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गांव के छोरे ने 22 घंटे में बना डाला फ्रांस में बांस का घर, 80 देशों की तालियों की गूंज भारत तक - Chhindwara Carpenter Rahul Skill

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के युवा राहुल विश्वकर्मा ने फ्रांस में आयोजित वर्ल्ड स्किल कॉम्पिटिशन में लहराया परचम और जीता मेडल.

CHHINDWARA CARPENTER RAHUL SKILL
छिंदवाड़ा के राहुल विश्वकर्मा ने दिखाया हुनर (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 6, 2024, 9:18 PM IST

Updated : Oct 7, 2024, 11:19 AM IST

छिंदवाड़ा: प्रतिभाओं को अगर हुनर दिखाने का मौका मिले तो भारत के युवा भी किसी से कम नहीं हैं. अपने पिता के साथ बचपन से लकड़ियों में हुनरबाजी करने वाले छिंदवाड़ा के एक छोरे को मौका मिला तो उसने दुनिया भर में भारत का नाम रोशन कर दिया. जनिए कौन है वह युवा जिसने 80 देशों के बीच में भारत का नाम रोशन किया है.

गांव से फ्रांस तक का सफर

छिंदवाड़ा का एक छोटा सा गांव परसगांव सर्रा. इसी गांव के एक सामान्य परिवार के युवा ने विदेश में जाकर अपनी कला का प्रदर्शन कर अपना परचम लहराया है. फ्रांस में हुई वर्ल्ड स्किल 2024 में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए राहुल विश्वकर्मा ने 12वां स्थान हासिल किया. यहां 80 से अधिक देशों के प्रतिभागी शामिल हुए. राहुल जिस ग्रुप में प्रतिनिधित्व कर रहे थे, उसमें 14 प्रतिभागी थे. 6 दिनों तक चली प्रतियोगिता में राहुल ने 12वां स्थान हासिल किया है.

फ्रांस में आयोजित वर्ल्ड स्किल कॉम्पिटिशन में बनाया मॉडल घर (ETV Bharat)

घर के मॉडल से मिला मेडल

नई दिल्ली में हुई कारपेंटरी में इंडिया स्किल 2024 में राहुल ने पहला नंबर पाकर गोल्ड मेडल हासिल किया था. इसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों से कुल 64 स्किल शामिल हुई थीं. उसके बाद भारत की तरफ से फ्रांस जाने का मौका मिला. फ्रांस में राहुल विश्वकर्मा को एक ड्राइंग दी गई थे जिसके हिसाब से एक मॉडल तैयार करना था. इसके लिए उसे 22 घंटे का समय दिया गया था. यह मॉडल एक घर का था. इस प्रतियोगिता में 80 देशों के प्रतिभागी शामिल हुए थे और राहुल विश्वकर्मा को इसमें 12वां स्थान हासिल हुआ.

80 देशों के प्रतिभागी हुए शामिल (ETV Bharat)

परिवार से मिला कारपेंटरी का हुनर

राहुल विश्वकर्माकहते हैं कि "कारपेंटरी का हुनर उन्हें परिवारिक रूप से हासिल हुआ है. अपने हुनर को आगे बढ़ाकर भविष्य निर्धारित करूंगा. फ्रांस में उन्हें घर के मॉडल डिजाइन मिला था. जिसे लकड़ी से हू-ब-हू 22 घंटे में तैयार करना था. यह काम तय समय सीमा में पूरा नहीं हो सका लेकिन फिर भी मेरा काम देखते हुए मुझे 12 वां स्थान मिला. मुझे इस काम की प्रेक्टिस के लिए मात्र 3 माह का समय मिला था. वहीं अन्य लोगों को कई साल का अभ्यास था."

गांव लौटने पर राहुल का हुआ सम्मान (ETV Bharat)

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गांव में हुआ सम्मान,बेटे की तरक्की से परिवार गदगद

गांव के बेटे ने दुनिया भर में नाम कमाया तो गांव वाले भी खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं. फ्रांस से जब राहुल विश्वकर्मा गांव पहुंचे तो ग्राम पंचायत में सार्वजनिक अभिनंदन किया गया. वहीं छिंदवाड़ा पॉलिटेक्निक कॉलेज प्राचार्य डॉ राकेश कुमार पांडेय और स्टाफ ने भी इस उपलब्धि पर राहुल का अभिनंदन किया. बेटे की तरक्की से परिवार भी गदगद है. पिता का कहना है कि उनका पुश्तैनी काम इतनी बड़ी पहचान दिला पाएगा उन्हें इसकी उम्मीद नहीं थी.

Last Updated : Oct 7, 2024, 11:19 AM IST

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