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RPF ने स्टेशनों और ट्रेनों में बच्चों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए

Railway Protection Force, आरपीएफ ने राज्यों से रेलवे स्टेशनों पर मानव तस्करी विरोधी इकाइयां स्थापित करने का अनुरोध किया है.

Railway Protection Force
रेलवे सुरक्षा बल (X@RPF_INDIA)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 3 hours ago

नई दिल्ली : देशभर में बच्चों की सुरक्षा के लिए रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने कई राज्यों से अपने रेलवे स्टेशनों पर मानव तस्करी विरोधी इकाइयां स्थापित करने का आग्रह किया है. जिससे मानव तस्करी को रोके जाने के साथ ही यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाई जा सके.

रेलवे की जानकारी के अनुसार, भारत भर में करीब 262 स्टेशनों पर मानव तस्करी विरोधी इकाइयां स्थापित की जानी थीं, लेकिन कुछ कारणों से इन्हें वहां स्थापित नहीं किया जा सका. बच्चों की सुरक्षा और संरक्षा के लिए रेलवे और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर बाल सहायता डेस्क का विस्तार करेंगे. इसकी मदद से जरूरतमंद बच्चों के लिए उपलब्ध सहायता नेटवर्क को मजबूत किया जा सकेगा. रेलवे ने कहा कि रेलवे परिसर में बच्चों और महिलाओं दोनों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए इन नई पहलों और रणनीतियों पर भी चर्चा की गई.

बता दें कि हाल ही में आरपीएफ के महानिदेशक मनोज यादव ने कहा था कि हम रेलवे परिसर में बाल संरक्षण की तत्काल आवश्यकता को देखते हुए किशोर न्याय (जेजे) अधिनियम के साथ निकटता से जुड़ रहे हैं. रेलवे अधिकारियों ने बताया कि आरपीएफ ने पिछले पांच वर्षों में 57,564 बच्चों को तस्करी से बचाया है. इनमें से 18,172 लड़कियां थीं. इसके अलावा बल ने यह सुनिश्चित किया कि इनमें से 80 प्रतिशत बच्चे अपने परिवारों से मिल गए.

'ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते' के तहत, आरपीएफ ने पूरे रेलवे नेटवर्क में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई केंद्रित पहल शुरू की हैं. बाल तस्करी की निरंतर चुनौती को पहचानते हुए, आरपीएफ के "ऑपरेशन एएएचटी" ने 2022 से 2,300 से अधिक बच्चों को बचाने और 674 तस्करों को पकड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. यह उपलब्धि तस्करी और शोषण से निपटने के लिए आरपीएफ के अथक समर्पण को रेखांकित करती है.

स्टेशनों पर सुरक्षा प्रदान करने के लिए, रेलवे ने उन्नत रेलवे स्टेशनों पर सीसीटीवी और फेस रिकग्निशन तकनीक लगाई है. रेलवे अधिकारियों ने कहा कि प्रतिदिन बड़ी संख्या में यात्री रेल से यात्रा करते हैं, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, जिनमें से कई अकेले यात्रा करती हैं. इसी वजह से कमजोर समूहों, खासकर किशोरों की सुरक्षा की सख्त जरूरत है, जो मानव तस्करों द्वारा शोषण का जोखिम उठाते हैं.

अधिकारियों ने कहा कि हाल ही में बढ़ाए गए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) ने जोखिम वाले बच्चों के लिए सुरक्षा जाल प्रदान करके बाल शोषण और तस्करी को रोकने के लिए रेलवे की प्रतिबद्धता को मजबूत किया है, जो अपने परिवारों से अलग हो गए हैं.

ये भी पढ़ें- पुरी स्टेशन पर पुरुषोत्तम एक्सप्रेस से 150 जिंदा गोलियां बरामद, जीआरपी ने जांच शुरू की

नई दिल्ली : देशभर में बच्चों की सुरक्षा के लिए रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने कई राज्यों से अपने रेलवे स्टेशनों पर मानव तस्करी विरोधी इकाइयां स्थापित करने का आग्रह किया है. जिससे मानव तस्करी को रोके जाने के साथ ही यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाई जा सके.

रेलवे की जानकारी के अनुसार, भारत भर में करीब 262 स्टेशनों पर मानव तस्करी विरोधी इकाइयां स्थापित की जानी थीं, लेकिन कुछ कारणों से इन्हें वहां स्थापित नहीं किया जा सका. बच्चों की सुरक्षा और संरक्षा के लिए रेलवे और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर बाल सहायता डेस्क का विस्तार करेंगे. इसकी मदद से जरूरतमंद बच्चों के लिए उपलब्ध सहायता नेटवर्क को मजबूत किया जा सकेगा. रेलवे ने कहा कि रेलवे परिसर में बच्चों और महिलाओं दोनों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए इन नई पहलों और रणनीतियों पर भी चर्चा की गई.

बता दें कि हाल ही में आरपीएफ के महानिदेशक मनोज यादव ने कहा था कि हम रेलवे परिसर में बाल संरक्षण की तत्काल आवश्यकता को देखते हुए किशोर न्याय (जेजे) अधिनियम के साथ निकटता से जुड़ रहे हैं. रेलवे अधिकारियों ने बताया कि आरपीएफ ने पिछले पांच वर्षों में 57,564 बच्चों को तस्करी से बचाया है. इनमें से 18,172 लड़कियां थीं. इसके अलावा बल ने यह सुनिश्चित किया कि इनमें से 80 प्रतिशत बच्चे अपने परिवारों से मिल गए.

'ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते' के तहत, आरपीएफ ने पूरे रेलवे नेटवर्क में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई केंद्रित पहल शुरू की हैं. बाल तस्करी की निरंतर चुनौती को पहचानते हुए, आरपीएफ के "ऑपरेशन एएएचटी" ने 2022 से 2,300 से अधिक बच्चों को बचाने और 674 तस्करों को पकड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. यह उपलब्धि तस्करी और शोषण से निपटने के लिए आरपीएफ के अथक समर्पण को रेखांकित करती है.

स्टेशनों पर सुरक्षा प्रदान करने के लिए, रेलवे ने उन्नत रेलवे स्टेशनों पर सीसीटीवी और फेस रिकग्निशन तकनीक लगाई है. रेलवे अधिकारियों ने कहा कि प्रतिदिन बड़ी संख्या में यात्री रेल से यात्रा करते हैं, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, जिनमें से कई अकेले यात्रा करती हैं. इसी वजह से कमजोर समूहों, खासकर किशोरों की सुरक्षा की सख्त जरूरत है, जो मानव तस्करों द्वारा शोषण का जोखिम उठाते हैं.

अधिकारियों ने कहा कि हाल ही में बढ़ाए गए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) ने जोखिम वाले बच्चों के लिए सुरक्षा जाल प्रदान करके बाल शोषण और तस्करी को रोकने के लिए रेलवे की प्रतिबद्धता को मजबूत किया है, जो अपने परिवारों से अलग हो गए हैं.

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