हैदराबादःदेश की सुरक्षा सर्वोपरि है. सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी सैन्य बलों के हाथों में होता है. इसका सीधा-सीधा नियंत्रण रक्षा मंत्रालय के अधीन होता है. वहीं देश के भीतर कई बार कई कारणों से आंतरिक अशांति पैदा हो जाती है. जैसे आंतकवाद, नक्सल गतिविधियों से निपटना, दंगा, विद्रोह, प्राकृतिक आपदा आदि समस्याएं पैदा हो जाती है. इन परिस्थितियों से निपटने के लिए राज्यों के पास सुरक्षा बलों की कमी, उनके पास पर्याप्त प्रशिक्षण, उपकरण, कोऑर्डिनेशन का अभाव होता है. अलग-अलग परिस्थितियों से निपटने के लिए देश में अलग-अलग अर्द्धसैनिक बल हैं. इनमें से एक केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स है, जिसे सीआरपीएफ कहा जाता है.
भारत में सीआरपीएफ का गठन 27 जुलाई 1939 को क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के नाम से ब्रतानी शासन काल के दौरान हुआ था. इस कारण हर साल इस दिन सीआरपीएफ स्थापना दिवस मनाया जाता है. यह भारत का सबसे पुराना अर्धसैनिक बल है. आज के समय में भी यह प्रीमियम केंद्रीय पुलिस बल है. इसका मूल नाम क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस है. आजादी से पहले इसका उपयोग रियासतों में विद्रोह, सरकार विरोधी अभियानों से निपटने के लिए किया जाता है. आजादी के बाद 28 दिसंबर 1949 को संसद के अधिनियम के तहत संगठन का नाम बदलकर केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स किया गया. 25 मार्च 1955 को CRPF Act लाया गया, इसमें सीआरपीएफ के संचालन के लिए नियम-परिनियम तय किये गये हैं.
सीआरपीएफ की प्रतिबद्धता और कर्तव्य
- दंगा नियंत्रण
- भीड़ पर नियंत्रण
- विद्रोह नियंत्रण करना
- आतंकवाद का मुकाबला
- अशांत क्षेत्रों में चुनावों संपन्न कराना
- युद्ध की स्थिति में दुश्मन से लड़ना
- एंटी नक्सल ऑपरेशन में हिस्सा लेना
- बड़े पैमाने पर सुरक्षा व्यवस्था का समग्र समन्वय
- सरकारी नीति के अनुसार शांति स्थापना मिशन में भाग लेना
- प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत व बचाव अभियान में हिस्सा लेनाा सीआरपीएफ स्थापना दिवस (Getty Images)सीआरपीएफ स्थापना दिवस (Getty Images)
सीआरपीएफ के पास कुल 246 बटालियन है. सीआरपीएफ का नेतृत्व महानिदेशक (डीजी) करते हैं. डीजी भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी होते हैं. इसके प्रशासन को 6 जोन में बांटा गया है.
- 208 एक्जीक्यूटिव बटालियन
- 6 महिला बटालियन
- 15 रैपिड एक्शन फोर्स
- 10 कोबरा कमांडो बटालियन
- 5 सिग्नल बटालियन
- 1 विशेष सेवा ग्रुप
- 1 संसद ड्यूटी ग्रुप
- 40 सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर
- 20 प्रशिक्षण संस्थान
- 3 केंद्रीय हथियार स्टोर्स
- 7 आयुद्ध वर्कशॉप
- 2 विशेष वर्कशॉप
- 1 मेडिकल वर्कशॉप
- 4 कंपोजिट हॉस्पिटल (100 बेड की क्षमता वाला)
- 17 कंपोजिट हॉस्पिटल (50 बेड की क्षमता वाला) सीआरपीएफ स्थापना दिवस (Getty Images)
1959 सीमाओं की सुरक्षा और वीरों का स्मरण
भारत की स्वतंत्रता के तुरंत बाद सीआरपीएफ की टुकड़ियों को कच्छ, राजस्थान और सिंध सीमाओं पर भेजा गया. इस इलाके में सीआरपीएफ को घुसपैठ और सीमा पार अपराधों पर अंकुश लगाने का काम सौंपा गया था. इसके बाद, पाकिस्तानी घुसपैठियों द्वारा शुरू की गई आक्रामक कार्रवाइयों के जवाब में इन बलों को जम्मू और कश्मीर में पाकिस्तान की सीमा पर फिर से तैनात किया गया. सीआरपीएफ को एक महत्वपूर्ण क्षण का सामना करना पड़ा जब इसे भारतीय क्षेत्र में पहली बार चीनी घुसपैठ का खामियाजा भुगतना पड़ा. यह घटना 21 अक्टूबर 1959 को लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स में हुई, जहां सीआरपीएफ का एक छोटा गश्ती दल चीनी सेना की ओर से घात लगाकर किए गए हमले में गिर गया. दुख की बात है कि इस मुठभेड़ के दौरान दस बहादुर सीआरपीएफ कर्मियों ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए. उस भाग्यशाली 21 अक्टूबर को उनके निस्वार्थ बलिदान को पूरे देश में पुलिस स्मृति दिवस के रूप में प्रतिवर्ष याद किया जाता है, जो कर्तव्य की पंक्ति में उनके समर्पण और बहादुरी की मार्मिक याद दिलाता है.
1962 सीआरपीएफ की वीरता: सीमा पर लड़ाई से लेकर वैश्विक शांति स्थापना तक