रांची: स्वतंत्र भारत में वर्ष 1952 में हुए पहले चुनाव से लेकर वर्ष 2019 तक के लोकसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि हजारीबाग लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए हमेशा कठिन रही है. वर्ष 1971 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद 1984 के चुनाव को छोड़ दें तो यह सीट जीत के मामले में समाजवाद, वाम दलों और बाद में भारतीय जनता पार्टी के लिए अनुकूल रही है.
ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस भाजपा से आए विधायक जेपी पटेल को मैदान में उतारकर तीसरी बार हजारीबाग लोकसभा सीट जीतने की कोशिश में है. इस बार कांग्रेस के जेपी पटेल का मुकाबला बीजेपी के मनीष जायसवाल से है. कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक के नेताओं को उम्मीद है कि राजद, झामुमो और भाकपा माले के मजबूत गठबंधन और दिग्गज नेता पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा के समर्थन से कांग्रेस करीब 04 दशक बाद हजारीबाग सीट जीतने में सफल होगी.
झारखंड की राजनीति को बेहद करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार सत्येंद्र सिंह का मानना है कि इस बार हजारीबाग में चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है. दोनों गठबंधनों के बीच मुकाबले में कड़ा संघर्ष देखने को मिलेगा.
"भाजपा से अलग होने के बाद यशवंत सिन्हा हजारीबाग के अपने समर्थकों और खासकर अपने समुदाय के लोगों को गोलबंद कर रहे हैं, अगर यह प्रयास सफल रहा तो एनडीए के लिए हजारीबाग सीट को बचा पाना आसान नहीं होगा. हजारीबाग लोकसभा सीट पर शुरू से ही महतो, कुड़मी मतदाताओं का दबदबा रहा है. इतिहास गवाह है कि महतो समुदाय की गोलबंदी के कारण ही यशवंत सिन्हा को पहले भी हार का सामना करना पड़ा है." - सत्येंद्र सिंह, वरिष्ठ पत्रकार
इंडिया ब्लॉक के नेताओं को भी भरोसा है कि यशवंत सिन्हा के जनाधार से उनके प्रत्याशी को फायदा होगा.
"यशवंत सिन्हा बड़े नेता हैं, जब उनका बड़ा जनासमूह इंडिया ब्लॉक के साथ जुड़ेगा तो इस बार हजारीबाग लोकसभा सीट पर भाजपा की हार तय है." - मनोज पांडेय, झामुमो प्रवक्ता