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दिल्ली में केदारनाथ मंदिर निर्माण पर छिड़ा विवाद, पुरोहितों ने खोला मोर्चा, कांग्रेस बोली- सनातन का अपमान - Kedarnath Temple in Delhi

Delhi Kedarnath Temple दिल्ली में केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर निर्माण और उत्तराखंड सरकार के समर्थन को लेकर विवाद शुरू हो गया है. केदारनाथ मंदिर निर्माण को लेकर चारों धामों से तीर्थ पुरोहितों की आपत्तियां आनी शुरू हो गई है तो वहीं इस पर सियासत भी गरमा गई है. जहां कांग्रेस ने धामी सरकार को घेरा है तो वहीं बीजेपी इसका बचाव करती नजर आ रही है. जानिए क्यों हो रहा विवाद...

Delhi Kedarnath Temple
दिल्ली में केदारनाथ मंदिर निर्माण को लेकर विवाद (फोटो- ईटीवी भारत ग्राफिक्स)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 12, 2024, 5:56 PM IST

Updated : Jul 12, 2024, 6:07 PM IST

दिल्ली में केदारनाथ मंदिर निर्माण को लेकर बवाल (वीडियो- ईटीवी भारत)

देहरादून/रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड): दिल्ली के बुराड़ी (हिरनकी) में उत्तराखंड के चारों धामों में से एक प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के प्रतीकात्मक मंदिर का भूमि पूजन और शिलान्यास किया गया. जिसके बाद उत्तराखंड में नया बवाल शुरू हो गया है. दिल्ली में केदारनाथ नाम से बनाए जा रहे मंदिर को लेकर चारों धामों में पंडा पुरोहितों ने विरोध दर्ज करवाया है. इसके साथ ही केदारघाटी की जनता में आक्रोश पनप गया है. मामले को लेकर सियासत भी होने लगी है.

तीर्थ पुरोहितों ने बताया सनातन धर्म और संस्कृति का घोर अपमान: गौर हो कि बीती 10 जुलाई को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली मेन 100 फुटा, बुराड़ी बख्तावरपुर रोड, हिरनकी में श्री केदारनाथ धाम ट्रस्ट दिल्ली की ओर से बनाए जा रहे केदारनाथ धाम निर्माण को लेकर आयोजित शिलान्यास कार्यक्रम में भाग लिया था. सीएम ने केदारनाथ धाम के मंदिर का भूमि पूजन किया था, जिसका अब विरोध होने लगा है. यमुनोत्री मंदिर समिति इसका पुरजोर विरोध कर रही है. चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि सरकार की क्या मानसिकता है? अब चारों धामों के दर्शन दिल्ली में करवाए जाएंगे? यह सनातन धर्म के साथ ही संस्कृति का घोर अपमान है. भगवान शंकर ऐसा करने वालों को सद्बुद्धि दें.

पुरोहितों का कहना है कि द्वादश ज्योतिर्लिंगों में केदारनाथ ग्यारहवां ज्योतिर्लिंग है, जो साढ़े 11 हजार फीट की उंचाई पर स्थित है. केदारनाथ में ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने से बारह ज्योतिर्लिंगों का पुण्य मिलता है. इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने किया है. जो भगवान आशुतोष का सबसे प्रिय स्थान है. इसलिए भगवान शंकर का मंदिर आप जहां मर्जी बनवाएं, लेकिन केदारनाथ मंदिर के प्रारूप के बारे में बिल्कुल न सोचें. ऐसा करने से पूरे प्रदेश का ही नहीं, बल्कि पूरे देश का अहित और अपमान होगा.

तीर्थ पुरोहितों का विरोध (वीडियो सोर्स- ईटीवी भारत)

चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी ने कहा कि केदारनाथ विधायक शैला रानी रावत की मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार होने से पहले ही सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली जाकर केदारनाथ धाम निर्माण को लेकर शिलान्यास किया. यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि केदारनाथ क्षेत्र की विधायक की मौत के दिन ही दिल्ली में मंदिर निर्माण का शिलान्यास किया गया. केदारनाथ धाम से शिला ले जाकर दिल्ली में स्थापित करके सीएम धामी ने धाम की परम्परा के साथ खिलवाड़ किया है. इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा.

केदारघाटी की जनता में आक्रोश:केदारघाटी की जनता भी दिल्ली में केदारनाथ धाम मंदिर निर्माण को लेकर आक्रोशित है. स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता पवन राणा का कहना है कि मुख्यमंत्री धामी गढ़वाल क्षेत्र के साथ भेदभाव कर रहे हैं. केदारनाथ धाम की यात्रा में पंजीकरण की अनिवार्यता करके हजारों तीर्थयात्रियों को कुमाऊं के धामों में भेजा गया. इससे केदारनाथ धाम की यात्रा में आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में भारी कमी देखने को मिली. उन्होंने कहा कि गढ़वाल क्षेत्र के लोगों के रोजगार को लेकर सरकार ने कोई भी ठोस प्रयास नहीं किए हैं. जो रोजगार केदारनाथ धाम की वजह से है, उसे भी छीनने का प्रयास किया जा रहा है. केदारनाथ-बदरीनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं को बेवजह कुमाऊं के मठ-मंदिरों में भेजा जा रहा है, जिससे गढ़वाल क्षेत्र के लोगों का रोजगार ठप हो गया है.

करन माहरा बोले- इन्हीं हरकतों की वजह से बीजेपी को रामलला ने दंड दिया: दिल्ली में केदारनाथ मंदिर बनाए जाने को लेकर तीर्थ पुरोहितों के विरोध के बाद विपक्ष ने भी इस मामले को लपका है. कांग्रेस ने इस पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि बीजेपी की इन्हीं हरकतों की वजह से रामलला ने भी दंड दिया है. बीजेपी को लोकसभा चुनाव में अयोध्या समेत अगल-बगल की 6 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस लगातार केदारनाथ मंदिर गर्भगृह में सोने की परत का मामला उठाती आ रही है, लेकिन उसके बावजूद सरकार ने इस मामले में अब तक जांच नहीं बैठाई.

उसके बाद बिना इजाजत के केदारनाथ मंदिर से शिलाएं दिल्ली ले जाई गईं. इसके लिए उस दिन का चयन किया गया, जिस दिन गढ़वाल के पांच सैनिक देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए. माहरा ने कहा कि बीजेपी सरकार ने पंडे पुरोहितों, पुजारियों से चर्चा किए बगैर दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का शिलान्यास कर दिया. इसके अलावा करन माहरा ने कहा कि इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता है कि धर्म की बात करने वाली बीजेपी ने ही धर्म का सर्वाधिक नुकसान किया है.

गरिमा दसौनी ने बताया आस्था का मजाक और वैदिक परंपरा का अपमान:उत्तराखंड कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने इसे आस्था का मजाक बनाने वाली हरकत बताया है. उन्होंने कहा कि यह सनातन और वैदिक परंपरा का सीधा-सीधा अपमान है. उसी तरह जैसे बीजेपी ने पहले वैदिक परंपरा के विपरीत चार शंकराचार्यों के अलावा अपने दर्जनों शंकराचार्य बनाए, अब ज्योतिर्लिंगों की महिमा के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है. कांग्रेस का कहना है कि युगों-युगों से केदारनाथ धाम की अपनी महिमा है और अपना इतिहास है. बीजेपी उस इतिहास को अपने हिसाब से लिखना चाहती है.

उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर यह गलत है. इससे करोड़ों हिंदू यानी सनातन के अनुयायियों की भावनाएं आहत हुई हैं. इस पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए. वरना बीजेपी समेत समूचे उत्तराखंड को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. दरअसल, कांग्रेस दिल्ली में केदारनाथ धाम के प्रतीकात्मक मंदिर के शिलान्यास को देवभूमि उत्तराखंड और सनातन धर्म का घोर अपमान बता रही है. कांग्रेस ने दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के शिलान्यास को सनातन और वैदिक परंपरा का अपमान बताया है.

बीजेपी ने किया सरकार का बचाव, कांग्रेस पर किया पलटवार:वहीं, पूरे मामले पर बीजेपी ने सरकार का बचाव किया है. बीजेपी का कहना है कि दिल्ली में भगवान केदारनाथ के प्रतीकात्मक मंदिर को लेकर कांग्रेसियों की चिंता राजनीति से प्रेरित है. उन्हें सनातन या पौराणिक समझ कम है. बीजेपी प्रवक्ता हनी पाठक ने कहा कि दिल्ली या फिर कहीं भी प्रतीकात्मक मंदिर बनने से किसी भी ज्योतिर्लिंगों का महत्व कम नहीं होता है. पुराणों में 12 ज्योतिर्लिंगों का उल्लेख है और किसी प्रतीकात्मक मंदिर के बनने से कुछ भी बदलाव असंभव है.

उन्होंने कहा कि देश में कई प्रतीकात्मक मंदिर हैं और आस्थावान लोग वहां सदियों से पूजा अर्चना करते आए हैं. इससे सनातन धर्मावलंबी आहत नहीं बल्कि, राहत महसूस करेंगे. उन्होंने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि किसी प्रतीकात्मक मंदिर को सेंटर या शाखा कहने वालों को पहले सनातन और धर्म के बारे में समझना होगा. मंदिर कोई व्यावसायिक संस्थान नहीं, जिसे सेंटर या शाखा से संबोधित किया जाए.

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Last Updated : Jul 12, 2024, 6:07 PM IST

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