं का आटा 150 रुपये किलो है. वहीं मोती दाना का आटा 80 से 120 रुपये किलो बिक रहा है. गोविंद ने पहली बार इसकी खेती की है, जो उसके लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रही है. सामान्य आटा जहां 3000 रुपये क्विंटल बिकता है, वहीं खपली गेहूं का आटा 15000 रुपये क्विंटल तो मोती दाना का आटा 10000 से 12000 रुपये क्विंटल तक बिकता है.
खर्च हजारों में और कमाई लाखों की:खपली और मोती दाना गेहूं की खेती काफी आसान है. जैविक खाद से इसका ग्रोथ काफी हो जाता है. वैसे यह बिना खाद के भी तैयार हो जाता है. खपली और मोती दाना गेहूं की खेती में खर्च काफी काम आता है. इस पर खर्च हजारों में ही आता है लेकिन कमाई लाखों में हो जाती है. किसान गोविंद प्रजापत इसकी खेती कर रहे हैं. इन्होंने पहली बार इसकी खेती लगाई है, लेकिन आने वाले दिनों में कई एकड़ों में इसकी खेती करेंगे.
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड है सपना:गोविंद प्रजापत बताते हैं कि वह एक कट्ठा में 167 किलोग्राम खपली या मोती दाना गेहूं का पैदावार कर सकते हैं. इसकी काफी ग्रोथ होती है. इसमें थोड़ी मेहनत कर वह एक कट्ठा में 167 किलोग्राम गेहूं का उत्पादन कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा लेंगे.गोविंद प्रजापत के अनुसार आज के परिवेश में ज्यादातर लोग बीमार हैं. ऐसे में खपली और मोती दाना गेहूं का आटा काफी फायदे वाला साबित होता है. यही वजह है, कि खपली और मोती दाना गेहूं का आटा तुरंत बिक जाता है, उन्हें इसके ऑर्डर आ चुके हैं.