मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / bharat

किसान बने कमलनाथ करेंगे अमेरिकी ड्रैगन फ्रूट एक्सपोर्ट, अपने खेतों में आप भी उगाएं यह विदेशी फल - farmer kamal nath

Kamal Nath Farming Dragon Fruit: विदेशी फल ड्रैगन फ्रूट अब आमतौर पर भारत में सभी जगह मिलता है लेकिन आपको पता है इसकी खेती कैसे की जाती है.पूर्व सीएम कमलनाथ एमपी के छिंदवाड़ा में बड़े पैमाने पर ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं.

Kamal Nath became farmer
कमलनाथ बने किसान

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 2, 2024, 9:49 PM IST

Updated : Feb 3, 2024, 11:48 AM IST

छिंदवाड़ा। अमेरिका में पैदा होने वाला ड्रैगन फ्रूट अब एमपी के छिंदवाड़ा में भी उगाया जा रहा है. पूर्व सीएम कमलनाथ ने छिंदवाड़ा के अपने फार्म हाउस में इस फल की खेती शुरू की है. छिंदवाड़ा जिले की जलवायु इसके लिए बेहद अनुकूल साबित हो रही है.महंगे बिकने वाले इस विदेशी फल को आप भी अपने खेत में उगा सकते हैं.

छिंदवाड़ा में ड्रैगन फ्रूट की खेती

कमलनाथ और एक किसान ने शुरू की खेती

साल 2017 में ड्रैगन फ्रूट की खेती छिंदवाड़ा के नकझिर गांव में युवा किसान अभिषेक गेडाम ने शुरू की थी. उन्होंने महाराष्ट्र के सोलापुर के आसपास और दक्षिण भारत में ड्रैगन फ्रूट की खेती देखी थी. उसके बाद उन्होंने अपने खेतों में भी इसे करने की शुरुआत की.अभिषेक के पिता एसएल गेडाम ने बताया कि उन्होंने भोपाल, इंदौर, जबलपुर और नागपुर में इन फलों को बिक्री के लिए भेजा था और छिंदवाड़ा में भी स्टॉल लगाकर ये फल बेचे. अभिषेक ने थाईलैंड से ड्रैगन फ्रूट्स के पौधे लाकर लगाए थे. पूर्व सीएम कमलनाथ भी अपने फार्म हाउस में ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. उनके फार्म हाउस से विदेशों में भी इस फल का निर्यात हो रहा है.

किसान हो सकते हैं मालामाल

उष्णकटिबंधीय इलाकों में होने वाला यह फल आमतौर पर अमेरिका और मेक्सिको में होता है लेकिन इस फल की खेती अब छिंदवाड़ा में भी आसानी से की जा सकती है. ड्रैगन फ्रूट का एक फल 100 रुपये से लेकर 200 रुपये तक में बिकता है. पूर्व सीएम कमलनाथ के फार्म हाउस में इस फल को उगाया जा रहा है. खास बात यह है कि इसकी खेती करने में ज्यादा पानी की भी जरुरत नहीं होती है और हल्की मिट्टी में भी इसे उगाया जा सकता है.

कमलनाथ के फार्म हाउस में ड्रैगन फ्रूट के पौधे

20 साल तक फायदा देती है ड्रैगन फ्रूट्स की खेती

फलों की खेती पर रिसर्च कर रहे कृषि विज्ञान केंद्र छिंदवाड़ा के वैज्ञानिक डॉ आरके झाड़े ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती छिंदवाड़ा के वातावरण में भी उपयुक्त है. खास बात यह है कि ड्रैगन फ्रूट्स रोपण के बाद अगले तीन से चार सालों में तेजी से बढ़ता है और इसका संपूर्ण उत्पादन होता है. यह फसल लगभग 20 वर्ष तक उगाई जा सकती है. ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाने के 2 सालों के बाद औसत आर्थिक उपज 10 टन प्रति एकड़ हो सकती है. वर्तमान में इस फल के दाम ₹100 से लेकर ₹200 किलो तक हैं.

कैसे होती है खेती

कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ डॉ आरके झाड़े ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट्स के पौधे लगाने के लिए कतार में सीमेंट के करीब 5 फीट ऊंचे पोल लगाए जाते हैं ताकि पौधे पोल के सहारे खड़े रह सके. ड्रिप के माध्यम से इसमें सिंचाई की जा सकती है. एक बार पौधे लगाने के बाद करीब 20 साल तक इन्हीं पौधों से फल लिए जा सकते हैं. फल जून माह में आते हैं, खास बात यह है कि ड्रैगन फ्रूट्स की खेती के साथ-साथ इसके बीच में अंतरवर्ती फसलें भी ली जा सकती हैं. हालांकि खेतों में सीमेंट पोल लगाने का खर्च ड्रैगन फ्रूट्स के पौधों से ज्यादा आता है.

कमलनाथ के फार्म हाउस में ड्रैगन फ्रूट

एंटीऑक्सीडेंट से है भरपूर है यह फल

ड्रैगन फ्रूट में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी भरपूर होने के साथ-साथ एंटी इन्फ्लेमेटरी भी होती है.यह त्वचा में होने वाली एलर्जी और जलन को शांत करने में मदद करता है. एंटीऑक्सीडेंट होने की वजह से शुष्क त्वचा और मुंहासे, चेहरे की चमक और चेहरे के काले धब्बों और अनइवन स्किन टोन को कम करने के लिए बेहतर फल है. जिसकी वजह से स्किन की ग्लोइंग बनी रहती है.

सरकार भी बढ़ावा देने कर रही प्रयास

मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (एमआईडीएच) के तहत ड्रैगन फ्रूट सहित विदेशी और विशिष्ट क्षेत्र के फलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक रोडमैप तैयार किया जा रहा है. इसके लिए एमआईडीएच के तहत पांच वर्षों में क्षेत्र विस्तार का लक्ष्य 50,000 हेक्टेयर है. स्वास्थ्य से भरपूर इस फल की खेती आईसीएआर,सेंट्रल आइलैंड एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट, पोर्ट-ब्लेयर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और आईआईएचआर, बेंगलुरु, कर्नाटक में की गई है.

कमलनाथ ने शुरू की ड्रैगन फ्रूट की खेती

ये भी पढ़ें:

कृषि मंत्रालय ने दी स्वीकृति

एमआईडीएच के अंतर्गत कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने कमलम फल के उत्पादन, कटाई के बाद खेती और मूल्यवर्धन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (आईआईएचआर), बेंगलुरु, कर्नाटक द्वारा हिरेहल्ली, बेंगलुरु, कर्नाटक में स्थापित किए जाने वाले उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) को स्वीकृति दे दी है. यह केंद्र अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार नवीनतम उत्पादन तकनीक के विकास और उच्च उपज उत्पादन के लिए ऑफ सीजन उत्पादन और इन प्रौद्योगिकियों के प्रदर्शन के लिए कार्य करेगा.

Last Updated : Feb 3, 2024, 11:48 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details