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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता धर्मपुरी श्रीनिवास का निधन - Dharmapuri Srinivas Passed Away

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 29, 2024, 7:21 PM IST

Dharmapuri Srinivas Passed Away: वरिष्ठ कांग्रेस नेता और आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष धर्मपुरी श्रीनिवास का शनिवार 29 जून 2024 की सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. पढ़ें पूरी खबर...

Dharmapuri Srinivas Passed Away
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता धर्मपुरी श्रीनिवास का निधन (ETV Bharat)

हैदराबाद: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सदस्य धर्मपुरी श्रीनिवास का निधन हो गया. उन्होंने हैदराबाद स्थित अपने आवास पर तड़के तीन बजे अंतिम सांस ली. परिजनों ने बताया कि वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे. दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. निजामाबाद जिले के डीएस कांग्रेस पार्टी में कदम दर कदम आगे बढ़े. संयुक्त आंध्र प्रदेश में जब पार्टी सत्ता में थी, तब वह मंत्री पद पर भी रहें. वह पीसीसी के अध्यक्ष भी रहे.

राज्य के बंटवारे के बाद 2015 में भारत में शामिल हुए डीएस राज्यसभा के सदस्य चुने गए. इसके बाद उन्होंने फिर से कांग्रेस का दामन थाम लिया. डीएस के दो बेटे हैं. उनके सबसे छोटे बेटे धर्मपुरी अरविंद वर्तमान में निजामाबाद से भाजपा के सांसद हैं. सबसे बड़े बेटे संजय पहले निजामाबाद के मेयर रह चुके हैं.

जानकारी के मुताबिक, 27 सितंबर 1948 को जन्मे डीएस ने निजाम कॉलेज से अपनी डिग्री पूरी की. वे 1989 में कांग्रेस पार्टी की ओर से मैदान में उतरे. वे पहली बार निजामाबाद शहरी क्षेत्र से विधानसभा के लिए चुने गए. इसके बाद वे 1999 और 2004 में विधायक के रूप में जीते. 1989 से 1994 तक वे ग्रामीण विकास और सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री रहे. 2004 से 2008 तक वे उच्च शिक्षा और शहरी भूमि सीमा मंत्री रहे. 2004 और 2009 के चुनावों में वे पीसीसी के अध्यक्ष रहे. 2004 में उन्होंने टेरेसा के साथ कांग्रेस गठबंधन में सक्रिय भूमिका निभाई. उन्होंने कांग्रेस पार्टी को सत्ता में लाने में वाईएस के साथ मिलकर काम किया.

सोनिया गांधी के वफादार
बता दें, धर्मपुरी श्रीनिवास का प्रणब मुखर्जी और अन्य वरिष्ठ नेताओं से काफी करीबी संबंध रहा.लोग उन्हें सोनिया गांधी के वफादार के रूप में भी जानते है. जयपाल रेड्डी, कासु ब्रह्मानंद रेड्डी, कोटला विजयभास्कर रेड्डी, मर्री चेन्ना रेड्डी, नेदुरुमल्ली जनार्दन रेड्डी से उनके अच्छे संबंध थे. वे 2013 से 2015 तक विधान परिषद के सदस्य रहे. तेलंगाना राज्य बनने के बाद वे विधान परिषद में विपक्ष के नेता के पद पर बने रहे. दूसरी बार एमएलसी बनने का मौका न मिलने से असंतुष्ट होकर उन्होंने 2015 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और टेरेसा में शामिल हो गए थे. उन्होंने राज्य सरकार के अंतरराज्यीय मामलों के सलाहकार के रूप में काम किया.

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