नई दिल्ली: चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मनमोहन को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ दिलाई. जस्टिस मनमोहन के शपथ ग्रहण के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या बढ़कर 33 हो गई है, जबकि स्वीकृत संख्या 34 है, जिसमें मुख्य न्यायाधीश भी शामिल हैं. जस्टिस मनमोहन का शपथ ग्रहण समारोह सुप्रीम कोर्ट में आयोजित किया गया.
पिछले सप्ताह, सीजेआई खन्ना की अगुवाई वाले सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने केंद्र को न्यायमूर्ति मनमोहन के नाम की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के लिए की थी. कॉलेजियम के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति बीआर गवई, सूर्यकांत, हृषिकेश रॉय और ए एस ओका शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक बयान में कॉलेजियम ने कहा कि, 28 नवंबर 2024 को हुई बैठक में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए पात्र हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों और वरिष्ठ अवर न्यायाधीशों के नामों पर विचार-विमर्श और चर्चा हुई.
कॉलेजियम ने कहा कि, जस्टिस मनमोहन को 13 मार्च 2008 को दिल्ली हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था और वे 29 सितंबर 2024 से उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य कर रहे हैं.
बयान में कहा गया है कि, जस्टिस मनमोहन हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की संयुक्त अखिल भारतीय वरिष्ठता में क्रम संख्या 2 पर हैं और वे दिल्ली हाई कोर्ट में सबसे सीनियर जज हैं. बयान में कहा गया है कि, उनके (जस्टिस मनमोहन) नाम की सिफारिश करते समय, कॉलेजियम ने इस तथ्य को ध्यान में रखा है कि वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट की बेंच का प्रतिनिधित्व दिल्ली हाई कोर्ट के केवल एक न्यायाधीश द्वारा किया जाता है.
इसलिए, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से सिफारिश की है कि जस्टिस मनमोहन को भारत के सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किया जाए. 29 सितंबर को जस्टिस मनमोहन ने दिल्ली हाई कोर्ट के 32वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी. जिसके पहले उन्हें 9 नवंबर, 2023 को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था.
61 साल के जस्टिस मनमोहन, दिवंगत जगमोहन के पुत्र हैं, जो एक प्रसिद्ध नौकरशाह से राजनेता बने थे. जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल और दिल्ली के उपराज्यपाल के रूप में भी कार्य किया था.
न्यायमूर्ति मनमोहन को 13 मार्च, 2008 को दिल्ली हाई कोर्ट के अतिरिक्त जज के रूप में नियुक्त किया गया था और 17 दिसंबर, 2009 को उन्हें स्थायी जज बनाया गया था. उन्होंने कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त करने के बाद 1987 में एक वकील के रूप में नामांकन कराया था.
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