छिंदवाड़ा। लगातार बढ़ रही आबादी के चलते जहां जंगली जानवरों के आशियाना यानी जंगल काटकर गांव और घर बसाने की खबरें आती हैं उसके उलट पेंच टाइगर रिजर्व से सटे करमाझिरी गांव के ग्रामीणों ने मिसाल पेश की है. यहां के ग्रामीणों ने जंगली जानवर के लिए अपना घर और गांव छोड़ने का ऐलान किया है. दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार ने इस गांव की जमीन को अधिग्रहित करने का फैसला किया है. इन ग्रामीणों को जोगीवाड़ा गांव में शिफ्ट किया जाएगा.
जानवरों के घर बसाने के लिए गांव छोड़ रहे ग्रामीण
पेंच नेशनल पार्क के बफर जोन से लगे वन ग्राम करमाझिरी गांव में 450 एकड़ जमीन है. जहां की आबादी करीब 1000 लोगों की है. पेंच नेशनल पार्क में जानवरों की संख्या अधिक होने की वजह से जानवर गांव में कई बार घुस आते हैं. ग्रामीणों ने सामूहिक चौपाल लगाकर निर्णय लिया है कि जंगल में जानवरों के लिए जगह कम पड़ रही है इसलिए क्यों ना अपना गांव खाली करके किसी दूसरी जगह बसा लिया जाए, ताकि जंगली जानवरों को रहने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके और इसकी सूचना उन्होंने बकायदा वन विभाग सहित सरकार को भी दी है.
ग्रामीणों ने पेश की मिसाल
आमतौर पर देखा जाता है कि जब सरकार किसी भी प्रोजेक्ट के लिए ग्रामीण या किसानों से जमीन अधिग्रहण करती है तो इसका विरोध देखने को मिलता है, लेकिन इस गांव के लोगों ने ऐसा बिल्कुल नहीं किया. ग्रामीणों ने जंगली जानवरों की सुविधा के लिए चौपाल लगाकर फैसला लिया और अनोखी मिसाल पेश कर दी. बता दें कि जुलाई 2022 में मध्य प्रदेश सरकार ने पेंच नेशनल पार्क से सटे वन ग्राम करमाझिरी को वन अभ्यारण्य घोषित किया था.
ग्रामीणों को किया जाएगा शिफ्ट