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मुस्लिम महिलाओं के बनाए मिट्टी के चूल्हे पर बनता है छठ का प्रसाद, मांसाहार से दूर रहता चूल्हा बनानेवाला परिवार

महापर्व छठ की तैयारी जोरों पर है. लोग मिट्टी के चूल्हे की खरीददारी कर रहे हैं. आप जानते हैं इस चूल्हे को कौन बनाता है.

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महापर्व छठ की तैयारी. (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : 4 hours ago

पटनाःछठ पर्व न केवल आस्था का महापर्व है, बल्कि यह सांप्रदायिक सौहार्द का भी प्रतीक है. राजधानी पटना में मुस्लिम महिलाएं पिछले तीन दशकों से मिट्टी के चूल्हे बनाकर छठ पर्व की तैयारियों में अहम भूमिका निभा रही हैं. ये महिलाएं चूल्हा बनाने के दौरान नॉनवेज खाना छोड़ देती हैं. इनके बनाए चूल्हों पर छठव्रति प्रसाद और अन्य पकवान बनाती हैं, जो गंगा-जमुनी तहज़ीब और भाईचारे का एक खूबसूरत उदाहरण है.

बिहार के लिए महापर्व है छठः महापर्व छठ को लोक आस्था का महान पर्व छठ माना जाता है. देश भर से छठ पर्व के दौरान लोग अपने-अपने घर लौटते हैं. दशहरा खत्म होते ही दूसरे राज्यों में रह रहे बिहार के लोग घर लौटने लगते हैं. समाज के सभी वर्गों के लोग इसकी तैयारी में सामूहिक रूप से जुटते हैं. अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की सहभागिता देखी जाती है. घाट की ओर जाने वाले रास्ते की वे अपने-अपने इलाके में साफ सफाई करते हैं. पटना में मुस्लिम महिलाओं के बनाये चूल्हे पर ही छठ का प्रसाद तैयार होता है.

मुस्लिम महिलाएं बनाती हैं छठ पूजा के लिए चूल्हा. (ETV Bharat)

मिट्टी के चूल्हे का होता है उपयोगः छठ पर्व के दौरान जो प्रसाद और पकवान बनाए जाते हैं, उसके लिए मिट्टी के चूल्हे का उपयोग किया जाता है. मिट्टी के चूल्हे में ईंधन के रूप में लकड़ी का प्रयोग किया जाता है. इसी चूल्हे पर खरना का प्रसाद और पकवान बनाया जाता है. मिट्टी के बने चूल्हे को पवित्र माना जाता है. इसके लिए चूल्हे के निर्माण और खरीददारी की प्रक्रिया लगभग एक महीने पहले शुरू हो जाती है. राजधानी पटना में बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं पिछले तीन दशक से चूल्हा बना रही हैं.

चूल्हा तैयार करती महिला. (ETV Bharat)

हिंदूओं की आस्था का रखती हैं ध्यानः छठ के दौरान पवित्रता का खास महत्व होता है. कार्तिक महीने से ही छठ करने वाला परिवार शाकाहारी भोजन करना शुरू कर देते हैं. कुछ लोग तो लहसुन और प्याज का सेवन भी बंद कर देते हैं. चूल्हे बनाने वाली मुस्लिम महिलाएं भी व्रतियों की इस भावना का ख्याल रखती हैं. एक महीने तक चूल्हे के निर्माण में लगी महिलाएं, सिर्फ शाकाहारी भोजन ही करती हैं. चूल्हे को जूठे बर्तन से दूर रखा जाता है.

छठ पूजा के लिए तैयार मिट्टी का चूल्हा. (ETV Bharat)

एक महीना पहले से शुरू कर देती तैयारी: शहीना खातून पिछले 30 साल से चूल्हे बना रही हैं. शहीना ने बताया कि इसके लिए एक महीना पहले से ही तैयारी शुरू कर देती हैं. गांव से ट्रैक्टर से मिट्टी मंगायी जाती है. मिट्टी के अलावा भूसी और गंगा किनारे की मिट्टी का इस्तेमाल भी चूल्हे के निर्माण में किया जाता है. दर्जन भर से अधिक परिवार इस काम में जुटे हैं. शहीना खातून बताती हैं कि इस बार मिट्टी महंगी मिली है. लोगों को एक चूल्हा 150 रुपए में मिल पाएगा.

चूल्हा तैयार करती महिला. (ETV Bharat)

"हम लोग लंबे समय से छठ के लिए चूल्हे का निर्माण कर रहे हैं. जब तक चूल्हे का निर्माण कार्य चलता है, तब तक हम लोगों का भोजन और रहन-सहन सादगी भरा होता है. करीब एक महीने तक हमलोग मांसाहारी भोजन नहीं करते हैं."- शहीना खातून, कारीगर

चूल्हा तैयार करती महिला. (ETV Bharat)

साफ-सफाई का विशेष ध्यानः शहीना के साथ ही शबाना भी चूल्हे के निर्माण कार्य में लगी है. वह भी कई सालों से चूल्हा बना रही है, जिस पर छठ व्रति प्रसाद तैयार करतीं हैं. शबाना कहती हैं कि वो लोग चूल्हे को बनाते समय पवित्रता का खास ध्यान रखती है. उसका कहना था कि छठव्रती इस चूल्हे का इस्तेमाल प्रसाद तैयार करने के लिए करती हैं, इसलिए उनलोगों की कोशिश होती है कि साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाए. नहाने के बाद ही चूल्हे को बनाने का काम शुरू करतीं हैं.

चूल्हा तैयार करती महिला. (ETV Bharat)

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