नई दिल्ली :मणिपुर की रहने वाली महिला 2013 में दिल्ली में किराए के मकान में संदिग्ध हालात में मृत पाई गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए हैं. शुरुआत में पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया था. हालांकि पूरे कमरे में खून बिखरा हुआ था और मृतका का चेहरा कुचला हुआ था, इस कारण बाद में हत्या का मामला दर्ज किया गया था.
मृतकों के परिजन असली दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए दर-दर भटकते रहे, लेकिन उन्हें अप्रभावी जांच का सामना करना पड़ा. शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि आपराधिक जांच निष्पक्ष और प्रभावी दोनों होनी चाहिए, और अदालतों को आम नागरिकों द्वारा उसके समक्ष लाई गई वास्तविक शिकायतों के प्रति सक्रिय रहने की आवश्यकता है.
न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने यह कहा जाहिर तौर पर 25 साल की एक युवा लड़की के आत्महत्या करने का कोई कारण नहीं दिखता है और प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला नहीं लगता है.
पीठ ने कहा कि वर्तमान अपीलकर्ता, जो मृतक के करीबी रिश्तेदार हैं और मणिपुर के निवासी हैं. उन्होंने हमेशा दावा किया है कि यह दुष्कर्म और हत्या का मामला है, और पुलिस आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है.