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इटली से छिंदवाड़ा मंगाए गए थे लग्जरी मार्बल, कब्रों पर लिखी अंग्रेज अफसरों की कहानी - CHHINDWARA BRITISH OFFICERS GRAVE

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में 140 साल पुरानी कब्रें मौजूद है. इन कब्रों को बनाने का जो कनेक्शन है,वह इटली से जुड़ा हुआ है.

CHHINDWARA BRITISH OFFICERS GRAVE
इटली से छिंदवाड़ा मंगाए गए थे लग्जरी मार्बल (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 24, 2024, 6:47 PM IST

छिंदवाड़ा (महेंद्र राय): दुनिया से जाने वाले चले जाते हैं, लेकिन उनकी कुछ यादें ऐसी होती है, जो इतिहास बन जाती है. छिंदवाड़ा में ऐसा ही एक क्रिश्चियन कब्रिस्तान है जो सदियों पुराना है. बताया जाता है कि अंग्रेज अफसरों की मौत के बाद उन्हें यहां दफन किया गया था. जिनके कब्र बनाने के लिए इटली से मार्बल बुलाया जाता था. क्रिसमस से एक दिन पहले पढ़िए छिंदवाड़ा से यह खास स्टोरी...

विदेश से मंगाए गए पत्थर से सजाई गई थी कब्र

छिंदवाड़ा के कलेक्टर कार्यालय के सामने अंग्रेजों के जमाने का एक कब्रिस्तान है. जहां पर सदियों पुरानी कई कब्र आज भी मौजूद है. इन कब्रों में अंग्रेजी अफसरों के नाम दर्ज हैं. जो यह बताते हैं उन्हें यहां दफनाया गया था. खास बात यह है कि इन कब्रों को सजाने के लिए इटली सहित विदेशों से मार्बल लाया गया था. जो आज भी मौजूद है. करीब 2 एकड़ में फैले इस कब्रिस्तान में डेढ़ सौ से ज्यादा अंग्रेज अफसर की कब्र मौजूद है.

कब्रों को बनाने इटली से लाए गए मार्बल (ETV Bharat)

अधिकारियों को दफनाने के लिए बनाया था कब्रिस्तान

कब्रिस्तान के केयरटेकर डेनिश टाइटसने बताया कि "कलेक्टर कार्यालय के सामने एक कब्रिस्तान सदियों पुराना है. बताया जाता है कि यहां पर कई अधिकारियों कलेक्टर से लेकर जज और आजादी से पहले नागपुर, मध्य भारत प्रोविंस की राजधानी था और ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन था. उस समय के अधिकारियों की जब मौत हो जाती थी, तो उन्हें दफनाने के लिए इन कब्रों का निर्माण किया गया था. जो पत्थर इन कब्रों में लगाया गया है. उसे स्टैटुअरियो मार्बल कहा जाता है. उस समय इटली से बुलवाया गया था. जो अब भारत में दुर्लभ है."

छिंदवाड़ा में अंग्रेज अधिकारियों की बनी कब्र (ETV Bharat)

भारत में दुर्लभ है ये मार्बल, हर कब्र में लिखी अफसरों की कहानी

राजस्थान से आकर छिंदवाड़ा में मार्बल का व्यापार करने वालेराजू सैनीने बताया "जो मार्बल कब्रिस्तान की कब्रों में लगाया गया है. वह भारत में दुर्लभ है. इसे इटली से मंगाया जाता है. यह काफी महंगा होता है.स्टैटुअरियो मार्बल कहा जाता है. हर कब्र पर मरने वाले अधिकारी का नाम उनकी जन्मतिथि और मौत की दिनांक भी लिखी हुई है. 1885 कि यहां पर एक सबसे पुरानी कब्र है. जिसे अगर आज देखा जाए तो करीब 140 साल हो चुका है. इसके अलावा कई कब्र हैं. चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया CNI इसकी देखरेख करता है.

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