नई दिल्ली:जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से ग्लोबल वार्मिग (Global Warming) की समस्या बढ़ती जा रही है. भारत में इसका साफ असर दिखाई दे रहा है. इस विषय पर आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर एम रघु ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक आपदाएं बदतर हो जाती हैं. उन्होंने बताया कि मौसम से जुड़ी पूर्व चेतावनी तंत्र और आपदा प्रबंधन उपाय किसी भी परिस्थिति से निपटने में मदद कर सकते हैं. जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून अनियमित होने के आसार नजर आ रहे हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों में कैसी स्थितियां बनती हैं, इस विषय पर मुंबई आईआईटी के प्रोफेसर एम रघु ने ईटीवी भारत से के साथ कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की.
अत्यधिक गर्मी के क्या कारण हो सकते हैं?
वैसे अत्यधिक गर्मी एक प्राकृतिक घटना हो सकती है. भारत की बात करें तो, मार्च, अप्रैल, मई, जून और जुलाई के महीने में सामान्य से अधिक गर्मी हो सकती है. इतना ही नहीं जलवायु परिवर्तन के असर से सामान्य मानसून में तापमान ठंडा हो सकता है. वैसे ही कम बारिश या देर से बारिश होने की वजह रेगिस्तानी इलाकों और महासागरों से आने वाली गर्म हवाएं धरती के तापमान को और अधिक बढ़ सकता है. आशंका ऐसी जताई जा रही है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से जो घटनाएं 10 साल में घटित होती थी वह हर तीन साल में हो रही है. जलवायु परिवर्तन क्यों होता है, इसे 2 भागों में बांटा जा सकता है. एक प्राकृतिक और दूसरा मानवीय कारण. वर्तमान में मानवीय कारणों से वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा बढ़ रही है. यही वैश्विक तापमान और जलवायु परिवर्तन का कारण बन गई है. पृथ्वी के वायुमंडल में उपस्थित ग्रीन हाउस गैसों के कारण पृथ्वी से उत्सर्जित होने वाले ताप के अवशोषण और वायुमंडलीय तापमान में बढ़ोतरी की घटना को ग्रीन हाउस इफेक्ट (GreeN House Effect) कहते हैं. ग्रीन हाउस गैसें कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, फ्लोराइनेटेड गैसें, ओजोन और जलवाष्प हैं. इनकी मात्रा को अगर नियंत्रित नहीं किया गया तो यह समस्त मानवजाति के लिए भयानक परिणाम साबित होगा. गर्मी बढ़ाने में कई मानवीय कारण भी प्रमुख हैं...जिनमें वनों की कटाई प्रमुख है. अब सवाल है कि भारत में गर्मी क्यों बढ़ रही है. उदाहरण के तौर पर मध्य पूर्वी हिस्सों में बढ़ती गर्मी की वजह से वसंत के दौरान अरब सागर के ऊपर हवाएं बदल रही हैं. जिसकी वजह से अरब सागर गर्म होता जा रहा है. इसलिए भारत के कुछ हिस्सों में अधिक गर्मी पड़ रही है.
लू से कैसे निपटे?
अब सवाल है कि क्या लू एक प्राकृतिक आपदा है. अगर है तो क्या करें? प्राकृतिक आपदा जलवायु परिवर्तन के कारण होते हैं. इन परिस्थितियों में कई इलाकों के हालात और भी अधिक बदतर हो जाते हैं. यह सभी घटनाएं गर्म इलाकों में होती हैं. जलवायु परिवर्तन से हर चीज प्रभावित होती हैं. मौसम में होने वाले बदलाव को लेकर लोगों को अलर्ट रहना होगा. खासकर शिशुओं और बुजुर्गों को बाहर जाने से बचना होगा. भीषण ताप से बचने के लिए जगह-जगह पानी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. साथ ही किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए अस्पताल की पहुंच भी होनी चाहिए. तभी हम मौसम की मार से काफी हद तक अपना बचाव कर सकते हैं.
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से सबसे अधिक ख़तरा किसे है? भारत में प्रभाव पर कोई अध्ययन?
अब सवाल है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से सबसे अधिक खतरा किसे हैं. क्या भारत में इसके प्रभाव पर कोई अध्ययन हो रहा है. भारत के कई राज्यों में इस समय भीषण गर्मी का प्रकोप जारी है. इससे सबसे अधिक खतरा सिर्फ बुढ़े और बच्चे को नहीं हैं. सड़कों पर रेहड़ी-पटरी पर काम करने वाले लोग, गर्मी में खेत में काम करने वाले किसान, श्रमिक अत्यधिक जोखिम में हैं. वहीं झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग भी असुरक्षित हैं. क्योंकि यहां रहने वाले लोगों के पास जरूरी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं. अब सवाल है कि इससे संबंधित कोई Data उपलब्ध है कि कौन सा वर्ग मौसमी मार से असुरक्षित हैं. इसको लेकर सही-सही जानकारी नहीं मिल पा रही है. लेकिन एक अच्छी बात यह भी है कि गरीबी कम होने, महिलाओं की शिक्षा, बेहतर रोजगार और आवास मिलने से लोगों की समस्या कुछ कम हुई हैं. वहीं राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी निश्चित तौर पर एक दशक पहले की तुलना में काफी अच्छा काम कर रही है.