नई दिल्ली : कर्नाटक की गुलबर्गा संसदीय सीट कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गई है, जो कई कारणों से इस निर्वाचन क्षेत्र में बहुत समय और ऊर्जा लगा रहे हैं. खड़गे ने खुद 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में गुलबर्गा सीट जीती थी, लेकिन 2019 में जब वह संसद के निचले सदन में विपक्ष के नेता थे, ये सीट हार गए थे.
2024 में खड़गे पर अपने क्षेत्र में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने की बड़ी जिम्मेदारी है. खड़गे कर्नाटक से हैं, जहां कांग्रेस 2023 में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर सत्ता में आई थी. इसके अलावा, खड़गे का पूरे दक्षिणी राज्य में व्यापक सम्मान है और वह राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में देश भर में कांग्रेस अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं.
एक निजी कारण भी है. खड़गे के दामाद राधाकृष्ण डोड्डामणि गुलबर्गा में भाजपा के मौजूदा सांसद उमेश जाधव के खिलाफ कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, जिन्होंने 2019 में पितृसत्ता को हराया था. इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि खड़गे ने पिछले एक पखवाड़े में अकेले गुलबर्गा क्षेत्र में कई रैलियों को संबोधित किया है. वह 7 मई के मतदान से पहले 4 मई को फिर से संसदीय क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं.
कर्नाटक के प्रभारी एआईसीसी सचिव अभिषेक दत्त ने ईटीवी भारत को बताया, 'कांग्रेस प्रमुख कोली समुदाय के नेताओं के साथ बातचीत करेंगे और बाद में 4 मई को गुलबर्गा उत्तर में एक रैली को संबोधित करेंगे.' जहां बीजेपी के जाधव पीएम मोदी की अपील पर भरोसा कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस के दोड्डामणि उनके लिए समर्थन जुटाने में पार्टी प्रमुख की साख और राज्य इकाई के प्रयासों पर भरोसा कर रहे हैं.
पार्टी अपनी ओर से, राज्य इकाई विधानसभा चुनावों के दौरान किए गए वादों के साथ-साथ पार्टी के राष्ट्रीय घोषणापत्र में उल्लिखित 25 सामाजिक कल्याण गारंटियों को पूरा करने पर भरोसा कर रही है.
राज्य के नेताओं में खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे, एक मंत्री के अलावा मुख्यमंत्री के सिद्धारमैया और उनके डिप्टी डीके शिव कुमार ने कई शिक्षा संस्थान चलाने वाले डोड्डामणि का समर्थन करने के लिए गुलबर्गा में अभियान चलाया है. उनके प्रतिद्वंद्वी जाधव एक जाने-माने सर्जन हैं. सीएम और उनके डिप्टी दोनों ने राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से अच्छी जीत का आश्वासन दिया है.